केंद्र सरकार से मांग की कि किसान की पैदावार पर एमएसपी लागू करके उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जाए।

पंचकुला,20 मार्च- आज यहां सैक्टर-6 स्थित ‘चौधरी छोटुराम जाट भवन’ में केद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों को लेकर ‘किसान कल्याण विचारगोष्ठी ’ का आयोजन किया गया। इसमें हरियाणा व पंजाब सहित अन्य राज्यों से पूर्व आईएएस, आईपीएस और अन्य बुद्धिजीवियों ने पहुंच कर एक सुर में केंद्र सरकार से मांग की कि किसान की पैदावार पर एमएसपी लागू करके उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जाए।

गोष्ठी की आयोजन समिति के चेयरमैन एवं भारत सरकार में सैक्रेटरी के पद से सेवाविृत्त आईएएस श्री एस.एस बोपाराय ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा की जब कई वर्ष पहले इस देश के सामने भूखमरी की नौबत आई तो तत्कालीन केंद्र सरकार ने हरियाणा व पंजाब समेत अन्य प्रदेशों के किसानों से अपील की थी कि वे अधिक से अधिक अन्न पैदा करें ताकि देश के लोगों का पेट भरा जा सके। उस समय हमारा देश अमेरिका व मैक्सिको से गेंहू आयात करता था, उस दौरान आयातित गेहूं के साथ कई प्रकार की खरपतवार भी आई जिससे देश आज तक भुगत रहा है। उन्होंने कहा कि मेहनतकश किसान ने दिन-रात काम करके देश के अन्न-भंडार भरे। अब जब पैदावार बंपर होने लगी तो सरकारों ने किसान की कद्र करना बंद कर दिया जो कि चिंता का विषय है।

आयोजन समिति के सचिव व जाट सभा चंडीगढ़ञ्पचकूला के प्रधान पूर्व डीजीपी डॉ. महेन्द्र सिंह मलिक ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश के साथ देश के कई राज्यों के किसान कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। देश की राजधानी के दरवाजे पर बैठ कर लगातार तीन महीनों से भी ज्यादा समय से धरना दे रहे हैं, केंद्र व प्रदेश सरकारों को चाहिए कि उनकी सुध लेकर प्रतिनिधि मंडल से बात कर उनकी समस्या का समाधान कर उनको सुरक्षित घर भेजा जाए।

कृषि क्षेत्र में प्रसिद्घ लेखक एवं एग्रो- इकॉनोमिक्स एक्सपर्ट श्री देवेन्द्र शर्मा ने कहा की जो किसान पूरे देश का पालन पोषण करता है उसको आज बोझ माना जा रहा है, यह बड़े शर्म की बात है। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे देश में गऊ रखने वाले को भी सब्सिडी मिलती है लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारे देश में किसान की सब्सिडी को समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में 1.5 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है जबकि भारत में 80 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है।

इस अवसर पर विचार गोष्ठी पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना से सेवानिवृत्त एग्रो-इकॉनोमिक्स एक्सपर्ट प्रोफेसर रणजीत सिंह घुम्मन, पंजाब सरकार के पूर्व चीफ सैक्रेटरी आर.आई सिंह (सेवानिवृत्त आईएएस),हरियाणा पब्लिक हैल्थ इंजीनियरिंग विभाग के सेवानिवृत्त इंजीनियर-इन-चीफ श्री आर.एन मलिक, पूर्व वाइस चांसलर श्री आर.एस चौधरी, प्रोफेसर हरबंस सिंह समेत अनेक बुद्घिजीवी लोगों ने केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीनों कृषि कानूनों पर विस्तार से चर्चा की।

इस मौके पर डॉ. सतबीर सैनी, आर.आर श्योराण, जयपाल पुनिया, राजेंद्र खर्ब, आर.के मलिक, बी.एस गिल, नरेश दहिया,एच.एस भादू,मनबीर सांगवान, रणधीर श्योराण, प्रेम सिंह, बिमला चौधरी, विमल जून, सुखबीर पंघाल, आनन्द लाठर, सुखबीर हुड्डा भी उपस्थित थे।

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