जिनको गोडसे से प्यार है वो उसको पूजते रहें,अपने बच्चों को भी उसी के मार्ग पे चलने की शिक्षा दें,

अशोक कुमार कौशिक 

G से गांधी भी होता है,G से गोडसे भी।

फर्क बस इतना है की अहिंसा,सत्य के पुजारी गांधी जी ने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया,वृद्धावस्था में भी कई कई बार देश के लिए जेल गए,अनशन पे रहे,पूरे विश्व को अहिंसा के मार्ग पे चलने का संदेश दिया। आज भी भारत को  अंतरराष्ट्रीय स्तर पे लोग गांधी के नाम से ही पहचानते हैं।

वहीं दूसरी ओर कायर गोडसे को एक वृद्ध,निहत्थे व्यक्ति पे 3,3 गोलियां चलाने पर ज़रा भी हिचक नहीं हुई,एक बार भी उसके हाथ नही कांपे।

इतना ही बहादुर था तो क्यों नहीं किसी भी अंग्रेज पे जाके गोली चलाई उसने! एक हत्यारा हत्यारा ही कहलायेगा,जब वोह अपनी सनक में किसी निर्दोष वृद्ध की जान लेगा तो। गोडसे जैसे लोग सिर्फ gun lovers ही हो सकते हैं।अहिंसा से उनका कोई वास्ता नहीं। विश्व में कितने लोग गोडसे को जानते हैं या उसके प्रशंसक हैं?कोई नहीं। चित्र में गांधी जी के चेहरे पे सरल, निश्छल मुस्कान देखिए…अपने आप मन उनके प्रति आदर से भर जाएगा

ख़ैर,जिनको गोडसे से प्यार है वो उसको पूजते रहें,अपने बच्चों को भी उसी के मार्ग पे चलने की शिक्षा दें, मैं तो गांधी जी के सिद्धांतों का कायल हूं।

*** रजनीश(ओशो) गाँधी के बारे में कहते हैं:

मेरी जानकारी में गांधी इकलौती शख़्सियत हैं जिन्होंने अपनी स्थापित हो रही महानता को अपने जीते जी खुद मटियामेट करने में कोई संकोच नहीं दिखाया और अपनी सारी कमज़ोरियों, ग़लतियों और नाकामियों को ईमानदारी से स्वीकार किया।

अधिकतर महान लोगों के जीवन के कमज़ोर प्रसंग और ग़लत निर्णय आदि उनकी मृत्यु के बाद के सालों में सामने आते हैं, जब वो महान घोषित हो चुके होते हैं। अगर किसी के ज़िंदा रहते ऐसा होता है तो समाज उसे महान मानने से इनकार कर देता है  लेकिन गांधी अपवाद हैं।

गांधी महान इस लिए भी हैं क्योंकि वे एक आम इंसान की तरह अच्छे-बुरे दोनो हैं। सही-ग़लत निर्णय लेते हैं, ग़लतियाँ करते हैं फिर पश्चाताप करते हैं, और लगातार सीखते हैं.. उनकी महानता न तो पैदाइशी है और न ही एकाएक आसमान से अवतरित होती है। उनकी महानता की एक-एक ईंट को रखे जाते हुए आप देख सकते हैं। उनके चलने लड़खड़ाने गिरने और फिर खड़े होने की हर प्रक्रिया शीशे की तरह हमेशा सबके सामने रही है। यह अन्य किसी महान शख़्सियत की ज़िंदगी के बारे में आपको नहीं मिलेगा।

जो अन्य लोग महान हैं वे निर्विवाद रूप से महान हैं। उनमें कोई कमज़ोरी, कोई कमी, कोई ग़लती हमें नहीं दिखाई पड़ती। यानी दो ही बातें हो सकती हैं .. या तो वे दैवीय गुणों से सम्पन्न हैं या उन्होंने अपनी सहज मानवीय कमज़ोरियों को छिपाने के उपक्रम किए हैं। यह भी एक तरह का ढोंग ही है।

गाँधी एक आम इंसान हैं, आप उन्हें भला बुरा कह सकते हैं, गरिया सकते हैं और शायद ही कोई गांधीवादी आप पर आक्रामक हमला करेगा। यह गाँधी की बड़ी सफलता है। 

गाँधी हवाई दर्शन नहीं झाड़ते, वे उतना ही कहते हैं जितना खुद व्यवहार में उतार सकते हैं, और जिस विचार को दिल से मानते हैं उसे पहले अपने जीवन में उतारते हैं फिर दूसरों से अपेक्षा करते हैं, ऐसी नैतिक ईमानदारी बहुत विरली है।

**** गाँधी द ग्रेटेस्ट कम्युनिकेटर एंड लीडर 

आज की राजनीति में अमेरिका गोया भगवान बन गया है। वाइट हाउस में पाँव धरना, आने-जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति से झूठे-सच्चे संबंधों पर इतराना, बार-बार उस दूरी को नापना। 

गांधीजी कभी अमेरिका नहीं गए। लेकिन अमेरिका में छाए रहे। कई सुविख्यात पत्रिकाओं में गांधीजी छवि को आवरण पर दिया गया। बारम्बार। 

 मैंने मार्टिन लूथर किंग जू. गांधी स्मृति घर में गांधीजी की अनेक तसवीरें और किताबें देखीं, जो किंग ने ख़ुद जमा की थीं। बाद में तो ख़ुद किंग “अमेरिकी गांधी” कहलाए। उनकी हत्या भी किसी सिरफिरे ने उसी घृणा के चलते की, जो हमारे यहाँ गोडसे और उसके आराध्य संगठनों में गहरे पैठी हुई थी।

विश्व नागरिक,युग पुरुष महात्मा गांधी।

ओबामा ,महान वैज्ञानिक आइन्स्टीन , चार्ली चैपलीन, बर्मा की नोबेल प्राप्त आंगसंग सूकी, नेल्सन मंडेला, महामहिम दलाईलामा, महान संगीतकार जान लेनान, मार्टिन लूथर किंग, अमेरिकी उपराष्ट्रप्ति अल्गोरो, स्टीव जाब्स, पर्ल एस बक, यू थांट, विल ड्यूरेंट, रिचर्ड एटनबरो, हो ची मिन्ह, खान अब्दुल गफ्फार खान, सेसर चावेज़, लुईस फिसर, हिले सिलेसी फ़र्स्ट, जार्ज बर्नार्ड शॉ,ओबामा,  नोबेल लारेट टैगोर, तिलक, गोखले, नेहरु, पटेल, सुभाष,  डा. राजेन्द्र प्रसाद, लोहिया, जयप्रकाश, विनोबा, कृपलानी , चरण सिंह , पन्त , अटल बिहारी , यानिकी सभी तत्कालीन कांग्रेस के और विरोधी पार्टियों के बड़े नेता, देश के बड़े कवि पन्त, प्रसाद, मैथिली शरण, सोहनलाल, दिनकर आदि अनेक प्रसिद्ध महापुरुष, लेखक,संगीतज्ञ, कलाकार, बड़े दार्शनिक जैसे अरविन्द, राधाकृषणन !

ये सभी उपरलिखित दुनिया और देश की 20वीं शादी की  महान हस्तियाँ गांधी के फालोवर, प्रशंसक और मुरीद थे।

अब कोई थोड़े लोग तो ईसा, राम,कृष्ण,बुद्ध के भी आलोचक,निंदक हैं, सो गांधी के भी।

गांधी ढोंगी नहीं हैं …महान आत्मा हैं।

मुझे पूरा यकीन है ऐसे कितने ही नकली नाथूरामो को इस देश की जनता नकार देगी क्योंकि गाँधी इस देश की आत्मा है और जब तक भारत है तब तक बापू है वो हर देशभक्त के दिल में रहेंगे बापू के जन्मदिन पर उनको  शत शत प्रणाम।

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