मैने अपने जीवन का सच्चा साथी और मददगार खो दिया- अशोक कुमार ध्यानचंद शाम होते होते भारतीय हाकी का सूरज महाराज कृष्ण कौशिक उर्फ एम के कौशिक भी अस्त हो गया । आज से पहले खेलो के इतिहास मे एसा काला दिन नही आया होगा जब सूरज की पहली किरण के साथ रविन्द्र पाल सिंह के निधन का दुखद समाचार मिला और शाम सूरज के अस्त्त होते होते एक साथ खेले दो खिलाडियो को हमने एक साथ खो दिया हो। हमारे एक और बेहतरीन खिलाडी को ही आज काल ने लील लिया और एसा लग रहा है मानो आज हमारा सब कुछ छीन गया हो। दो साथ खेलने वाले खिलाड़ी हमसे जुदा हो गए। एम के कौशिक ने मेरी कप्तानी मे 1979 एसन्दा वर्ल्ड हाकी से अपना इंटरनेशनल केरियर की शुरूआत की थी। 1980 मास्को ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भारतीय हाकी टीम के सद्स्य ,1982 मुंबई विश्व कप के सद्स्य बिजली की गति से राइट विंग मे गेद लेकर भागने वाला यह खिलाड़ी इतने जल्द संसार को छोड कर चला जायेगा कभी सोचा भी न था।मेरी अनेको यादे एम के कौशिक से जुड़ी हुई है मैने जब कभी उन्हे याद किया उन्होने कभो इन्कार नही किया। मेजर ध्यानचंद की जन्म शती पर आयोजित मैच खेलने वे झांसी भी आये। मेजर ध्यानचंद को दिल से चाहने वालों मे से वे एक थे।मैं जब मध्यप्रदेश हाकी का चीफ़ कोच था तब उन्होने मेरे साथ एकाडमी की कोचिंग का भार भी बखूबी निभाया था। स्वभाव से बहुत ही मददगार इन्सान सच्चा मददगार दोस्त मैने अपनी जिन्दगी मे नही देखा ।कोई कार्य उन्हे कहा नही की अगले मिनट मदद करने के लिए दौड पड़ते । एम के कौशिक की रिक्क्ता का भरा जाना न केवल असंभव है बल्कि नामुमकिन है। मेरे जीवन के लिए उनका निधन व्यक्तिगत छती है और भारतीय हाकी ,खेलो की दुनिया का एक चमकता सितारे को आज हमने खो दिया है। दौर्णचार्या पुरुस्कार और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित एम के कौशिक की यादे मेरे जीवन मे सदेव बनी रहेगी और वे मुझे जीवन भर याद आते रहेंगे. भगवान एम के कौशिक के परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दे उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ।देश आपकी सेवाओ को हमेशा हमेशा याद रखेगा।श्रधान्जली अर्पित है और दुख की इस घड़ी में हम सब उनके परिवार के साथ खड़े हुए हैं। Post navigation कोरोना : दिल्ली में अगले एक हफ्ते ‘सख्त’ लॉकडाउन, अब मेट्रो भी नहीं चलेगी सवाल नयी संसद व मूर्तियां बनाने पर