हरियाणा भर्ती सेल काउंटर’ (HSSC) की कार्य प्रणाली व परीक्षा पद्धति की पोल खुली

हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन को बर्खास्त कर हाई कोर्ट से जाँच करवाना ही एकमात्र रास्ता

खट्टर सरकार व HSSC ने एक बार फिर हरियाणा के युवाओं के गुण व क्षमता का भद्दा मजाक उड़ाया है। सच्चाई यह है कि भाजपा-जजपा नेताओं से गठित ‘हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन’ ने पूरी परीक्षा प्रणाली का सत्यानाश कर युवाओं के भविष्य पर ग्रहण लगा दिया है। इनके ढोल की पोल खुल चुकी है व पारदर्शिता के दावों की असलियत हर भर्ती में बेनकाब हो रही है।  

हरियाणा में ‘‘पेपर बेच माफिया’’ हावी है। पिछले साढ़े सात साल में तीस से ज्यादा पेपर लीक हुए और सरेआम बेचे गए। सरकार में बैठे राजनेताओं और HSSC पर सीधे उंगलियां उठीं। पर साढ़े सात साल में किसी को सजा नहीं मिली। 

अब सब इंस्पेक्टर (पुरुष) की भर्ती में एक और बड़ा घोटाला व गड़बड़झाला सामने आया है। हरियाणा में 1,58,207 युवाओं ने पुलिस सब इंस्पेक्टर (पुरुष) के 400 पदों लिए आवेदन दिया तथा 1,07,000 युवाओं ने 26 सितंबर, 2021 को खट्टर सरकार व HSSC द्वारा आयोजित परीक्षा दी। एक बार फिर हरियाणा के युवाओं के भविष्य की बोली लगाकर बेच दिया गया। अब उस पर पर्दा डालने का षडयंत्र चल रहा है तथा नौकरियों की दलाली करने वाले गिरोह के सरगनाओं को बचाने में पूरी भाजपा-जजपा सरकार लगी है। 

यह सिलसिलेवार पुलिस सब इंस्पेक्टर (पुरुष) घोटाले के तथ्य देखें।      

1.         एक नहीं, तीन पेपर! अलग-अलग सेंटर में अलग-अलग पेपर!!

किसी सेंटर में दो पेपर करवाए, तो कहीं तीन पेपर!!! पेपर लीक घोटाला सामने!!!!

पुलिस सब इंस्पेक्टर (पुरुष) की परीक्षा में तीन अलग-अलग पेपर लिए गए। पेपर 1 से पेपर 3 की प्रतिलिपि संलग्नक A1 से A3 संलग्न है। युवाओं ने बताया कि ज्यादातर जगह पेपर 1 दिया गया पर गुड़गांव तथा रेवाड़ी के कुछ सेंटरों में पेपर 1 व पेपर 2 दोनों की परीक्षा ली गई और कुछ सेंटरों में बारी-बारी से 15-20 मिनट के अंतराल में तीन पेपर लिए गए और फाईनल परीक्षा पेपर 3 पर हुई। 

परीक्षार्थियों ने बताया कि एग्ज़ामिनेशन सेंटर कोड 69, गवर्नमेंट सीनियर सेकंडरी स्कूल ब्वॉयज़, नियर ओल्ड सिविल हॉस्पिटल, सिविल लाईंस, गुड़गांव में सुबह 9ः00बजे से 10:30 बजे तक पहले पुलिस सब इंस्पेक्टर, पेपर 1 लिया गया। फिर सभी विद्यार्थियों को रोककर 11:30 बजे से 1ः00 बजे तक पेपर 2 लिया गया। रेवाड़ी में सैनी सीनियर सेकंडरी स्कूल में एक के बाद एक, 15-15 मिनट के अंतराल में, तीन पेपर दे दिए गए। सोशल मीडिया पर अनेकों युवाओं ने इन तीनों पेपर्स की कॉपियां लगाकर सवाल भी पूछे। उनमें से कुछ यहां संलग्न A4 से A6 हैं। यही नहीं, स्थानीय समाचार पत्रों ने भी बार-बार पेपर बदलने की खबर छापी। उनमें से एक समाचार की प्रति संलग्नक A7 संलग्न है।  

सवाल सीधा है:-

o   पुलिस सब इंस्पेक्टर (पुरुष) की एक परीक्षा के लिए तीन अलग-अलग पेपर क्यों?

o   ज्यादातर सेंटरों में पेपर 1, पर गुड़गांव के एक या उससे अधिक सेंटरों में 9ः00 बजे से 10:30 बजे व 11:30 बजे से 1:00 बजे के बीच दो पेपर क्यों लिए गए?

o   गुड़गांव और रेवाड़ी के सेंटरों में 15-20 मिनट के अंतराल में पेपर 1, पेपर 2 व आखिर में पेपर 3 की परीक्षा क्यों ली गई?  

इसी गड़बड़झाले की वजह से पुलिस सब इंस्पेक्टर की परीक्षा के 8 दिन बीत जाने के बावजूद भी HSSC ने ‘Answer Key’ जारी नहीं की, क्योंकि उससे एक नहीं, तीन-तीन पेपर होने की ढोल की पोल खुल जाएगी। याद रहे कि ‘Answer Key’ 24 घंटे में जारी कर दी जाती है।

जवाब प्रथम दृष्टि से साफ है!

गुड़गांव और रेवाड़ी में सब इंस्पेक्टर (पुरुष) का पेपर लीक होने की सुरक्षा खट्टर सरकार व HSSC के पास थी और इसीलिए बार-बार पेपर बदले गए। अगर यह सही है, तो खट्टर सरकार सामने आकर इसे मानती क्यों नहीं? इस बात की क्या गारंटी है कि जो पेपर 1 गुड़गांव के कुछ सेंटरों व रेवाड़ी में लीक हुआ होगा, वह व्हाट्सऐप तथा अन्य माध्यमों से पूरे प्रदेश में नहीं बेचा गया? ऐसे में पुलिस सब इंस्पेक्टर की परीक्षा की वैधता के क्या मायने हैं।

2.         परीक्षा सेंटरों में परीक्षार्थियों की संख्या से कई गुना अधिक OMR Sheets का मिलना एक बड़े घोटाले का संकेत- ऐसा क्यों?

सामने आया है कि गुड़गांव व रेवाड़ी के परीक्षा सेंटरों में एक से अधिक पेपरों की परीक्षा ली गई। परंतु परीक्षा में परीक्षार्थियों द्वारा भरी जाने वाली ओएमआर शीट तो संख्या के मुताबिक गिनकर दी जाती हैं ताकि बाद में किसी सेंटर में कोई परीक्षार्थी मिलीभगत कर नई OMR Sheet न बदलवा सके। फिर अचरज की बात है कि गुड़गांव व रेवाड़ी के सेंटरों में परीक्षार्थियों की संख्या से दोगुनी और तिगुनी OMR Sheet कैसे पहुंची? क्या मुख्यमंत्री जवाब देंगे?

3.         तीनों पेपर में ‘पेपर पद्धति व विषय’ अलग-अलग – विषय पर सवालों की संख्या भी अलग- तो बराबरी से चयन कैसे होगा?

अगर पेपर 1, 2 व 3 का अवलोकन किया जाए, तो पेपर की पूरी पद्धति, अलग-अलग विषय पर सवालों की संख्या और तौर-तरीका बिल्कुल अलग है। तीनों पेपर का विषयवार आंकलन संलग्नक A8 संलग्न है। 

ऐसे में तीन अलग-अलग पेपरों में अलग-अलग पद्धति, अलग-अलग तौर तरीके, अलग-अलग विषयों पर पूछे गए सवालों के आधार पर परीक्षार्थियों में समानता करना असंभव है। इसने पूरी परीक्षा प्रणाली को ही दूषित कर दिया है।   

4.         बेतुके, बेहूदे और बेवकूफाना सवालों ने पेपर की शुचिता व सार्थकता खत्म की

पेपर 1 (संलग्नक A1) के सवालों को देखकर साफ है कि काफी सवाल बेहूदे, बेतुके व बेवकूफाना हैं। पेपर के सवालों से यह भी साफ है कि भाजपा और उसके नेताओं के बारे में जानकारी होना ही पुलिस सब इंस्पेक्टर लगने का मापदंड है। उदाहरण के तौर पर हरियाणा के गृहमंत्री का शादीशुदा होना, HSSC चेयरमैन के गांव का मतलब, उत्तराखंड के भाजपाई मंत्रियों का हरियाणा कनेक्शन, किसी भाजपा एमपी के पिता की मृत्यु की जानकारी, कर्नाटक के भाजपाई मुख्यमंत्री के पूर्व मुख्यमंत्री पिता के बारे जानकारी, गऊसेवा आयोग व आकाशवाणी चेयरमैन के नाम का पता होना या किसी पूर्व डीजीपी के निधन बारे जानकारी का पुलिस सब इंस्पेक्टर लगने से क्या वास्ता हो सकता है। कृपया पेपर 1 के सवाल 23, 18, 22, 21, 19, 17, 13, 32 देखें।    

5.         गुड़गांव और रेवाड़ी के तीन सेंटरों में ही दोबारा परीक्षा क्यों?

HSSC ने कल देर शाम नोटिस जारी कर (संलग्नक A9) गुड़गांव के दो व रेवाड़ी के एक सेंटर में पुलिस सब इंस्पेक्टर की पुर्नपरीक्षा का आदेश जारी कर दिया। हैरतअंगेज़ बात यह है कि इन तीन सेंटरों के 500 के करीब परीक्षार्थियों को यह छूट दी गई है कि वो 26 सितंबर का पेपर सही मान लें या फिर दोबारा परीक्षा दे दें।

यही नहीं परीक्षार्थियों ने सोशल मीडिया पर लिखकर गुड़गांव के कई और सेंटर्स में अलग-अलग पेपर होने की सूचना दी है। उनमें से कुछ की कॉपी संलग्नक A10 संलग्न है। तो पूरे प्रदेश में कितने और ऐसे सेंटर हैं, जहां यह घोटाला हुआ है? 

ऐसे में पुलिस सब इंस्पेक्टर के पेपर की शुचिता व सार्थकता के क्या मायने हैं?

HSSC की बर्खास्तगी व हाईकोर्ट के दो सिटिंग जजेस के कमीशन से जाँच ही एकमात्र रास्ता

खट्टर-दुष्यंत चौटाला जी की जोड़ी के नेतृत्व में एक तरफ तो बेरोजगारी में प्रदेश गोल्ड मैडल जीत चुका है और दूसरी तरफ हरियाणा के गुणी युवा सालों तक रोजगार के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, पर पेपर माफिया, सरकार की संलिप्तता व HSSC का आपराधिक नाकारापन उन्हें सड़कों पर धक्के खाने के लिए छोड़ देता है। 

हमारी मांग है कि हरियाणा पुलिस सब इंस्पेक्टर (पुरुष) की परीक्षा तथा हरियाणा भर्ती सेल काउंटर (HSSC) की कार्यप्रणाली की जाँच पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के दो सिटिंग जजेस के कमीशन से करवाई जाए। बगैर विलंब के HSSC को बर्खास्त किया जाए। 

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