किसान नेताओं की अवैध गिरफ्तारी पर माननीय हाईकोर्ट याचिका में जवाब तलब

जयवीर फोगाट,26 ,11,2020 – दिल्ली कूच से 2 दिन पहले बिना किसी नोटिस और वारंट के रात को किसान नेताओं के घर में दबिश देकर फर्जी मुकदमे बनाकर दमनकारी कार्रवाई के विरुद्ध किसानों ने माननीय हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है।

बहादुरगढ़ से प्रदेश अध्यक्ष अखिल हरियाणा न्यूनतम समर्थन मूल्य संघर्ष समिति प्रदीप धनखड़, मास्टर जयकरण मांडोठी, प्रवीण दलाल, रोहतक से भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष, जगबीर जसोला, रवि आजाद किसान न्याय यात्रा से जुड़े साथियों की गिरफ्तारी से आहत डॉ शमशेर सिंह पीड़ित किसान परिवार के नजदीकी व्यक्ति के माध्यम से जनहित याचिका बुधवार को ही दाखिल करा दी थी।

इस सबका मंगल हो बनाम हरियाणा सरकार याचिका पर माननीय हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस निदेशक और हरियाणा सरकार से रिपोर्ट तलब की है। 26 Nov कोही कोर्ट में सुनवाई का दिन निश्चित कर दिया गया है। किसानों के हितेषी डॉ शमशेर ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा DK Bassu बनाम यूनियन ऑफ इंडिया ऐतिहासिक फैसले में किसी भी किसान या आम नागरिक को बिना नोटिस और कोर्ट वारंट के केवल अंधे से के आधार पर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता की व्यवस्था की गई थी। इस फैसले की अवमानना पर पहले से हरियाणा सरकार मुख्यमंत्री अवमानना याचिका प्रक्रिया में हाईकोर्ट के समक्ष पेश होने बाकी थे।

रात के अंधेरे में किसानों के दिल्ली कूच आंदोलन को कुचलने के लिए दमनकारी नीति अपनाते हुए जिस तरीके से कानून को ताक में रखकर फर्जी केस के आधार पर गिरफ्तारियां की गई वह प्रदेश में बिना घोषणा की इमरजेंसी युग की पुनरावृति है। घर से गिरफ्तार कर सार्वजनिक जगह पर हाजिरी दिखाकर उप मंडल अधिकारी मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष गिरफ्तार किसान नेताओं के वकीलों को भी जमानत लेने के अवसर से एक षड्यंत्र के तहत वंचित रखा गया। बिना परिवार को सूचना और न्याय प्रक्रिया के हक को छीन कर बेकसूर लोगों को 27 तारीख तक जेलों में ठूंस दिया गया। किसान नेता प्रदीप धनखड़ हृदय रोग एवं कामरेड जयकरण मांडोठी मधुमेह के साथ अन्य गंभीर रोगों के इलाज पर थे लेकिन उनकी स्वास्थ्य जांच नहीं करा कर उनके जीवन के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है। सादी वर्दी में कई शहरों में गुंडों की तरह घरों में प्रवेश कर किसान नेताओं को दबिश देकर अपराधियों की तरह घर से उठाकर गिरफ्तार करना हरियाणा में लोकतंत्र की हत्या का मार्मिक दृश्य बन के रह गया जिसकी विपक्ष ने भी कड़े शब्दों में निंदा की है।

35 ऐसे ही गिरफ्तारी आंकड़ों को माध्यम बनाकर न्याय की उम्मीद के साथ सरकार पर कानून उल्लंघन और मौलिक अधिकारों के हनन के जुर्माने की भी किसानों के अधिवक्ता प्रदीप रापड़िया ने प्रार्थना लगाई हुई है। किसी भी किसान नेता के स्वास्थ्य जान से खिलवाड़ होने की हालत में जिम्मेदारी संबंधित पुलिस अधिकारी, गुप्त चर विभाग और स्थानीय प्रशासन के सक्षम अधिकारियों की रहेगी। कोरोना महामारी की आड़ में सरकार किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून की मांग और किसानों के मुद्दों की आवाज को कुचलने के असफल प्रयास कर रही है।

राष्ट्रीय आंदोलन में हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के कारण मोदी की किसान विरोधी नीतियों को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री खट्टर ने हरियाणा को गलत प्रयोगों की प्रयोगशाला बना कर छोड़ दिया है। किसान नेता नहीं बिना पहचान बिना नोटिस बिना वारंट किसी भी रिहाई से क्षेत्र में किसी किसान के गडरिया गली में पुलिस के प्रवेश वर्जित के लिए नागरिकों को जागरूक रहने के लिए आह्वान किया है। यदि आवश्यक हो तो पुलिस अधिकारी की बिना आधार पर गिरफ्तारी के लिए नियुक्त अधिकारी की बेल्ट संख्या लेकर तुरंत 100 नंबर की कॉल या सतर्कता विभाग को सूचना से पहले फोन से वीडियो रिकॉर्डिंग अपने पास परिवार रखें लेकिन किसी भी सूरत में देश के स्थापित कानून के उल्लंघन पुलिसिया स्थानीय प्रशासन के हाथों आम नागरिकों का नहीं होने देने के लिए नागरिकों को आगे आना होगा।

107/151 धाराओं के तहत तुरंत जमानत का प्रावधान होता है लेकिन पूर्वाग्रह से गलत मुख्यमंत्री ने हरियाणा के सभी एसडीएम को कानूनी पक्ष नहीं सुनकर अवैध रूप से झूठे मामले बनाकर किसान नेताओं को निशाना बनाते हुए गिरफ्तारी के गलत आदेश दिए थे। शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का सभी नागरिकों को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है जिसको समय-समय पर सभी राजनीतिक दल अपने हितों के लिए प्रयोग करते हैं। किसान और राजनीतिक लोगों पर देश के कानून अलग अलग नहीं हो सकते।

महामारी के दौरान उप मुख्यमंत्री की रैलियों को सरकार का गैरकानूनी जमावड़े को भी संरक्षण प्रदेश की जनता में आक्रोश का कारण बना हुआ है। याचिकाकर्ता ने सरकार से तुरंत गिरफ्तार किसानों को रिहा करने की मांग उठाई है। कोई भी पुलिस अधिकारी बिना लिखित आदेश अपने कैरियर को दांव पर लगाकर सरकार की गलत नीति का हिस्सा बनने से बचें और लोकतंत्र की रक्षा में सहयोग करें।

गिरफ्तार किसान नेताओं का कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। यह केवल किसानों के अधिकारों की समय-समय पर सरकार के सामने लोकतंत्र तरीके से आवाज उठाने का जनहित में कार्य करते हैं जिनको पुरस्कार के बजाय अवैध गिरफ्तारियां सरकार की तरफ से समाज में गलत संकेत दे रहे हैं। सभी कार्य स्थानों पर सरकारी कर्मियों विद्यार्थियों और आम नागरिकों से 26 नवंबर पर बाजू पर काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्वक गिरफ्तार किसानों के समर्थन में प्रदर्शन की अपील जारी की गई है। माननीय हाई कोर्ट पंजाब एंड हरियाणा के बार काउंसिल के वरिष्ठ अधिवक्ता इस मामले में लोकतंत्र के संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए कार्य योजना बना रहे।

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