भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। सदर बाजार को नो व्हीकल जोन बनाने की नीति सदर बाजार के दुकानदारों की समझ में नहीं आई। परिणामस्वरूप पहले ही दिन खट्टर मुर्दाबाद के नारे लग गए। दिमाग में प्रश्न आया कि किसानों के लिए तो सरकार कहती है कि ये जाटों से और कांग्रेस से प्रभावित है, इसलिए ये नारे लगाते हैं परंतु व्यापारी तो सदा से ही भाजपा के समर्थक रहे हैं और गुरुग्राम का सदर बाजार तो भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। वहां ये नारे लगना अप्रत्याशित था।

आज सदर बाजार के प्रधान सुमित नारंग से बात हुई तो वह बहुत व्यथित नजर आए। उनके मुंह से अनायास ही निकला कि क्या कहें, हमारा बाजार तो अब लावारिस हो गया है, कोई हमारी नहीं सुनता। आगे उन्होंने बताया कि कभी गाबा साहब एमएलए होते थे, सिंगला जी विपक्ष में होते थे। लेकिन दोनों ही बाजार की समस्याओं पर पूर्ण नजर रखते थे और समस्या आने से पहले ही स्वयं उसका निराकरण कर देते थे। इसी प्रकार गोपीचंद गहलौत और सुखबीर कटारिया ने भी सदा बाजार का साथ दिया।उन्होंने बताया कि 2018 में भी दुकान निगम द्वारा सील की गई थीं और उमेश अग्रवाल विधायक होते थे। हमने रामलीला मैदान में मीटिंग की, उस मीटिंग में वह स्वयं आ गए और कहने लगे कि बाजार का फैसला बाजार ही करेगा। आप आपस में मिलकर फैसला कर लो कि रेहडिय़ां लगानी हैं या नहीं लगानी है, अतिक्रमण करना है, या नहीं करना है। और जो फैसला करो, मुझे बता दो, वही बात आपकी मानी जाएगी। जो दुकानें सील हुई थीं, उनका मात्र दो हजार रूपए जुर्माना लेकर खुलवा दी थीं।

वर्तमान में विधायक सुधीर सिंगला हैं। उनके पिता तो बाजार के हित के लिए सदैव संघर्ष करते रहे। इनके अपने भाईयों की दुकानें भी सदर बाजार में हैं। किंतु फिर भी हमें परेशान होना पड़ रहा है। बाजार के लिए कोई योजना बनानी थी तो बाजार के दुकानदारों से सलाह लेनी चाहिए थी न तो नहीं ली गई। फिर व्यथित होकर बोले कि वास्तविकता यह है कि हम बाजार वाले भी पूरी तरह एकत्र नहीं हो पा रहे। शायद यही कारण है कि आज अखबारों में छपा कि कल बाजार के दुकानदार निगम के अतिरिक्त आयुक्त से मिले और बाजार की समस्याओं को बताकर समाधान हो गया और बाजार वाले अब प्रसन्न हैं। हमें अभी तक नहीं पता कि उनसे कौन मिला?

आगे उन्होंने कहा कि जिस दिन यह मुहिम शुरू हुई, उस दिन सांसद राव इंद्रजीत भी भगवान पाश्र्वनाथ चैरिटेबल मैडिकेयर सेंटर का उद़घाटन करने आए हुए थे। हम उनसे मिले तो उन्होंने कहा कि बाजार में आवागमन तो होना ही चाहिए लेकिन साथ ही कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। जानकारी लेकर निगमायुक्त से मिलूंगा।अब प्रश्न यह है कि उनके साथ नगर के विधायक सुधीर सिंगला और निगम की मेयर मधु आजाद थी। क्या उन दोनों को इसकी जानकारी नहीं थी? यदि नहीं थी तो वे कैसे जनता के प्रतिनिधि हैं? और थे तो उन्होंने मंत्री जी को बताई क्यों नहीं? हम तो वहीं की वहीं खड़े हैं। 

इसके बाद उन्होंने कहा कि मार्च 2020 में हमारी दुकानें सील की गईं। किसी से 35 हजार और किसी से 50 हजार रूपए लिए गए और कहा गया था कि छह माह बाद ये वापिस हो जाएंगे। यह लिखित में है फिर भी आज तक उन पैसों की वापसी नहीं हुई।

उन्होंने माना कि बाजार में पटरी वाले बहुत बैठते हैं तो हम उन्हें हटाने से मना नहीं करते, हम यह कहते हैं कि जब सामान बेचना है तो दुकान के सामने दो-तीन फुट डिस्पले तो करना ही पड़ेगा। फिर हमारे सामान देने यदि कोई थ्री-व्हीलर या मालवाहक वाहन आता है तो माल उतारना होता है और उस समय निगम वाले आकर फोटो खींच ले जाते हैं, चालान भेज देते हैं।

एक तो कोरोना ने दुकानदारों की कमर तोड़ रखी है। ऊपर से ऑनलाइन शॉपिंग और मॉल्स गुरुग्राम की शान कहे जाने वाले सदर बाजार के बहुत से दुकानदार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसे में निगम द्वारा प्रताडि़त करना और विधायक-मेयर का साथ नहीं देना तो हमारा मनोबल तोड़ ही देता है। ये सदर बाजार ही है, जिससे गुरुग्राम की चुनाव की हवा बनती है। ऐसी स्थितियों से गुजरकर कैसे कोई सत्ता का साथ दे पाएगा?

उन्होंने आगे कहा कि एक ओर तो गुरुग्राम को स्मार्ट सिटी बनाने की बात कर रहे हैं, साइबर सिटी कहलाता है। दूसरी ओर हमारे बाजार में सीसीटीवी कैमरे तक नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी की बात शौचालय अवश्य होने चाहिए कि बात करें तो यहां शौचालय भी नहीं हैं। अनेक बार विशेष रूप से महिला ग्राहक परेशान होकर कहती हैं कि पेट में दर्द हो रहा है, कोई टॉयलेट का प्रबंध है तो हमें उनकी मदद करनी पड़ती है।

हमने कब मना किया, ये हमारे सामने चार फुट पर लाइन खींच दें, यदि हम उससे बाहर जाएं तो हम पर कोई भी चालान करें। अभी इतने समय से हमारे बाजार में जो ग्राहक आता है, वह गलियों से ही आता है। मुख्य सडक़ें तो पहले ही बंद कर रखी हैं। ऐसे में परेशान दुकानदारों को और परेशान करके प्रशासन को क्या मिलेगा?

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