गुड़गांव निवासी वकील मुकेश कुल्थिया के तथ्यों पर आधारित आरोपों के अनुसार जनता जान की भीख एवं ऑक्सीजन मांग रही है और खट्टर सरकार जनता से आधार कार्ड मांग रही है । आपदा नियंत्रण कानून एवं अन्य कानूनों का मज़ाक उड़ाते हुए एवं कोरोना आपदा में असहाय जनता की मजबूरी का मज़ाक उड़ाते हुए गुड़गांव उपायुक्त यश गर्ग ने ग़ैरकानूनी आदेश पारित किए हैं कि कोरोना मरीज़ को अस्पताल में तभी दाखिल किया जाए जब उसके पास आधार कार्ड हो एवं आधार में गुड़गांव का पता ठिकाना दिया हो । इस पारित आदेश से खट्टर सरकार ने लिखित में स्वीकार कर लिया है कि खट्टर सरकार के पास गुड़गांव में भी कोरोना आपदा में जनता के इलाज के लिए ना तो ऑक्सीजन है और ना ही कोई और इलाज की सुविधा है इसी कारण खट्टर सरकार जनता के इलाज ना करने के बहाने बना रही है । क्या साबित करना चाहती है खट्टर सरकार ?सिर्फ आधार कार्ड धारियों को ही जीने का अधिकार है ?क्या गुड़गांव के वो निवासी जिनके पास आधार नहीं याअन्य प्रदेशों से आ कर गुड़गांव में रह रहे प्रवासी लोग एवं प्रवासी मजदूरों को जीने का अधिकार नहीं ?जब खट्टर सरकार इन प्रवासियों का ईलाज़ करने से ही इनकार कर रही है तब किस मुँह से इन इन प्रवासी मजदूरों को पलायन करने से रोकने की अपील कर रही है ?क्या आपदा नियंत्रण कानून के तहत किसी आपदा में खट्टर सरकार आधार कार्ड धारी को ही सुरक्षा और इलाज देने की जवाबदेह और जिम्मेदार है ? 2018 में ही माननीय सुप्रीम कोर्ट ने या निर्णय दे दिया था कि आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है एवं केंद्र एवं प्रदेश सरकारों को निर्देश दिए गए थे कि विभिन्न मीडिया एवं प्रेस के माध्यम से सरकारें इस विषय में जनता को सूचित कर दें । जबरन आधार माँगना गैरकानूनी है जिसका एकमात्र मकसद जनता का आधार डाटा इकट्ठा कर निजी कंपनियों को बेचना और जनता की जासूसी करना है जो कि आधार एक्ट एवं माननीय उच्चतम न्यायालय की 9 न्यायाधीशों की खंडपीठ के आदेशों के विरुद्ध है ।किसी भी स्थिति में सरकार किसी व्यक्ति के आधार डाटा का विवरण जबरन नहीं मांग सकती । इसके अतिरिक्त भारतीय परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कबूल किया है कि उन्होंने भारतीय नागरिकों का डाटा 87 निजी कंपनियों को बेचा है । गुड़गांव की अदालत में हरियाणा एवं केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न गैरकानूनी तरीकों से जनता को आधार कार्ड का विवरण देने पर बाध्य करने वाले आदेशों को चुनौती देते हुए अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया द्वारा दो भिन्न याचिकाएं भी डाली गई हैं ।याचिका में याचिकाकर्ता ने न्यायालय से प्रार्थना की है कि जनता पर आधार जबरन लागू किया जा रहा है ताकि जनता का आधार डाटा लेकर निजी कंपनियों को बेचा जा सके ।आधार एक्ट एवं माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों की पालना करते हुए सरकार द्वारा जबरन आधार थोपने पर तुरंत रोक लगाई जाए ।याचिका पर संज्ञान लेते हुए माननीय न्यायालय ने केंद्र एवं हरियाणा प्रदेश सरकार को समन भी जारी किए हैं । इसके बावजूद गुड़गांव उपायुक्त यश गर्ग ने ग़ैरकानूनी आदेश पारित किए कि कोरोना मरीज़ को अस्पताल में तभी दाखिल किया जाए जब उसके पास आधार कार्ड हो एवं आधार में गुड़गांव का पता ठिकाना दिया हो । 1 अप्रैल को भी माननीय सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि किसी भी राज्य / केंद्र शासित प्रदेश के स्थानीय आवासीय प्रमाण की कमी या यहाँ तक कि पहचान प्रमाण के अभाव में किसी भी मरीज को अस्पताल में भर्ती या आवश्यक दवाओं से वंचित नहीं किया जाएगा। गुड़गांव उपायुक्त यश गर्ग के इन ग़ैरकानूनी आदेशों ने स्पष्ट कर दिया है कि हरियाणा खट्टर सरकार जनता के प्रति संवेदनहीन ही नहीं बल्कि एक क्रूर एवं अत्याचारी सरकार है जो कोरोना आपदा में भी आधार उत्सव मना रही है । Post navigation लॉकडाउन में अवैध शराब 74 पेटी बरामद सवाल नयी संसद व मूर्तियां बनाने पर