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निर्धारित वजन से अधिक बस्ते के बोझ जांच की रिपोर्ट डीईओ ने दबाई, शिक्षा निदेशालय ने दी गंभीर चूक पर डीईओ को चेतावनी
एक सप्ताह में 32 निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई कर रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय ने की तलब -स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने की थी केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को शिकायते

भिवानी, 01 दिसंबर। कक्षा पहली से बारहवीं तक पढ़ाई कर रहे बच्चों की पीठ पर बस्ते का निर्धारित से अधिक किताबों का बोझ लादने के मामले में सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय ने भिवानी जिला शिक्षा अधिकारी की क्लास लगाई है। दरअसल डीईओ ने शिक्षा निदेशालय द्वारा भिवानी जिले के 32 निजी स्कूलों के खिलाफ निर्धारित वजन से अधिक बस्ते का बोझ लादने के मामले में कार्रवाई के निर्देश देते हुए रिपोर्ट निदेशालय भेजे जाने के आदेश दिए थे, मगर डीईओ ने एक्शन रिपोर्ट ही दबा ली और निदेशालय के समक्ष कोई जवाब नहीं भेजा।

 स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि 08 अप्रैल 2019 को सीएम विंडों में शिकायत की थी। इस शिकायत पर शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों की जांच के लिए कमेटी बनाई। इस कमेटी ने विभिन्न स्कूलों का निरीक्षण कर 32 निजी स्कूलों में निर्धारित से अधिक बस्ते का वजन पाया गया। इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को शिकायत भेजी गई। जिस के बाद केंद्रीय मानव एवं विकास मंत्रालय ने 20 अगस्त को शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को इस मामले में कार्रवाई के आदेश दिए।

इसी दौरान बृजपाल सिंह परमार ने जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जिला शिक्षा अधिकारी से इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी। आरटीआई का कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद 12 नवंबर 2020 को राज्य सूचना आयोग ने मामले में सुनवाई करते हुए शिक्षा निदेशालय को फटकार लगाई और जल्द से जल्द सूचना देने के आदेश दिए। इसी के बाद शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने जिला शिक्षा अधिकारी भिवानी को इस मामले में पत्र जारी कर निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई रिपोर्ट नहीं भेजे जाने में गंभीर चूक बताते हुए एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट निदेशालय को उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए।

बृजपाल सिंह परमार ने आरोप लगाया कि डीईओ ने निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत कर जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की और एक्शन रिपोर्ट को ही दबा दिया। इसी मामले में आरटीआई मांगी थी, जिसका भी कोई जवाब नहीं दिया। अब निदेशालय ने डीईओ की गंभीर चूक पर पत्र जारी किया है और एक सप्ताह में जवाब तलब भी किया है।

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