-कमलेश भारतीय

हरियाणा कांग्रेस का महाभारत आज दूसरे दिन में प्रवेश कर गया और आज का महत्त्वपूर्ण विचार है -ब्लड टेस्टिंग यानी लहू की पहचान । अरे, वो वाली नहीं जो डाॅक्टर्ज टैस्ट करके बताते हैं कि ए है, बी है या सबसे कीमती ओ है । यहां तो लहू में कांग्रेस का खून दौड़ता हुआ मिलना चाहिए । यह टैस्टिंग का तरीका हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष सैलजा का सुझाया हुआ है जो आज ही सामने आया है कि मेरी रगों में तो कांग्रेस का लहू दौड़ रहा है और दूसरों की रगों में कम दौड़ता हो सकता है । यह बहुत कठिन पहचान है । इस टैस्ट में तो चौ भजन लाल का परिवार यानी कुलदीपक कुलदीप बिश्नोई भी पास नहीं होगा क्योंकि हजकां बना ली थी और भाजपा से गठबंधन भी कर लिया था । अब कांग्रेस में हैं और अध्यक्ष पद की चाह रखते हैं । इस सख्त टैस्ट में तो किरण चौधरी भी रह जायेंगी ।

हालांकि खुद किरण चौधरी ने कभी कांग्रेस नहीं छोड़ी और दिल्ली में कांग्रेस के साथ जुड़ी रहीं लेकिन चौ सुरेंद्र सिंह ने हविपा में पिता चौ बंसी लाल का साथ दिया और भाजपा के गठबंधन से हरियाणा में सरकार बनाई । यदि चौ वीरेंद्र सिंह होते अभी कांग्रेस में तो एकबार वे तिवारी कांग्रेस में चले गये थे । बाद में कांग्रेस हाईकमान के दरबार में हाजिरी भरते रहे लेकिन मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा न होते देख भाजपा में चले गये और अब अपने बेटे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दिलवाने की जुगत में लगे हैं । इसी तरह राव इंद्रजीत भी सपना टूटने पर भाजपा में छा चूके । हां , इस टैस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जरूर ज़ोरदार नम्बरों से पास हो जायेंगे क्योंकि उनके पिता व दादा कांग्रेस मे ही रहे और अब बेटा दीपेंद्र भी कांग्रेस में ही है । इस तरह उनकी रगों में भी कांग्रेस का ही लहू दौड़ रहा है। इस तरह यदि यह लहू वाला आधार बनाया जाये तो सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा बराबर ही टैस्ट क्लियर कर लेंगे । फिर एक बार पहले भी हुड्डा अध्यक्ष रह चुके हैं ।

सैलजा के अध्यक्ष बनने के बाद से यह उम्मीद जगी थी कि जिला स्तर पर कमेटियां गठित होंगीं और कांग्रेस भवनों में गतिविधियां भी ज़ोरदार ढंग से शुरू होंगीं । कोरोना नि:संदेह एक बड़ा कारण रहा कि काम ढंग से पटरी पर आया ही नहीं लेकिन जिस बात की कांग्रेस को सबसे ज्यादा जरूरत है यानी संगठन उसी पर ध्यान न दिया जाना भी तो आलोचना के घेरे में ले आता है । संगठन न बन पाने से यह बात सामने आ रही है कि आपस में फूट ने इसे सिरे नहीं चढ़ने दिया और यह पढ़कर तो हैरानी हुई कि विधायक भी जिलाध्यक्ष बन सकेंगे यानी एक तरह से यह लाॅलीपाप तो दिखा ही दिया कि विरोध न करो , आपको ही जिलाध्यक्ष बना दिया जायेगा । फिर तो खुश? साधारण कार्यकर्त्ता तो संगठन में कभी कोई पद पा भी न सकेगा। वही दरियां बिछाने और मीडिया में प्रेसनोट बांटता रह जायेगा ।

यह हरियाणा कांग्रेस की महाभारत का पार्ट टू है यानी फिल्मों की तरह सिक्वल ।आगे हो सकता है कल भी कोई नया मुद्दा आ जाये तो यह धारावाहिक आगे बढ़ता जायेगा आपकी मांग पर । फिलहाल यह शेर देखिए :
मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर है:

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

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