अंचल अस्पताल प्रकरण में हाई कोर्ट ने दिए नगर आयुक्त को तीन माह के अंदर अंतिम निर्णय लेने के आदेश

-दिनोद गेट पर राजस्व के रिकार्ड में 100 साल से परस के नाम बोल रही भूमि पर बना डाला अवैध रूप से अस्पताल भवन
-स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने डाली थी हाई कोर्ट में याचिका

भिवानी, 12 सितंबर। दिनोद गेट स्थित अंचल मेटरनिटी एवं मल्टीस्पेशिलिटी नर्सिग होम के अवैध भवन निर्माण मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने नगर परिषद के नगर आयुक्त एवं अतिरिक्त उपायुक्त को तीन माह के अंदर मामले में अंतिम निर्णय लेने के आदेश दिए हैं। 

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने हाई कोर्ट में 9 मार्च 2021 में याचिका डाली थी। याचिकाकर्ता ने न्यायालय में बताया कि जिस भूमि पर अंचल नर्सिंग होम के भवन निर्माण किया गया है, वह भूमि पिछले 100 सालों से आज भी राजस्व विभाग के रिकार्ड में परस के नाम बोल रही है। इस भूमि की खरीद और बिक्री नहीं की जा सकती है। लेकिन इस परस की शामलात भूमि की प्रॉपर्टी डीलरों व अधिकारियों से मिलीभगत कर गलत तरीके से रजिस्ट्री कराई गई, लेकिन राजस्व विभाग के रिकार्ड के अनुसार इस भूमि पर आज भी मालिक परस ही है।

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि इस पूरे प्रकरण की जांच एसडीएम ने की थी, जिसकी जांच में भी भवन का निर्माण अवैध बताया गया था, इसके बाद नगर परिषद ने हरियाणा म्यूनिसिपल एक्ट 208 व 208ए के तहत नोटिस भी जारी किया गया था। प्रशासन द्वारा कराई गई जांच में अस्पताल भवन का नक्शा भी कर्मशियल दर्शाया गया है, जबकि नियम अनुसार अस्पताल भवन का नक्शा भी नहीं है। बृजपाल सिंह परमार ने आरोप लगाया कि नगर आयुक्त ने इस प्रकरण में डॉ. अंचल दंपति को लाभ पहुंचाने के लिए गोलमोल रिपोर्ट दे दी। जिसे याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में याचिका डालकर चुनौति दी गई। इसी मामले में उच्च न्यायालय ने भिवानी के नगर आयुक्त को तथ्यों के आधार पर तीन माह के अंदर अंतिम निर्णय लेने के आदेश दिए हैं।

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