इस समय हरियाणा सरकार पर कूप्रबंधन के आरोप लग रहे हैं ऐसे में मुख्यमंत्री सर्वदलीय बैठक बुलाकर स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं और समस्या के समाधान के लिए दूसरों के परामर्श पर भी काम कर सकते हैं। क्योंकि त्रासदियो का मुकाबला मिलजुल कर सोच विचार कर और तरीके निकाल कर ही किया जा सकता है

धर्म पाल वर्मा

कोरोनावायरस जैसी महामारी भारतवर्ष की पहले की बहुत सी त्रासदिओं पर भारी पड़ती नजर आ रही है । हमारे यहां यह सामाजिक व्यवस्था रही है कि जब संकट का दौर आता है तो सर्व समाज में परस्पर एक जुटता के भाव उभर आते हैं लोग परस्पर एक दूसरे की मदद करते हैं ।

अब तो हालात बदल गए हैं वरना को दो दशक पहले तक भी राजनीतिक लोग एक दूसरे के प्रति इस तरह से विरोध नहीं दर्शाते थे जैसा अब हो रहा है ।वे एक दूसरे की आलोचना भी मर्यादा में रहकर किया करते थे अब ऐसा नहीं है। हरियाणा के कुछ मुख्यमंत्री ऐसे रहे हैं जो दिक्कत आने पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर समाज के अग्रणी प्रतिनिधियों से सलाह मशवरा करके समस्या का समाधान निकालने को प्राथमिकता देते थे।लोकतंत्र में तो यह चलन बहुत पुराना है। हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सर्वदलीय बैठक बुलाने की पहल नहीं की।

इस बार तो विपक्षी दलों पर भी इस संकट में सेवा सहयोग के नाम पर राजनीति करने के आक्षेप लग रहे हैं।

कोई माने या न माने यह बात आलोचना यह विरोध करने के लिए नहीं कही जा रही है परंतु ऐसा लगता है कि इस समय हरियाणा सरकार विशेष तौर पर मुख्यमंत्री कुछ विचलित और होचपोच नजर आ रहे हैं ।वे स्थिति को उस तरीके से संभाल नहीं पा रहे हैं की सुखद हालात बनने लग गए हो ।

अब तो हालात बदल गए हैं वरना को दो दशक पहले तक भी राजनीतिक लोग एक दूसरे के प्रति इस तरह से विरोध नहीं दर्शाते थे जैसा अब हो रहा है ।वे एक दूसरे की आलोचना भी मर्यादा में रहकर किया करते थे अब ऐसा नहीं है। हरियाणा के कुछ मुख्यमंत्री ऐसे रहे हैं जो दिक्कत आने पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर समाज के अग्रणी प्रतिनिधियों से सलाह मशवरा करके समस्या का समाधान निकालने को प्राथमिकता देते थे।लोकतंत्र में तो यह चलन बहुत पुराना है। हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सर्वदलीय बैठक बुलाने की पहल नहीं की।

इस बार तो विपक्षी दलों पर भी इस संकट में सेवा सहयोग के नाम पर राजनीति करने के आक्षेप लग रहे हैं।

कोई माने या न माने यह बात आलोचना यह विरोध करने के लिए नहीं कही जा रही है परंतु ऐसा लगता है कि इस समय हरियाणा सरकार विशेष तौर पर मुख्यमंत्री कुछ विचलित और होचपोच नजर आ रहे हैं ।वे स्थिति को उस तरीके से संभाल नहीं पा रहे हैं की सुखद हालात बनने लग गए हो ।

कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा के नेतृत्व में कमेटी आदि बनाकर कोरोना के संदर्भ में सेवा करने का संकल्प जरूर लिया है लेकिन व्यवहार में यानी ग्राउंड पर ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा ।नेता तो कांग्रेस के ही हैं परंतु सांसद दीपेंद्र हुड्डा कांग्रेस की बजाय टीम हुड्डा के नाम पर सेवा करने का संदेश दे रहे हैं । देखा जाए तो यह भी राजनीति ही है।

जेजेपी ने भी ऐसे ही पार्टी के बैनर के नीचे सेवा करने का संकल्प लिया है लेकिन व्यवहार में लोग ऐसा कुछ महसूस नहीं कर रहे कि कोई सेवा होती दिख रही है ।उन्हें लगता है कि सब राजनीति करने के लिए किया जा रहा है। जानकार लोग यह मानकर चलते हैं कि कोरोनावायरस संक्रमित लोगों का ऑक्सीजन के अभाव में मारा जाना बहुत ही दुखद है ।उनका कहना है कि समय पर उचित प्रबंध न किया जाए तो फिर हाथ पांव फूल जाने की स्थिति आना स्वाभाविक होता है ।ऑक्सीजन का प्लांट डेढ़ करोड़ रुपए में तैयार हो जाता है लेकिन जिस तरीके से अव्यवस्था देखने को मिल रही है वह भी दुखद है। आइसोलेशन में उपचाराधीन लोगों को लेकर यह कहा जाना कि सिलेंडरों की कमी है ,गले से नीचे नहीं उतरता ।क्योंकि ऐसी स्थिति में कुकिंग गैस के लिए प्रयुक्त सिलेंडर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है परंतु व्यवस्था के बिना, फार्मूले के बिना, कभी अच्छे परिणाम नहीं आते ।

इस समय हरियाणा सरकार पर कूप्रबंधन के आरोप लग रहे हैं ऐसे में मुख्यमंत्री सर्वदलीय बैठक बुलाकर स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं और समस्या के समाधान के लिए दूसरों के परामर्श पर भी काम कर सकते हैं। क्योंकि त्रासदियो का मुकाबला मिलजुल कर सोच विचार कर और तरीके निकाल कर ही किया जा सकता है

इस समय संकट की घड़ी कुछ इस तरह की है कि देश प्रदेश में और भी कई समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं ।यदि इस त्रासदी को मिलजुल कर काउंटर नहीं किया गया तो पूरे देश और देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बुरे दौर से गुजरना पड़ सकता है ।ऐसा विशेषज्ञ भी मानकर चल रहे हैं। राजनीति को को लेकर लोग सीधे तौर पर यह कहते देखे जा रहे हैं कि नेताओं को और उनके प्रवक्ताओं को इस दौर में इमेज बिल्डिंग की बजाए डैमेज कंट्रोलिंग की मुद्रा में नजर आना चाहिए।