रमेश गोयत

चंडीगढ़/ नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र में तीन अध्यादेश के खिलाफ उठे देश के किसानों के आंदोलन को लेकर पंजाब हरियाणा से एनसीआर क्षेत्र में शुक्रवार को दिल्ली में जाने के लिए सभी बॉर्डर पर वाहनों का काफी दबाव रहा। सैंकड़ों वाहन जाम में फंसे रहे। तीन अध्यादेश के विरोध में किसानों के दिल्ली कूच को लेकर एनसीआर में पुलिस काफी सक्रिय है।

दिल्ली में दूसरे दिन भी किसान और जवान के बीच नोक झोंक देखने को मिली तो वही बाहरी दिल्ली के टिकरी बॉर्डर और सिंधु बॉर्डर पर ‘किसान कूच’ को लेकर जहां दिल्ली पुलिस की तरफ से सड़कों पर बैरिकेटिंग द्वारा नाकाबंदी कर दी गई वही किसान टैक्टर, पैदल मार्च के सहारे दिल्ली के जंतर मंतर पहुँचने पर अड़े रहे जिसको लेकर प्रदर्शन कर रहें किसानों पर पुलिस बल का भी प्रयोग किया गया और आँशु गैस के गोले छोड़े गए साथ ही हवाई फायरिंग भी की गई। दिल्ली पुलिस ने भी दिल्ली सरकार से किसानों को रोकने के लिए स्टेडियम की माँग की थी। जिसपर आम आदमी पार्टी ने स्टेडियम ना देने पर साफ मना कर दिया आम आदमी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने साफ तौर पर कहा किसान अन्नदाता कोई आतंकवादी नही है जिनको गिरफ्तार करने के लिए प्रसाशन इतनी मुस्तैदी दिखा रहा है।

उन्होंने कहा केंद्र में बैठी मोदी सरकार किसानों पर जुल्म कर रही है तानाशाही रैवये से किसानों को रोकना चाहती है जबकि अपनी मांगों को लेकर कोई भी प्रदर्शन कर सकता है। किसान भी लोकतांत्रिक रूप से इस प्रदर्शन में अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे है।किसानों का उग्र प्रदर्शन देख केंद्र सरकार ने किसानों के सामने घुटने टेकते हुए उनको दिल्ली के बुराड़ी संत समागम मैदान में शांति पूर्ण प्रदर्शन की अनुमति दे दी है। वही किसानों के आंदोलन को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है किसान और जवान के आमने सामने की टक्कर को लेकर विपक्षी दल के बड़े नेता ट्यूटर पर मोदी सरकार को किसान विरोधी सरकार बताने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। दिल्ली से सटे राज्य पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान से आने वाले किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस, बीएसफ,सीआईएसएफ के जवान पूरी मुस्तैदी पसीना बहाते नजÞर आए। फिलहाल दिल्ली में किसानों को प्रदर्शन करने इंट्री मिल गई है।

मोदी सरकार अन्नदाताओं के लोकतांत्रिक प्रदर्शन को विफल करने की पूरी कोशिश कर रही है किसान सड़क पर है और मोदी सरकार उनपर लाठियां बरसा रही है। अन्नदाताओं के खिलाफ बनाए गए इस काले कानून को केंद्र सरकार को वापस लेना चाहिए।

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