फर्रुखनगर तहसील में भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर.
रजिस्ट्रिटयां बंद होने का नाटक भी खेला जा रहा

फतह सिंह उजाला
पटौदी।
 भले ही प्रदेश सरकार जमीन ,प्लाट आदि की रजिस्ट्रयों में पारदर्शिता लाने का दम भर रही हो! लेकिन फर्रुखनगर तहसील में इसके विपरित कार्य हो रहे है। भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। क्रांति फिल्म का गीत मेरा चना है अपनी मर्जी का खुदगर्जी वाला यहां स्टिक बैठ रहा है। तहसीलदार चाहे तो टुकडों में रजिस्ट्रियां की जाती है, चाहे तो मनमर्जी से बंद करने का खेल खेला जा रहा है। नजराना दिया जाये तो काम हो जाते है नहीं तो सरकार के नियमों का हवाला देकर रजिस्ट्रिटयां बंद होने का नाटक किया जाता है। तहसीलदार द्वारा मार्क किये जाने के बाद भी रजिस्ट्रियों को रोक दिया जाता है कि पहले सहाब के निर्धारित किए गए व्यक्ति से मुलाकात करना अनिवार्य हो गया है।

26 जनवरी से तहसीलदार का पद रिक्त
हैरत की बात तो यह है कि 26 मार्च 2021 से सेवन ए लेटर आया हुआ था। लेकिन नियमों को ताक पर रख कर धडल्ले से रजिस्ट्रयों की गई।  वहीं 26 जनवरी से फर्रुखनगर तहसीलदार का पद रिक्त पड़ा है। तहसीलदार के पद पर मानेसर के तहसीलदार सुशील कौशिक को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा हुआ है। जो अपनी मर्जी के मालिक बने हुए है। कभी कभी तहसील में दर्शन देते है। जो रजिस्ट्रियां की जा चुकी है उन पर तहसीलदार ने हस्ताक्षर तक नहीं किए है। जिससे रजिस्ट्रिया कराने वाले व्यक्तियों मे भी असंतोष बना हुआ है। दैनिक कार्य भी प्रभावित हो रहे है। कोर्ट केस भी स्थाई तहसीलदार नहीं होने के बाद याचिका दायार करने वाले लोगों को मात्र तारिख ही दी जा रही है। जिसके चलते लोगों में भारी रोष बना आ है। सरकार से बार बार मांग करने के बाद भी  फर्रुखनगर के तहसीलदार के रिक्त पद पर स्थाई तहसीलदार की नियुक्त नहीं की जा रही है। लोगों का कहना है कि अगर फर्रुखनगर में तहसीलदार की स्थाई नियुक्ति नहीं जाती है तो वह धरना प्रर्दशन के लिए मजबूर हो सकते है। इसके लिए मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।

मैं जो चाहे करूं मेरी मर्जी
अधिवक्ता कुलदीप यादव, अधिवक्ता सोनू सैनी सुलतानपुर, श्री भगवान यादव, आनंद शर्मा,  आदि का कहना है कि 26 जनवरी से फर्रुखनगर तहसीलदार का पद रिक्त है। कोर्ट भी नहीं लग रहा है। रुटिन के कार्यों में बाधा आ रही है। तहसीलदार मनमर्जी कर रहे है। सरकारी कार्यों , बैठकों का बहाना बना कर पटवारी भी अकसर सीटों से गायब मिलते है। जिसके कारण सैंकडों इंतकाल पैंडिंग पडे हुए है। स्कूल, कॉलेज में पढने वाले छात्रों के रिहायसी प्रमाण पत्र, जाति, इर्डब्ल्यूएस, मैरिज प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज नहीं बन पा रहे है। रोज दफ्तरों के चक्कर लगा कर मायूस होकर लोग लौट रहे है। इंतकाल, जमाबंदी में नाम, पता, खेवट नंबर, किला नंबर तक मैनवाल व ऑन लाईन रिकार्ड में गलत दर्ज किए हुए  है। उन्हें दुर्रुस्त कराने के लिए लोगों की भीड लगी रहती है। दस्तावेज ठीक कराने के नाम पर मोटा सुविधा शुल्क पटवारियों के नुमाईंदों द्वारा मांगा जा रहे है। अगर कोई नजराना नहीं देता है या नियमों, कानून की बात करता है तो उन्हें सर्वर डाउन का है का बहाना बना कर टरका दिया जाता है।

साहब से बात करो वहीं समाधान करेंगें
स्थानीय लोगों का कहना है कि कहने को तो फर्रुखनगर में नायब तहसीलदार चैधरी रणसिंह गौदारा हर रोज आते है लेकिन वह भी मोनी बाबा की भांति मौन धारण किए हुए है। जब ग्रामीण उनके पास किसी की शिकायत लेकर जाते है यहां रजिस्ट्रियों से सम्बधित कहते है तो उन्हे भी रटारटाया जवाब मिलता है कि बडे साहब से बात करो वहीं कोई समाधान निकालेगें। जिसके चलते क्षेत्रवासी तहसीलदारों की मनमर्जी की चक्की में पिस रहे है। अगर फर्रुखनगर तहसील में इसी प्रकार का रवैया रहा तो क्षेत्र के लोग धरना प्रर्दशन के लिए मजबूर हो सकते है।

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