जीवन में 50 साल से अधिक पहनी वर्दी अब हुए सेवानिवृत

28 फरवरी 2021 मधुबन: जीवन में हमेशा अनुशासन अपनाएं रखें, इससे कामयाबी और संतोष प्राप्त होता है। यह उद्गार हरियाणा पुलिस अकादमी के निदेशक योगिन्द्र सिंह नेहरा ने आज उनके सम्मान में आयोजित विदाई समारोह में व्यक्त किए। वे सेना और पुलिस की 36 साल से अधिक सेवा के बाद रविवार को सेवानिवृत हुए। उन्होंने छात्र जीवन से ही वर्दी पहनकर सदैव अनुशासित और सत्यनिष्ठा से अपने कर्तव्य का निर्वहन किया।

निदेशक योगिन्द्र सिंह नेहरा ने अपने संबोधन में कहा कि उनके जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व रहा है। छात्र जीवन में वर्दी पहने का अवसर प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय इंडियन मिल्ट्री कॉलेज देहरादून में सबसे पहले वर्दी पहनी थी उसके बाद एनडीए, आइएमए, भारतीय सेना और इसके बाद पुलिस विभाग में वर्दी और अनुशासन साथ रहा। उन्होंने कहा कि वे सेना में 5 और पुलिस विभाग में 31 साल से अधिक के सेवाकाल के बाद आज संतुष्ट भाव से सेवानिवृत हो रहे हैं। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सच्चाई का मार्ग कठिन नहीं है केवल उस मार्ग पर चलने वाले को ईमानदारी और मजबूती के साथ आगे बढऩा चाहिए।

उन्होंने पुलिस विभाग में कामयाबी का श्रेय अपने साथ कार्य करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को देते हुए कहा की टीम भावना से कार्य करने से मुश्किल भी आसान हो जाती है। पुलिस विभाग ने उन्हें जनता की सेवा का महान अवसर प्रदान किया। इस अवसर का लाभ अगर निडरता और सच्चाई से कार्य करते हुए उठाया जाए तो विभाग एवं समाज दोनों से ही भरपूर प्रेम व सम्मान प्राप्त होता है। उन्होंने आह्वहान किया कि हमेशा सच्चा करने और कुछ अच्छा करने के प्रयास में लगे रहें। जहां और जिस स्थिति में हो वहां कुछ अच्छाई में बढ़ोतरी करें। इस अवसर पर हरियाणा सशस्त्र पुलिस के महानिरीक्षक हरदीप सिंह दून ने उन्हें स्मृतिचिन्ह भेंट किया। योगिन्द्र सिंह नेहरा को परंपरा का निर्वाह करते हुए फूलों से सुसज्जित खुली जिप्सी में पुष्पवर्षा करते सम्मान पूर्वक विदा किया। इस परंपरा अनुसार कर्मचारी व अधिकारी सेवानिवृत हो रहे अधिकारी की गाड़ी को इंजन बंद कर रस्से की सहायता से खींचते हुए उन्हें जीवन की दूसरी पारी के लिए शुभकामनाएं देते हैं।

इससे पूर्व हरियाणा सशस्त्र पुलिस के महानिरीक्षक हरदीप सिंह दून ने योगिन्द्र सिंह नेहरा की प्रशंसा करते हुए बताया कि वे एक ही बैच के हैं दोनों ने पुलिस उप अधीक्षक के रूप में पुलिस सेवा आरंभ की थी। उन्होंने कहा कि योगिन्द्र सिंह नेहरा अनुशासन और अपने कर्तव्य के प्रति सदैव गंभीर रहे हैं और इनके पुलिस सेवा में योगदान अनुकरणीय रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण बंद हुए पुलिस प्रशिक्षण को इन्होंने पूरी सफलता के साथ दोबारा आरंभ किया और शानदार दीक्षांत समारोह के माध्यम से हजारों प्रशिक्षणार्थियों जनसेवा में समर्पित किया। मधुबन परिसर में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में इनके प्रयासों की सराहना यहां के सभी कर्मचारी और अधिकारी करते हैं।

समारोह में अकादमी के पुलिस उप महानिरीक्षक डॉ अरूण सिंह ने अपने संबोधन कहा कि योगिन्द्र सिंह नेहरा को संपूर्ण व्यक्तित्व का धनी हैं। ऐतिहासिक परंपराओं, पुरानी इमारतों के संरक्षण के साथ-साथ लुप्त होती कलाओं और पहनावे को पुर्नजीवित करने में इनकी गहरी रूचि है।
इस अवसर पर एचएपी के आदेशक किरतपाल सिंह, आदेशक अशोक भारद्वाज, आदेशक कृष्ण कुमार, अकादमी के पुलिस अधीक्षक राजेश कालिया एवं अकादमी तथा एचएपी के पुलिस उप अधीक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

जीवन परिचय योगिन्द्र सिंह नेहरा

योगिन्द्र सिंह नेहरा का जन्म 5 फरवरी 1961 को पिता श्री सरजीत सिंह नेहरा एवं माता श्रीमती सतभोमा नेहरा निवासी गांव लहरियां जिला हिसार के संयुक्त व कर्मठ किसान परिवार में हुआ। अनुशासित जीवन किसानी के अनुभवों के साथ आगे बढ़ चला। राष्ट्रीय इंडियन मिल्ट्री कॉलेज देहरादून में शिक्षा पूरी कर पहले साढ़े पांच वर्ष भारतीय सेना में कमीशंड ऑफिसर बन कैप्टन बने देशसेवा की फिर वर्ष 1990 में पुलिस उप-अधीक्षक के पद पर समाजसेवा के लिए हरियाणा पुलिस सर्विसिज में शामिल हुए। राज्य सरकार में इनकी सेवा को साहसिक निर्णयों, कडी मेहनत, कार्य के प्रति समर्पण एवं बहुमुखी प्रतिभा के साथ पेशेवर दक्षता के कारण उच्चकोटि की श्रेणी में रखा गया।

पुलिस उप अधीक्षक पद पर कुरूक्षेत्र, सिरसा, भिवानी, राज्य सतर्कता ब्यूरो चण्डीगढ़, झंज्जर, सोनीपत, रेवाडी, गुरुग्राम व महेन्द्रगढ़ में विभिन्न पदों पर बेहतरीन कार्य किया। आरटीए महेन्द्रगढ़ भी रहे। 1 नवंबर 2002 को पुलिस अधीक्षक पदोन्नत होकर पुलिस अधीक्षक मेवात, भिवानी, कैथल, हिसार, कुरूक्षेत्र, पंचकूला, तृतीय वाहिनी हरियाणा सशस्त्र पलिस हिसार, गुरुग्राम, रोहतक, पुलिस अधीक्षक सुरक्षा चण्डीगढ़, सोनीपत व झंज्जर में शानदार निर्णय क्षमता से जनता में कानून के विश्वास को बढ़ाया। उग्रवाद के समय उन्होंने अपनी कार्यशैली से उनकी जड़ों पर प्रहार करके उनकी कमर तोडी। 28 फरवरी 2014 को पुलिस उप-महानिरीक्षक पद पर पदोन्नत हुए।

अक्तूबर 2016 में आइजी आइआरबी भौंडसी गुरुग्राम, आइजी करनाल रेंज, हरियाणा पुलिस अकादमी एवं दिसम्बर 2019 से निदेशक हरियाणा पुलिस अकादमी पद पर अपनी निर्णय क्षमता, नेतृत्व, कार्यशैली एवं जुझारूपन को पुन: साबित किया। सेवाकाल के दौरान अनेक धरने-प्रदर्शनों, चुनाव, कानून एवं व्यवस्था, स्थितियों पर नियंत्रण किया है साथ ही प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं माननीय राज्यपाल जैसे अति विशिष्ट व्यक्तियों के आगमन पर चाक चौबंद एंव सफल व नियंत्रण से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को संभाला है। उन्हें जून 2001 से मई 2002 तक संयुक्त राष्ट्र शांति सेना कोसोवो में भी सेवाएं दी है। इन्हें सराहनीय सेवाओं के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2012 में प्रतिष्ठित पुलिस मेडल से अलंकृत किया गया।

ऐतिहासिक परंपराओं, पुरानी इमारतों के संरक्षण के साथ-साथ लुप्त होती कलाओं और पहनावे को पुर्नजीवित करने में इनकी गहरी रूचि है। पुलिस प्रशिक्षण की जडों को तलाशनें के शानदार प्रयासों में प्रशिक्षण रिकार्ड का संग्रह एवं मधुबन से मुलाकात की तीन ऐतिहासिक कडिय़ों का प्रकाशन कराया। कोविड-19 महामारी के चरण पर भी इन्होंने विपरीत हालातों में पुलिस के प्रशिक्षण को न केवल दोबारा शुरू किया बल्कि उसे सफलतापूर्वक दीक्षांत परेड आयोजन तक पंहुचाया। यह इनके कुशल प्रबंधन व जीवटता का प्रमाण है।

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