राजहठ छोड़ समाधान की ओर बढ़े सरकार : दीपेंद्र हुड्डा

राजनीति से जुड़े लोग खुलकर दें किसानों का साथ : सोमबीर सांगवान
पांचवे दिन भी टोल फ्री, किसानों का बड़ा जमावड़ा।

चरखी दादरी जयवीर फोगाट

किसान संगठनों के साथ बुधवार को होने वाली बातचीत में केंद्र सरकार को सकारात्मक सोच दिखाते हुए राजहठ छोड़ समाधान की ओर बढ़ना चाहिए वर्ना आने वाला समय सरकार को भारी पड़ेगा। यह बात राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कितलाना टोल प्लाजा पर पांचवे दिन अनिश्चित कालीन धरने को समर्थन देते हुए अपने संबोधन में कही। उन्होंने कहा कि ठिठुरती ठंड में 34 दिन से देश का अन्नदाता सड़कों पर है और बड़े शर्म की बात है कि हुक्मरान कोठियों में हीटर लगा आराम फरमा रहे हैं। वो भूल रहे हैं कि देश के किसान और मजदूरों के कारण ही वो सत्ता की दहलीज पर पहुंचे हैं। उनके पास अब भी संभलने का वक्त है। इसलिए कल होने वाली बातचीत में सरकार लचीला रुख अपनाते हुए किसानों की मांगों को पूरी करने का ऐलान करें। हुड्डा ने कहा कि वो यहां सांसद ने नाते नहीं बल्कि किसान परिवार से संबंध रखने के कारण आये हैं। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून देश के किसानों और मजदूरों के लिए बड़ा खतरा है। इसलिए वो और उनके साथी किसानों के इस जनांदोलन में डटकर साथ देंगे।

 संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर खाप फौगाट के प्रवक्ता शमशेर फौगाट, खाप 40 सांगवान के सचिव नरसिंह डीपीई, जाटू खाप 84 के सचिव मास्टर राज सिंह, चौधरी छोटूराम और अम्बेडकर मंच के सह संयोजक मंगल सिंह बजाड़, किसान सभा के ओमप्रकाश सैनी के संयुक्त संयोजन में दिए जा रहे अनिश्चित कालीन धरने के दौरान पांचवें दिन भी टोल फ्री होने से जहां वाहन मालिकों को राहत मिली वहीं अभी तक टोल कलेक्शन पर लाखों की मार पड़ चुकी है। धरने पर कानून व्यवस्था संभालने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल लगातार तैनात है। खास बात ये रही कि शांतिपूर्ण चल रहे धरने में हर रोज किसान बढ़ रहे हैं। महिलाएं भी ट्रैक्टर में सवार हो धरने पर नारेबाजी करती देखी गई।                 

 धरने पर पहुंचे दादरी से निर्दलीय विधायक और खाप 40 के प्रधान सोमबीर सांगवान ने कहा कि तीनों काले कानून अंबानी-अडानी जैसे बड़े घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए कोरोना की आड़ में लाए गए हैं। सरकार को ये गलतफहमी रही कि लोग महामारी के कारण घर से नहीं निकलेंगे पर इन तीन कानूनों के खतरे भांप देश का किसान, मजदूर, व्यापारी और कर्मचारी एकजुट हो सड़कों पर उतर गए हैं। दिल्ली के चारों ओर धरने पर बैठे लाखों किसान इस बात का साफ संकेत दे रहे हैं, कि वो अब ओर शोषण सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वे समय किसानों के हाथ मजबूत करने का है। इसलिए सभी राजनैतिक लोगों को खुलकर किसान आंदोलन का साथ देना चाहिए।

 किसान नेताओं ने अपने संबोधन में कहा कि तीनों काले कानून लागू होने के बाद असीमित भंडारण की छूट मिलने से कालाबाजारी बढ़ेगी जिससे महंगाई सिर चढ़कर बोलेगी और गरीब व मध्यम वर्ग के लिए अपने बच्चे पालना मुश्किल हो जाएगा। मंडी व्यवस्था चरमरा जाएगी और किसान महज अपनी जमीन पर दास बनकर रह जाएगा। अनुबंध खेती का करार भी बड़ा खतरा है जिसमें विवाद होने पर एसडीएम कोर्ट में जाने का प्रावधान किया गया है। आम आदमी जानता है कि वहां सत्ता और पूंजीपतियों के आगे उनकी एक नहीं चलने वाली है। यही वजह है कि ये किसान आंदोलन बड़ा जनांदोलन बन गया है जिसमें सभी वर्ग शामिल हैं।             

 धरने के मंच संचालन कामरेड ओमप्रकाश ने किया। इस मौके पर पूर्व विधायक जयप्रकाश जेपी, युवा नेता राजू मान, युवा नेता अनिल धनखड़, अमन डालावास, विजय सिंह ठेकेदार, बलवंत नंबरदार, मास्टर शेर सिंह, कमल प्रधान,  अजित सिंह फौगाट, धर्मेन्द्र छपार, धर्मपाल बारवास, गंगाराम श्योराण, जयभगवान शर्मा, रणबीर फौजी, जोरावर सांगवान, रणधीर घिकाड़ा, प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह, सुनिल सांगवान, विक्रम श्योराण, सरपंच राजकरण, सतबीर सिंह, कमलेश भैरवी, निर्मला देवी, शीला बलियाली, अजित सिंह, बलबीर बजाड़, कप्तान भीम सिंह द्वारका, राजकुमार घिकाड़ा, कृष्ण फौगाट, रणधीर कुंगड़, सुंदर पहलवान, दलीप सिंह सांगवान, सुखदेव पालवास, रविन्द्र पप्पू छपार, सज्जन सिंगला, पूर्व सरपंच समुन्द्र सिंह ने भी अपने विचार रखे।

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