• गतिरोध समाप्त करने के लिये सरकार पहल करे• सरकार किसानों से बातचीत के लिये तिथि, स्थान और समय घोषित करे• MSP और मंडी सिस्टम की वजह से ही किसान आत्मनिर्भर• ऐसा लगता है कि पूरी सरकार ही प्राईवेट हाथों में चली गयी है सोनीपत, 28 फ़रवरी। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा आज सोनीपत के कई कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे। राई हलके के गांव हलालपुर में ग्राम पंचायत द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि तीन महीने से भी ज्यादा समय से किसान सड़कों पर बैठे हैं। लेकिन सरकार जिद ठान कर बैठी हुई है। इस गतिरोध समाप्त करने के लिये सरकार पहल करे। क्योंकि, किसानों के साथ पिछले बार अंतिम दौर की बातचीत को अधर में छोड़कर सरकार भागी थी और किसान 5 घंटे तक इंतज़ार करते रहे। इसलिए अब बातचीत शुरू करने की जिम्मेदारी भी सरकार की है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार बार-बार कह रही है कि वो बातचीत के लिये तैयार है, अगर सरकार सचमुच बातचीत के लिये तैयार है तो उसे पहल करते हुए तिथि, स्थान और समय निश्चित करके और किसान संगठनों को निमंत्रण देकर इसे सार्वजनिक करना चाहिए ताकि, देश भी भ्रम की स्थिति से निकल सके। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार आत्मनिर्भरता के नाम पर जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भूलकर प्राईवेट कंपनियों के पोषण में लगी हुई है। ऐसा लगता है कि पूरी सरकार ही प्राईवेट हाथों में चली गयी है। जो सरकार खुद ही आत्मनिर्भर नहीं है, वो खेती को क्या आत्मनिर्भर बनायेगी। MSP और मंडी सिस्टम की वजह से ही खेती आत्मनिर्भर है। सरकार किसानों से इसे छीनकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहती है और किसान को कंपनी-निर्भर बनाना चाहती है इससे न केवल किसान बर्बाद होगा अपितु राष्ट्र रसातल में चला जाएगा।उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने लाभ में चल रहे सरकारी संस्थानों को बेच दिया। रेल, हवाई अड्डे जैसी राष्ट्र की संपत्ति को निजी हाथों में सौंप दिया। वह एक-एक कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ती जा रही है। सरकार के इस रवैये से ऐसा लगता है कि वो डंडा चलाने के लिये पुलिस और जनता से कर वसूली के लिये टैक्स विभाग ही रखना चाहती है। जबकि, सरकार का मुख्य काम कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार एवं जनता को बुनियादी सुविधाएं देने का है। सरकार खेती-बाड़ी स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार व बुनियादी सुविधाओं की तरफ ध्यान दे। एक सवाल के जवाब में सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार तीन टांगों वाली कुर्सी के समान है। जिसमें एक भाजपा, एक जजपा और एक निर्दलीय शामिल हैं। इस कुर्सी की तीनों टांगें हिल रही हैं, लगतार असंतोष के स्वर सुनाई दे रहे हैं। प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है। मौजूदा सरकार में सिर्फ घोटाले हो रहे हैं, कोई काम नहीं हो रहा। हरियाणा विधान सभा में आने वाले अविश्वास प्रस्ताव से स्पष्ट हो जायेगा कि कौन सा विधायक जनता के साथ है और कौन तीन टांगों वाली हिलती कुर्सी के साथ है। उन्होंने स्वीकार किया कि अभय चौटाला के इस्तीफे और कालका की सीट खाली होने से हरियाणा सरकार को राहत मिली है लेकिन ये सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी और अपने ही बोझ से गिर जाएगी। इस दौरान प्रमुख रूप से विधायक जयवीर बाल्मीकि, पूर्व विधायक सुखबीर फरमाना, मेयर सोनीपत निखिल मदान, अर्जुन दहिया, बिजेंद्र आंतिल, मनोज रिढाऊ, सतीश कौशिक, जसपाल खेवड़ा, संजय खेवड़ा, सूर्या दहिया, हरिप्रकाश मंडल, अनूप मलिक, कृष्ण मलिक, सतबीर आंतिल, सुरेश जोगी, राजबीर मलिक, कुलबीर सरोहा, राज दहिया, हरेंद्र सैनी, संदीप मलिक, कुलदीप वत्स, सतबीर आंतिल, बिजेंद्र देसवाल, महाशय पालेराम, शीला अंतिल, मीणा धनकड़, राजबाला दलाल, मंजू मलिक, उमेश दहिया, सुषमा पार्षद सहित सैंकड़ों स्थानीय गणमान्य लोग मौजूद रहे। Post navigation राकेश टिकैत का कृषि मंत्री तोमर पर पलटवार, कहा- भीड़ के पास सत्ता परिवर्तन की ताकत सिंघु बार्डर किसान धरने पर फिर पहुंचे सांसद दीपेंद्र हुड्डा, व्यवस्थाओं को देखा और हालचाल पूछा