एम्स के संदर्भ में विगत छह सालों का मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का रवैया मुंह बोलता प्रमाण है कि वे मनेठी एम्स बनाना ही नही चाहते 3 जुलाई 2021स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने एक बयान में कहा कि विगत एक साल से उनकी उठाई यह चिंता सही साबित हुई कि यदि मनेठी-माजरा एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन एकमुश्त नही हुई तो एम्स का क्या होगा? विद्रोही ने कहा कि वे पहले ही दिन से आशंका व्यक्त करते हुए कहते आ रहे है कि यदि माजरा एम्स के लिए जमीन देने वाले उन किसानों ने जमीन नही दी तो फिर एम्स के लिए एकमुश्त जमीन कहां से मिलेगी? बार-बार उठाई मेरी चिंता की सरकार व जनप्रतिनिधियों ने उपेक्षा की और पोर्टल-पोर्टल का खेल खेलकर एम्स जमीन मुद्दे को लटकाकर जमीन को कानूनी रूप से अधिग्रहण करने का सीधा रास्ता नही अपनाया। अब एक साल बाद स्वयं जिला प्रशासन व सरकार कह रहे है कि माजरा के किसानों द्वारा एम्स के लिए दी गई जमीन एकमुश्त नही है और बीच में 44 एकड़ जमीन का पैच है और जब तक 44 एकड पैच वाले किसान एम्स के लिए अपनी जमीन नही देंगे, मनेठी-माजरा में एम्स नही बन सकता। विद्रोही ने कहा कि प्रशासन के उच्चाअधिकारियों ने जिला प्रशासन रेवाड़ी को साफ कहा है कि क्या तो माजरा के किसानों से पैच वाली 44 एकड़ जमीन एक सप्ताह में देने का सम्बन्धित किसानों से अनुबंध करे या अन्य जगह एम्स के लिए तलाशे। सवाल उठता है कि यह जानते हुए भी कहीं भी 200 एकड़ जमीन एकमुश्त किसान अपनी मर्जी से नही देने वाले, फिर भी भाजपा सरकार ने एम्स जैसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान के लिए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत सीधे किसानों की जमीन अधिग्रहण करने का रास्ता न चुनकर पोर्टल-पोर्टल का घुमावदार जटिल रास्ता चुनना बताता है कि सरकार की नीयत मनेठी-माजरा में एम्स निर्माण करने की है ही नही। विद्रोही ने आरोप लगाया कि एम्स के संदर्भ में विगत छह सालों का मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का रवैया मुंह बोलता प्रमाण है कि वे मनेठी एम्स बनाना ही नही चाहते है और उनकी बात सही साबित हो रही है कि 7 जुलाई 2015 को बावल की जनसभा में उनसे जबरन मनेठी एम्स निर्माण की घोषणा करवाई थी। अपनी बात को सही साबित करने मुख्यमंत्री खट्टर किसी न किसी बहाने विगत छह सालों से मनेठी एम्स निर्माण मुद्दे को फुटबाल समझकर मनमानी किक मारते आ रहे है। खट्टर सरकार जमीन अधिग्रहण की बजाय स्वेच्छा से जमीन देने के नाम पर ऐसा जटिल व घुमावदार रास्ता अपना रही है जिसके चलते कहीं भी एकमुश्त 200 एकड जमीन मिल ही न सके। अर्थात ना नौ मण तेल होगा और ना राधा नाचेगी। विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री की नीयत खराब है, इसलिए वे मनेठी एम्स जमीन लेने के मुद्दे को सत्ता दुरूपयोग से ऐसी जटिलता में धकेल रहे है कि दक्षिणी हरियाणा में एम्स भी न बनाना पड़े और एम्स न बनने का ठीकरा जमीन न देने के बहाने दक्षिणी हरियाणा के लोगों पर ही फोडा जा सके। Post navigation मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर…..आंदोलनरत किसानों के आचरण के कारण किसान शब्द बदनाम हो रहा : विद्रोही बढ़ती महंगाई से बेहाल जनता: रजवन्त डहीनवाल