राष्ट्र भाषा को सम्मान दिलाने के लिए करने होंगे सामूहिक प्रयास : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

एचएयू की नेहरू लाइबे्ररी में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित

हिसार : 15 सितंबर – देश की राष्ट्र भाषा हिंदी को उचित सम्मान दिलाने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगेे। केवल एक दिन हिंदी दिवस के आयोजन से इस कार्य में सफलता नहीं मिलेगी। हमें अपने कार्यालय संबंधी सभी कार्य हिंदी में करने होंगे और अन्य लोगों को भी इसके प्रति प्रेरित करना होगा। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एवं गुरू जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने व्यक्त किए। वे हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय की नेहरू लाइबे्ररी में आयोजित दो दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी के भ्रमण के उपरांत कहे।

उन्होंने कहा कि हमारे देश का इतिहास, गं्रथ, उपन्यास आदि अधिकतर हिंदी में ही हैं और ज्ञान के भंडार हैं। हिंदी भाषा बहुत ही समृद्ध है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा में देशवासी अपनी भावनाओं, विचारों और संदेशों को खुलकर व्यक्त कर सकता है। यह भाषा बहुत ही सरल व संचार के लिए उपयुक्त मानी जाती है। कार्यक्रम में पुस्कालयाध्क्ष डॉ. बलवान सिंह ने बताया कि इस पुस्तक प्रदर्शनी में हिंदी भाषा में प्रकाशित पुस्तकें कृषि विज्ञान,भारतीय इतिहास एवं जीवनी, हिंदी संदर्भ गं्रथ, भारतीय दर्शन, सामाजिक विज्ञान, धर्म आदि विषयों पर प्रदर्शनी लगाई। उन्होंने बताया कि इनका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए किया गया था ताकि लोगों को देश के प्राचीन इतिहास को हिंदी में जानने का मौका मिले और इनके प्रति रूझान बढ़े। हमारे ऋषि मुनियों व पूर्वजों द्वारा दिए गए संदेश व ज्ञान का बोध हो ताकि उसे हमारे संस्कारों में शामिल कर सकें। इस दौरान कैंपस स्कूल के विद्यार्थियों ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन किया और हिंदी की पुस्तकों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की।

इस अवसर पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, कुलसचिव डॉ. एस.के. मेहता, अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा, छात्र कल्याण निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह दहिया, अधिष्ठाता डॉ. अमरजीत कालड़ा, डॉ. बिमला ढांडा, डॉ. एस.एस. सिद्धपुरिया, वित्त नियंत्रक नवीन जैन, डॉ. राजीव पटेरिया, डॉ. सीमा परमार, डॉ. भानू प्रताप, डॉ. राजेंद्र सहित विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।  

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