एमएलए का एमएसपी

न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी सिर्फ फसलों का ही क्यों तय हो? सरकारे्र बनाने और गिराने के इस युग में विधायकों के लिए भी एमएसपी तय की जानी चाहिए। इस मंहगाई के जमाने में बिना एमएसपी के विधायकों का समर्थन पाना-खरीदा जाना या यंू कहें कि उनको अपना बनाना अत्यंत विकट कार्यक्रम हो गया है। उनकी किस्म किस्म की बातें माननी पड़ती हैं। जनहित की आड़ में उनके घर कुनबे के लोगों के वारे न्यारे करने पड़ते हैं। किसी को किसी बोर्ड-निगम का चेयरमैन तो किसी को मंत्री बनाना पड़ता है। किसी के बच्चों को एजी आफिस में लगाना पड़ता है। न जाने क्या क्या-कैसे कैसे काम-शर्ते करने-मानने-जानने पड़ते हैं। उसके बावजूद हालात ऐसे हो जाते हैं कि कई विधायकों को सरकार से ये गिला शिकवा रहता है कि खरीद एमएसपी पर नहीं हुई। कोई किसानों की आड़ में अपना दर्द बयान करता है तो कोई कर्मचारी उत्पीड़न के नाम पर सरकार को घेरता है। कोई किसी ढंग से तो कोई किसी रंग में सरकार को कोसता है। एमएसपी न मिलने से दुखी ये आत्माएं बिलबिलाते हुए कह रही हैं:

हमने भी बाजार में अपना खून पसीना एक किया
रिश्वत क्यों कहते हो यारों थोड़ी सी दस्तूरी को
जंगल जंगल ढूंढ रहा है मृग अपनी कस्तूरी को
कितना मुश्किल है तय करना खुद से खुद की दूरी को

जनसेवा का विकल्प

दीपेंद्र सिंह के ढेसी के एचईआरसी के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने के बाद कुछ रिटायर्ड अफसरों को जनसेवा करने का एक अन्य विकल्प भी मिल गया है। ढेसी अब मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव हो गए हैं। रिटायर्ड अफसरों के पास इस से पहले राईट टू सर्विस कमीशन के चीफ कमीशनर के तौर पर जनसेवा का विकल्प है। कई रिटायर्ड अफसरों ने इस पद पर जनसेवा करने-उनको सेवा का एक मौका फिर से देने-आजमाने के लिए आवेदन कर रक्खा है। अब देखना है कि सरकार कितनी जल्दी इन पदों पर तैनाती के काम को अंजाम तक पहुंचाती है।

सदन संदेश

हरियाणा विधानसभा के तेजतर्रार अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता की पहल पर विधानसभा की गतिविधियों की जानकारी देने के लिए सदन संदेश नामक मासिक पत्रिका शुरू की गई है। इसमें कई उपयोगी जानकारियां दी गई हैं। बेहतर होगा कि इस पत्रिका को हरियाणा के पूर्व विधायकों को भी महुैया करवाया जाए और उन के विभिन्न लेखों-संस्मरणों को भी इसमें प्रकाशित किया जाए।

लंबी रेसा का घोड़ा

मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रहे राजेश खुल्लर के अमेरिका जाने के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय काफी हद तक शुष्क और रूखे लोगों का समूह हो गया था। अब यहां आईएएस अधिकारी अमित अग्रवाल की एंट्री हो गई है। उनको मुख्यमंत्री का उपप्रधान सचिव बनाया गया है। वर्ष 2003 बैच के आईएएस अधिकारी कई जिलों के डीसी रहने के अलावा ईटीसी भी रह चुके हैं। अपने यहां आने वाले आगंतुकों-फरियादियों को आईए जी-बैठिए जी-बतलाइए जी-फरमाइए जी, कहने वाले अमित अग्रवाल लंबी रेस के घोड़े हैं। अमित के व्यक्तित्व में राजेश खुल्लर और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुडडा के समय सीएमओ में रहे केके खंडेलवाल की कई खूबियों का मिश्रण है। व्यवहार कुशल और मददगार स्वभाव के अधिकारी अमित का मानना है कि अगर कुर्सी पर बैठे अधिकारी पीड़ित की बात ध्यान से सुन भर ही लें तो पीड़ित का आधा दर्द कम हो जाता है। इस हालात पर कहा जा सकता है:

ये दिल कुटिया है संतो की यहां राजा और भिखारी क्या
वो तो हर दीदार में जरदार है गोटा और किनारी क्या
ये काटे से नहीं कटते, ये बांटे से नहीं बंटते
नदी के पानियों के सामने आरी और कटारी क्या

रणदीप सुरजेवाला

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की छह सदस्यीय सलाहकार समिति के सदस्य और पूर्व मंत्री रणदीप सुरजेवाला का पार्टी में काम बेशक अब पहले से कई गुना बढ गया हो,लेकिन वो हरियाणा के मामलों पर पैनी नजर रखते हैं। हरियाणा में जहरीली शराब से लोगों की मौत होने और सरकारी मैडीकल कालेज की फीस में कई गुना बढौतरी होने के मामलों में रणदीप ने हरियाणा सरकार पर तीखा हमला बोला। वो सरकार को घेरने का कोई मौका भी नहीं चूकते और अपनी सियासी सक्रियता हरियाणा में बरोबर बनाए हुए हैं।

फरियाद मंत्री

गृहमंत्री अनिल विज ने अपने कारनामों से हरियाणा में अपनी अलग छाप और छवि बना रखी है। उनके पास सब मंत्रियों से ज्यादा फरियाद और शिकायतें आती हैं। इसकी एक वजह ये है कि लोगों को कुछ हद तक तसल्ली है कि विज के पास अगर वो फरियाद करेंगे तो उस पर जरूर गौर किया जाएगा। विज की ऐसी विश्वसनीयता सी बन गई है कि कई दुखी:आत्माएं तो उनको को शिकायत सौंपने के कुछ दिन बाद ही आरटीआई लगा कर पूछ लेते हैं कि उन्होंने फलां तारीख को लिखित फरियाद दी थी उस पर अब तक क्या एक्शन लिया गया है? विज के यहां से भी उस आरटीआई का झट से जवाब दे दिया जाता है कि आपकी शिकायत फलां विभाग-अधिकारी को भेज दी गई है, आगे आप जानें, अगला जानें और आपकी तकदीर जाने। हमना तो अपना काम तभी कर दिया था। इतना त्वरित काम करने वाले अनिज विज एकमात्र काबिल मंत्री हैं

उपचुनाव

बरोदा उपचुनाव के बारे में कई तरह की परस्पर विरोधी बातें की जा रही हैं। बरोदा उपचुनाव का हरियाणा की सियासत पर गहरा असर होने जा रहा है। सरकार के ही कई लोग इस इंतजार में-ताक में बैठे हैं कि एक दफा सरकार वहां से हारे तो वो अपना स्वर सरकार के खिलाफ बुलंद करें। बरोदा उपचुनाव के इंचार्ज व कृषि मंत्री जेपी दलाल और भाजपा अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने तो मतदान होने के अगले दिन चंडीगढ में बाकायदा प्रैस कांफ्रैंस करके बरोदा में भाजपा की प्रचंड जीत का दावा किया है। इस हालात पर कहा जा सकता है:

मुंह की बात करे हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन
आवाजों के बाजारों में खामोशी पहचाने कौन
सदियों सदियों वही तमाशा,रस्ता रस्ता लंबी खौज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं खो जाता है जाने कौन
वो मेरा आइना है और मैं उसकी परछाई हंू
मेरे ही घर में रहता है मुझ जैसे ही जाने कौन

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