मांझी और साहनी की लालू जी से गुप्त मंत्रणा की खबर।
अंकलजी पश्चिम बंगाल की ‘चिंताजनक स्थिति’ सुधर जाएगी अगर आप क्षमा-याचना करके वापस दिल्ली चले जाएं।
मोदी जी जनता आपसे जानना चाहती हैं, कि दिल्ली में घर-घर राशन बटवाने की योजना में कहां समस्या है ?
अभी तक सभी ख़ामोश हैं कि कौन होगा देश‌ का अगला राष्ट्रपति?

अशोक कुमार कौशिक

 जहां‌ पूरा देश इस समय कोरोना, वैक्सीन वगैरा में उलझा हुआ है। वहीं देश के शीर्षस्थ नेताओं में संवैधानिक पद पर बने रहने की होड़ मची हुई है। कोरोना के चक्कर में कई राज्यों में जहां राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बन चुका है, वहीं केवल आम जनता कोरोना और भ्रम फैलाने वाली जानकारियों से कैसे बचा जाए उसमें ही घनचक्कर बनी हुई है। लेकिन, इस बीच राजनेता कांस्टीट्यूशनल पदों पर काबिज बने रहने के लिए भविष्य की रणनीतियां तैयार कर चुके हैं। जब सत्ताधीशों को इस‌ बात का इल्म हो जाता है कि, जनता का उनके प्रति क्या मूड है, तो वे कोई भी पैंतरा आज़माने से भी गुरेज़ नहीं करते। 

मोदी और भाजपा के लिए मुश्किल बहुत तगड़ी है। यूपी बचाये तो बिहार छटक जा रहा है। बिहार बचाये तो एमपी में कुछ खड़मंडल हो जा रहा है। ममता दीदी ने भी पलटवार शुरू कर दिया है। इधर केजरीवाल ने फिर से मोदी के खिलाफ़ आवाज़ उठानी शुरू कर दी । नमामि गंगे योजना के बेन्नर के बाद अब यूपी भाजपा के ट्वीटर अकॉउंट से भी पीएम मोदी की फ़ोटो हटा दी गई है। इधर मप्र भाजपा में उठा पठक तेज होने के समाचार है। शिवराज चौहान दिल्ली रवाना हुए। बताया जा रहा है की मुख्यमंत्री की रेस में कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा, वीडी शर्मा तथा प्रभात झा शामिल है।

यह खबर बिहार से हैं। बिहार की डबल इंजन की सरकार के खिलाफ लगातार आवाज बुलंद कर रहे मांझी और साहनी की लालू जी से गुप्त मंत्रणा की खबर आ रही है। लालू ने साफ कह दिया है जी सम्मान हम देंगे कोई माई का लाल नही दे सकता।

नही भूलना चाहिए कि एनडीए में मुकेश साहनी की वीआईपी और जीतन राम मांझी की “हम” के पास कुल 4-4 सीटें हैं।अगर मुकेश साहनी और जीतन राम मांझी ने सरकार का साथ छोड़ दिया तो महागठबंधन 110 सीट से 118 सीटों पर पहुंच जाएगा

ओवैसी ने पहले ही कह दिया है महागठबंधन सरकार बनाती है तो हम साथ हैं। अगर “हम” और वीआईपी के साथ असदुद्दीन ओवैसी ने 5 सीटों का समर्थन तेजस्वी यादव को दे दिया तो राजद महागठबंधन सरकार बना लेगा। 

इस खबर मे जो बड़ी बात है वह यह है कि भाजपाइयों की गाली से आजिज आ चुके नीतीश ने साफ कर दिया है कि गर कुछ गड़बड़ हुआ तो वो सरकार बचाने की कोशिश नही करेंगे।

अब बात करे बंगाली दीदी की । हमने पहले ही कहा था कि ममता बनर्जी  गद्दारी का बदला चुनाव के बाद जरूर लेंगी। अब उन्होंने चुनाव के दौरान भाजपा के सबसे मजबूत दांव कहे जाने वाले शुभेंदु के खिलाफ हल्ला बोला है। नन्दीग्राम के विधायक शुभेंदु अधिकारी और उनके भाई सौमेंदु अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। गौरतलब है कि शुभेंदु ने नंदीग्राम में ममता को पराजित किया था।

 दिलचस्प यह है कि भाजपा विधायक पर गरीबों के तिरपाल की चोरी का आरोप लगा है। यह तिरपाल राहत सामग्री के तहत वितरित होना था ऐसे आरोप में मुकदमे से बीजेपी की बहुत बेइज्जती हो रही है।

बात यहीं नही खत्म होती कोलकाता में मानिकतला थाना पुलिस ने शुभेंदु के बेहद नजदीकी राखल बेरा को ठगी के गिरफ्तार में कर लिया है। पुलिस के अनुसार, बेरा ने अन्य लोगों के साथ मिलकर राज्य के सिंचाई विभाग में नौकरी का झांसा देकर एक व्यक्ति से दो लाख रुपये की कथित ठगी की। 

ख़बर यह भी मिल रही है कि ममता ने भाजपा से टीएमसी में शामिल होने के इच्छुक विधायको के लिए शर्त रख दी है। अब उन्ही को पार्टी में घर वापसी की इजाजत होगी जो भाजपा के शीर्ष नेताओं की कम से कम दो बड़ी पोल पट्टी का खुलासा करेंगे। यह पोल पट्टी लिखित में देनी होगी।

टीएमसी की तेजतर्रार सांसद महुआ मोइत्रा ने अबकी बार बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को निशाने पर ले लिया है। उन्होंने दावा किया है राजभवन में धनखड़ ने अपने रिश्तेदारों और परिचितों की नियुक्ति किया है।महुआ मोइत्रा ने एक सूची ट्विटर पर साझा की। जिसमें राज्यपाल के ओएसडी अभ्युदय शेखावत, ओएसडी-समन्वय अखिल चौधरी, ओएसडी-प्रशासन रुचि दुबे, ओएसडी-प्रोटोकॉल प्रसांत दीक्षित, ओएसडी-आईटी कौस्तव एस वलिकर और नव-नियुक्त ओएसडी किशन धनखड़ का नाम है। 

महुआ मोइत्रा ने कहा कि शेखावत धनखड़ के बहनोई के बेटे, रुचि दुबे उनके पूर्व एडीसी मेजर गोरांग दीक्षित की पत्नी और प्रसांत दीक्षित भाई हैं। मोइत्रा ने कहा कि वलिकर, धनखड़ के मौजूदा एडीसी जनार्दन राव के बहनोई हैं जबकि किशन धनखड़ राज्यपाल के एक और करीबी रिश्तेदार हैं। महुआ मोइत्रा ने कहा कि राज्य सरकार से सवाल पूछने की जगह राज्यपाल आईने में अपना चेहरा देखें , वे अपने पूरे गांव और पूरे खानदान को राजभवन ले आए हैं। महुआ ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए राज्यपाल को कहा कि अंकलजी पश्चिम बंगाल की ‘चिंताजनक स्थिति’ सुधर जाएगी अगर आप क्षमा-याचना करके वापस दिल्ली चले जाएं और कोई अन्य नौकरी तलाश लें ।

 उन्होंने सुझाव दिया, विपक्ष को कितना बेहतर तरीके से ठोको, इसको लेकर मुख्यमंत्री अजय बिष्ट योगी के सलाहकार बन जाइए । दूसरा महामारी के दौरान कैसे बेहतर तरीके से छुपा जाए, इसके लिए गृह मंत्री के सलाहकार बन जाइए और हां, जब आप वापस जाएं तो पश्चिम बंगाल के राजभवन में बसे अपने भरे-पूरे परिवार को साथ ले जाएं। महुआ के इस ट्वीट और दावे के बाद बंगाल से लेकर दिल्ली तक हंगामा मच गया है। बीजेपी को इसका डिफेंस नहीं सूझ रहा,वहीं राजभवन में घनघोर चुप्पी है। संघ के पालतू लोगों को अलग -अलग राज्यों में राज्यपाल बनाकर मोदी ने इस पद की गरिमा पहले ही गिरा दिया था। महुआ ने उसे और उधेड़ दिया है।

केंद्र सरकार ने केजरीवाल सरकार की उस योजना पर रोक लगा दी है, जिसके तहत घर-घर राशन का वितरण किया जाना था। रोक लगाना सही है। आखिर कोई सरकार कैसे जनता को इतना आलसी बना सकती है कि वो राशन लेने के लिए घंटों धूप में लाइन में न लग सके। केंद्र सरकार को लंबी लंबी लाइनें रास आती हैं। चाहे वे नोटबन्दी में लगी लाइनें हों, जन धन खाता खुलवाने के लिए हों, अस्पताल की लंबी लाइनें हों, ऑक्सीजन लेने की लाइनें हों, अस्पताल में एक अदद बेड लेने के लिए हों। मोदी जी जनता आपसे जानना चाहती हैं, कि घर-घर राशन बटवाने की योजना में कहां समस्या है ? गर ये योजना गलत है तो देश को बताइये  कि गलत क्या है ? और सही है तो फिर समस्या क्या है ?

हद ये कि कोरोना से मर जाने पर अपनों की लाश लेने की लाइनें हों, श्मशान में अंतिम संस्कार कराने के लिए लाइनें हों। लाइनें ही केंद्र सरकार की लाइफ लाइन है। जब तक लाइनें न लगें, लगता ही नहीं कि देश का विकास हो रहा है। लाइन में आइए, देश को आगे बढ़ाइए।
कुछ सोचा है क्या? 25 जुलाई 2022 क़रीब है। देश का अगला राष्ट्रपति कौन? 25 जुलाई 2022 को देश के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल पूर्ण हो रहा है।

भले ही राजनेता अपने प्रचार-प्रसार के बूते हर मोबाइल, हर टीवी चैनल्स के माध्यम से हर घर तक पहुंच कर किसी प्रॉडक्ट की तरह अपने चेहरे या पार्टी का चेहरा चमकाने में कामयाब हो जाएं, लेकिन, ज़मीनी हकीकत क्या है उन्हें खुद भी मालूम है। लिहाज़ा, अपने भविष्य का निर्णय वे समय से पहले कर ही लेते हैं। लोकसभा‌ और राज्यसभा में संख्यात्मक स्थिति, सांसदों की आयु और 75 वर्ष से ज़्यादा उम्र के बाद चुनाव लड़ने की पात्रता ना होने के पार्टी विशेष के निर्णय के बारे में सभी को जानकारी है। 

हालांकि, 25 जुलाई 2022 के आने में अभी समय है, लेकिन, एक अहम् सवाल पर अभी तक सभी ख़ामोश हैं कि कौन होगा देश‌ का अगला राष्ट्रपति? सोच कर देखिएगा, इस‌ सवाल के जवाब में आपके ज़ेहन में कोई भी नया चेहरा दूर दूर तक नज़र नहीं आएगा। लेकिन, विशेष समूह के लोगों की ज़ुबान पर मुस्कुराहट के साथ एक साथ ऐसा जवाब भी निकल सकता है कि, आएगा तो मोदी ही।

यदि, वर्ग विशेष की श्रेणी के लोगों की इस बात को ही सच मानकर निश्चित किया जाए कि मोदी राष्ट्रपति बनेंगे तो फिर ऐसी दशा में प्रधानमंत्री कौन होगा? विशेष समूह के लोग यहां भी उपहास ही उड़ाएंगे और कहेंगे यह तो हमें मालूम है, क्योंकि मोदी की जगह प्रधानमंत्री पद का कोई उत्तराधिकारी होगा तो अमित शाह या योगी जी। तो फिर देश का गृहमंत्री कौन होगा? तो फिर उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा?

आम जनता यही तो सोच रही है। क्योंकि, आम जनता सिर्फ सोच ही सकती है। क्योंकि, आम जनता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब तो मिलने से रहा।

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