अंतिल खाप की गुजारिश पर एक बैठक आयोजित कर यह फैसला लिया गया है कि मुख्यमंत्री का बडोली में और उपमुख्यमंत्री का कैथल में दबाकर विरोध किया जाएगा।

चंडीगढ़ – कैसी विडंबना है कि हरियाणा में 14 अप्रैल को भारतवर्ष के संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जन्मदिन पर उन्हीं के नाम पर आयोजित कार्यक्रमों मैं आ रहे गतिरोध को लेकर संविधान की ही समीक्षा करने की जरूरत महसूस की जाने लगी है। बुद्धिजीवी सवाल उठा रहे हैं कि यह कैसा लोकतंत्र है जिसमें लोकतंत्र की व्यवस्थाओं के तहत चुने गए लोगों को ही आने से रोका जा रहा है । दूसरी तरफ महीनों से सरकार को तरह तरह से अपनी बात कहने के लिए संघर्ष कर रहे किसान इतने हताश और निराश हो गए हैं कि उन्हें यह महसूस होने लगा है कि सरकार उनकी बात जानबूझकर नहीं सुन रही।
14 अप्रैल अंबेडकर जयंती कार्यक्रम को लेकर भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है ।सरकार ने एक तरफ 14 अप्रैल को सभी जिलों में डा भीमराव अंबेडकर जयंती मनाने के लिए आदेश जारी किए थे परंतु यह आदेश बाद में वापस ले लिए गए ।संभवत ऐसा कोरोनावायरस का नाम लेकर किया गया है। परंतु इसके समानांतर भारतीय जनता पार्टी ने अलग से हर जिले मेंकार्यक्रम आयोजित करने की योजना को अंतिम रूप देते हुए मंत्रियों विधायकों पूर्व विधायकों की ड्यूटी लगा कर गाइडलाइंस जारी कर दी। यदि उपरोक्त मामले में कोरोनावायरस है तो फिर भारतीय जनता पार्टी के लिए कोरोनावायरस क्यों नहीं है। इस मामले में उदाहरण के रूप में एक पत्र का हवाला देते हुए कहा जा सकता है कि 14 अप्रैल को पंचकूला में आयोजित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती में केंद्रीय राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता और पूर्व विधायक लतिका शर्मा शामिल होंगी। सरकार ने जिला स्तर के सारे कार्यक्रम वापस ले लिए लेकिन दूसरी तरफ बडोली जिला सोनीपत में मुख्यमंत्री और कैथल में उप मुख्यमंत्री के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
एक बात और महत्वपूर्ण है कि जहां किसान संगठन और किसान समर्थक लोग बॉर्डर पर चल रहे धरने में लाखों लोगों की हाजिरी बता रहे हैं उसे हरियाणा के गृहमंत्री हजारों किसान कह रहे हैं जबकि सरकार में बैठे महत्वपूर्ण लोग इन्ही हजारों या लाखों किसानों को मुट्ठी भर अराजक लोग बता कर अपनी अपनी व्यवस्था देने में लगे हैं। ऐसा लगता है कि 14 अप्रैल को एक बार फिर हरियाणा में फिर गतिरोध के हालात देखने को मिल जाए । लेकिन बाबा साहब के जन्मदिन पर ऐसा होता है तो इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा। उधर किसान संगठनों के प्रवक्ता ने यह स्पष्ट किया है कि पहले बडोली गांव में मुख्यमंत्री का विरोध में करने का फैसला लिया गया था परंतु बाद में अंतिल खाप की गुजारिश पर एक बैठक आयोजित कर यह फैसला लिया गया है कि मुख्यमंत्री का बडोली में और उपमुख्यमंत्री का कैथल में दबाकर विरोध किया जाएगा।