कुरुक्षेत्र, 07 नवंबर। शोध के आधार पर भविष्यवाणियों हेतु हमें  साहित्यिक चोरी के बिना डेटा सीमाओं को कम और डेटा बेस को मजबूत करना होगा। ये शब्द कुरुक्षेत्र निवासी प्रोफेसर एम.एम. गोयल पूर्व कुलपति तथा नीडोनॉमिस्ट ने कहे। वह पानीपत इंस्टीट्यूट आॅफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (पीआईईटी) समालखा में एआईसीटीई  द्वारा प्रायोजित तीसरा आॅनलाइन शॉर्ट-टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम (एसटीटीपी) के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे जो आज संपन्न हुआ।

उनका विषय नैतिक परिप्रेक्ष्य के साथ सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में चुनौतियां था। डॉ. अखिलेश मिश्रा कार्यक्रम समन्वयक ने स्वागत सम्बोधन  और प्रो. एमएम. गोयल की उपलब्धियों का प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया। प्रोफेसर गोयल का मानना है कि अनुसंधान में चुनौतियों के नैतिक दृष्टिकोण को संबोधित करने हेतु हमें सामाजिक विज्ञानों के सांख्यिकीय पैकेज (एसपीएसएस) की मदद से डेटा की व्याख्या करनी चाहिए जो कि आवश्यक है लेकिन पर्याप्त नहीं और नीतिगत निहितार्थ निकालने हेतु उचित विश्लेषण के लिए कहता है।

प्रोफेसर गोयल ने बताया कि 95 प्रतिशत स्तर पर कई डिस्कनेक्ट के साथ टी-मूल्य के महत्व की बजाये   नीतिगत उन्मुखीकरण अनुसंधान की आवश्यकता है। प्रोफेसर गोयल का मानना है कि सामाजिक विज्ञानों में शोध एक गधे की तरह का काम है, जिसके लिए बुद्धि लब्धि(आईक्यू) से अधिक भावनात्मक गुणक (ईक्यू) के साथ मेहनती शोधकर्ताओं की आवश्यकता होती है जो वर्तमान समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई ) का उपयोग करते हुए कंप्यूटर के पास है।

प्रोफेसर गोयल ने कहा कि अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए शोधकर्ताओं को स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्रवाई उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) होना चाहिए। प्रोफेसर गोयल ने बताया कि अनुसंधान की गुणवत्ता का आधारभूत संरचना, शोधकर्ताओं की प्रतिबद्धता के साथ सीधा संबंध है और शोध करने हेतु क्षमता, इच्छा और आनंद आवश्यक है।

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