सोनीपत महापंचायत में बोलते हुए राकेश टिकैत ने कहा, ‘राजनेता कह रहे हैं कि भीड़ जुटाने से कृषि कानून वापस नहीं हो सकते. जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए कि भीड़ तो सत्ता परिवर्तन की सामर्थ्य रखती है. यह अलग बात है कि किसानों ने अभी सिर्फ कृषि कानून वापस लेने की बात की है, सत्ता वापस लेने की नहीं’ सोनीपत. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि जब लोग जमा होते हैं तो सरकारें बदल जाती हैं. उन्होंने चेताया कि अगर तीन नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो सरकार का सत्ता में रहना मुश्किल हो जाएगा. टिकैत इस महीने हरियाणा में किसान महापंचायत कर रहे हैं. सोनीपत जिले के खरखौदा की अनाज मंडी में किसान महापंचायत में टिकैत ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा. कृषि मंत्री तोमर ने रविवार को ग्वालियर में कहा था कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से बात करने को तैयार है लेकिन महज भीड़ जमा हो जाने से कानून रद्द नहीं होंगे. उन्होंने किसान संघों से सरकारों को यह बताने का आग्रह किया कि इन नए कानूनों में कौन सा प्रावधान उन्हें किसान विरोधी लगता है. इस पर पलटवार करते हुए राकेश टिकैत ने सोमवार को महापंचायत में कहा, ‘राजनेता कह रहे हैं कि भीड़ जुटाने से कृषि कानून वापस नहीं हो सकते. जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए कि भीड़ तो सत्ता परिवर्तन की सामर्थ्य रखती है. यह अलग बात है कि किसानों ने अभी सिर्फ कृषि कानून वापस लेने की बात की है, सत्ता वापस लेने की नहीं.’ टिकैत ने कहा, ‘उन्हें (सरकार को) मालूम होना चाहिए कि अगर किसान अपनी उपज नष्ट कर सकता है तो आप उनके सामने कुछ नहीं हो.’ उन्होंने कहा कि कई सवाल हैं. सिर्फ कृषि कानून नहीं है, लेकिन बिजली (संशोधन) विधेयक है, बीज विधेयक है. वो किस तरह के कानून लाना चाहते हैं? टिकैत ने यह भी कहा कि अब किसान सभी मोर्चों पर डटेंगे. वो खेती भी करेंगे, कृषि नीतियों पर भी निगाह रखेंगे और आंदोलन भी करेंगे. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून की मांग करते हुए टिकैत ने कहा, ‘जब एमएसपी पर कानून बनेगा तब किसानों का संरक्षण होगा. यह आंदोलन उसके लिए है. यह किसानों के अधिकार के लिए है.’ पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों के लिए सरकार की आलोचना इसके अलावा राकेश टिकैत ने पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों के लिए भी सरकार की आलोचना की. किसान नेता ने कहा कि मौजूदा आंदोलन सिर्फ उस किसान का नहीं है, जो फसल उगाता है, बल्कि उसका भी है, जो राशन खरीदता है. उस छोटे से छोटे किसान का भी है, जो दो पशुओं से आजीविका चलाता है. उन मजदूरों का भी है, जो साप्ताहिक बाजार से होने वाली आय से अपना गुजारा करते हैं. उन्होंने कहा यह कानून गरीब को तबाह कर देंगे. यह सिर्फ एक कानून नहीं है, इस तरह के कई कानून आएंगे. बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलनकारी किसान बीते 26 नवंबर से लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें अधिकतर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान हैं. सरकार और 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन मुद्दे का समाधान नहीं निकल सका. किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार अविलंब तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे. Post navigation नवदीप कौर की रिहाई के लिए यूथ फ़ॉर स्वराज द्वारा चलाया गया हस्ताक्षर अभियान आत्मनिर्भरता की आड़ में सरकार किसानों को कंपनी-निर्भर बनाना चाहती है – दीपेन्द्र हुड्डा