-कमलेश भारतीय

पश्चिमी बंगाल का चुनाव दो साल पहले से हिंसा से शुरू हुआ और मतगणना के बाद हिंसा पर ही समाप्त होने जा रहा है । पहले भी ऐसा लगता था जैसे किसी दूसरे देश से युद्ध होने जा रहा है । अब भी ऐसा लगता है जैसे हमने कोई दूसरा देश जीत लिया हो । यह कैसी जीत और कैसी हार ? किससे जीत और किससे हार ? सब अपने ही तो हैं और अपने ही तो थे । बस , विचारधारा का फर्क था । कोई भगवा रंग में रंगा था , कोई हरे में । देश तो अपना ही था , कोई बांगला देश थोड़े था । पश्चिमी बंगाल ही था । फिर भी इतनी नफरत की राजनीति ? फिर भी पश्चिमी बंगाल का बना दिया बदलापुर। क्यों ?

एक तरफ भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा वीडियो वायरल कर मतगणना के बाद की हिंसा टी वी चैनलों पर दिखा रहे थे और कह रहे थे कि भाजपा कार्यालयों को आग के हवाले किया जा रहा है । तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों द्वारा और टीवी एंकर भी मतगणना केंद्र के बाहर प्रत्याशी की कार पर हमला किये जाने की खबर चला रहा थी ।

दूसरी ओर ममता बनर्जी बता रही हैं कि मेरे चुनाव क्षेत्र नंदीग्राम में पुनर्मतगणना इसलिए नही करवाई गयी क्योंकि चुनाव अधिकारी की जान को खतरा था । ये दोनों वीडियो यह साबित करने के लिए काफी हैं कि ताली एक हाथ से नहीं बज रही । दोनों हाथों से ही ताली बजती है और बज रही है दो साल से । चुनाव प्रचार और मतदान के दौरान ममता बनर्जी ने तो सेना से माफी मांगते हुए उन्हें केंद्र के इशारे पर चलने वाला बताया था । यानी हर एजेंसी का दुरूपयोग करने का आरोप । सारी एजेंसियां ममता या उनके भतीजे के पीछे हाथ धोकर पड़ गयी थीं और शुभेंदु अधिकारी या अन्य नेता जो भाजपा में शामिल हो गये थे , उन्होंने गंगा स्नान कर लिया था और उनके सारे पाप धुल गये थे । अब अभिषेक ही अकेला दंड का अधिकारी रह गया था या उसकी बुआ ।

ममता बनर्जी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया और यह सूचना महामहिम राज्यपाल को भी दे दी गयी है। राज्यपाल ने पांच मई को शपथ ग्रहण के लिए बुला लिया है ममता बनर्जी को । इस तरह वे क्रिकेट की तरह हैट्रिक लगाने जा रही हैं मुख्यमंत्री के तौर पर । लगातार तीसरी बार। इससे पहले माकपा ने पच्चीस साल राज किया लेकिन अब माकपा का एक भी विधायक नहीं है । इसी तरह कांग्रेस का भी एक भी विधायक नहीं है । माना जा रहा है कि इनके वोटर ममता की ओर चले गये । वैसे भी दम कहां लगाया इस गठबंधन ने ? इस पर बहुत दुख है तो भाजपा को , जो इनके प्रदर्शन के बल पर खरीद फरोख्त की राजनीति नहीं कर पाई । पिछली बार कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा था यह भी यदि याद हो तो बांड भरवाये गये थे कि पार्टी नहीं बदलोगे । अब बांड भरवाये जाने की नौबत ही नहीं आई । वैसे भी जाने वालों को बांड भी कैसे रोक लेते ? असम में ज़ोर लगाते तो कुछ बात थी । वहां भी खाली हाथ रह गये । चाय बागान में प्रियंका गांधी का चाय की पत्तियां तोड़ने का दृश्य भी काम न आया ।

अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्ढा फिर पश्चमी बंगाल के दौरे पर छा रहे हैं और कैलाश विजयवर्गीय कह।रहे हैं कि हम कल पांच मई को विरोध दिवस मनायेंगे ममता के शपथ ग्रहण समारोह के मुकाबले। जरूर पर कोरोना काल का ध्यान रखना । पहले ही काफी कोरोना रैलियों और रोड शो के माध्यम से बीमारी फैला चुके हो । राकेश टिकैत पर हरियाणा में मास्क न पहनने पर केस दर्ज हो सकता है तो आप लोग भी पश्चमी बंगाल जा रहे हो । अपना ध्यान रखियेगा । निर्वाचन आयोग भी रिपोर्ट मांग रहा है हिंसा की । कोरोना की । अब यह हिंसा का तांडव कब खत्म होगा ?

कोरोना ने आईपीएल पर भी अपना रंग दिखा दिया । कल मैच रद्द करना पड़ा।
आखिर में यही कि हिंसा से कहानी शुरू तो हुई पर खत्म कहां होगी ?

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