ऋषि प्रकाश कौशिक 

दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा कर तीनों नेता अपने घर लौट गए हैं। तीनों का मतलब है मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और आधे अधूरे गृहमंत्री अनिल विज। गृहमंत्री आधे अधूरे इसलिए हैं कि उनसे गृह मंत्रालय का अति महत्त्वपूर्ण विभाग सीआईडी छीन लिया गया है। अब यह विभाग मुख्यमंत्री के पास है इसलिए आधे गृहमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी हैं। इस तरह अनिल विज आधे अधूरे ही गृहमंत्री हैं। 

 पहले मुख्यमंत्री दिल्ली दरबार पहुंचे। ख़बर थी कि वे तीन दिन दरबारी रहेंगे। अचानक उनके पीछे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और गृहमंत्री (आधे अधूरे होने के बावजूद उनका पद गृहमंत्री ही है) अनिल विज भी दिल्ली दरबार में हाजिर हो गए। 

तीनों के अचानक दिल्ली पहुंचने से सोशल मीडिया पर अटकलों का सिलसिला शुरू हो गया। तरह तरह की अटकलें हैं। कोई तीर चला रहा है तो कोई तुक्के लगा रहा है। सबसे ज्यादा अटकलें मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर हैं। 

हरियाणा में 90 सदस्यों की विधानसभा है। मंत्रियों की संख्या कुल सदस्यों की संख्या के 15 प्रतिशत के बराबर हो सकती है। इस हिसाब से मुख्यमंत्री समेत कुल 14 मंत्री बन सकते हैं। फ़िलहाल, 12 मंत्री हैं जिनके आठ कैबिनेट और चार राज्य मंत्री हैं। अब दो स्थान खाली हैं। इसमें स्थान जेजेपी माँग सकती है। इसकी प्रबल संभावना है। बीजेपी मौजूदा हालात में जेजेपी को नाराज नहीं कर सकती। सौदेबाजी में उसे झुकना पड़ेगा। अब बीजेपी के पास एक स्थान बचा है। मंत्रिमंडल में अभी तक वैश्य समाज को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। हालाँकि ज्ञान चंद गुप्ता को विधानसभा अध्यक्ष बना कर जातिगत समीकरणों में संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है। लेकिन मंत्रिमंडल में स्थान ना मिलने से असंतुलन साफ़ नजर आ रहा है।

सूत्रों से पता चला है कि ज्ञान चंद गुप्ता को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है, सिर्फ कयास है। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि राज्य मंत्री कमलेश ढांडा को हटा कर सीमा त्रिखा को  शपथ दिलाई जा सकती है। लेकिन इन अटकलों में कोई दम नहीं है। सवाल यह है कि कमलेश ढांडा को क्यों हटाया जाए। उन्हें लेकर कोई विवाद भी नहीं है। बेवजह हटाने से जाटों में नाराजगी पैदा हो सकती है। उधर, सीमा त्रिखा को मंत्री बनाने की अटकलें इसलिए निराधार हैं कि मंत्रिमंडल में दो महत्त्वपूर्ण पद मुख्यमंत्री और गृहमंत्री पंजाबी नेताओं के पास हैं।  इसके अलावा, महत्त्वपूर्ण पदों पर बैठे सरकारी अफसरों में अधिकतर पंजाबी समुदाय से हैं। ऐसे में एक जाट को हटा कर किसी पंजाबी को मंत्रिमंडल में शामिल करने से राज्य में गलत संदेश जाएगा। खट्टर शायद यह भूल नहीं करेंगे और ना ही केंद्रीय नेतृत्व की ओर से ऐसा करने को कहा जाएगा। 

दुष्यंत चौटाला का दिल्ली पहुंचना भी अकारण नहीं था। वो भी कुछ मांगने गए होंगे। साथ ही, किसी खास रणनीति पर चर्चा के समय उन्हें विश्वास में लेना आवश्यक होगा। अटकलें लगाई जा रही हैं कि किसान आन्दोलन को लेकर सरकार की रणनीति पर चर्चा हुई होगी और उसमें मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री की उपस्थिति जरूरी है।

  छन कर ख़बरें ये भी आ रही हैं कि गृहमंत्री अनिल विज अपना दुखड़ा रोने के लिए दिल्ली दरबार में गए थे। उन्हें यह पीड़ा है कि अफसर उनकी बात नहीं सुनते।  अफसरों का यह दुस्साहस निश्चय ही किसी की शह पर होगा। शह उसी नेता की होगी जो अनिल विज से ज्यादा ताकतवर है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि विज से ज्यादा ताकतवर कौन है। विज को क्या आश्वासन मिला है, यह कुछ दिनों में उनकी कार्यशैली से पता लग जाएगा।

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