मथुरा के नंद बाबा मंदिर में नमाज के बाद उपजा फसाद.
मंदिर में नमाजी के कोरोना पॉजिटिव से ताजा हुआ मरकज

फतह सिंह उजाला

पूरी दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां सभी धर्म, वर्ग, संप्रदाय को एक बराबर धार्मिक आजादी संविधान में प्राप्त की गई है । लेकिन यह आजादी लक्ष्मण रेखा तक ही सीमित है । लक्ष्मण रेखा एक सनातनी और वैज्ञानिक तथ्य होने के साथ-साथ ऐतिहासिक सत्य भी है। कि जहां भी लक्ष्मण रेखा खींची गई , उसे पार करना गंभीर तम अपराध की श्रेणी में आता है । फिर मामला चाहे मूलभूत अधिकारों का हो, अभिव्यक्ति की आजादी का हो या फिर धार्मिक आजादी का हो। कहा भी गया है कि जहां दूसरे की नाक आरंभ हो जाए वही सामने वाले के अधिकार भी स्वमेव समाप्त हो जाते हैं ।

बहरहाल सीधी बात करते हैं जिहाद की । मुस्लिम समुदाय और मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवी अपने-अपने हिसाब से जिहाद को परिभाषित करते आ रहे हैं । सवाल यह है कि यह जिहाद क्या, किसी भी फसाद को करने की किसी को भी आजादी देता है । देश में धार्मिक सामाजिक, आर्थिक सहयोग और सौहार्द की अनेकानेक मिसाल है । ऐसी मिसाल शायद ही दुनिया के किसी अन्य देशों में भी देखने को मिल सके। लेकिन कथित रूप से जिहाद की आड़ में सांप्रदायिक सौहार्द ,सामाजिक भाईचारा, धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करना, अमान्य धार्मिक स्थलों पर नमाज अदा करना कितना उचित है ?  आज के माहौल को देखते हुए तेजी से बेकाबू हो रहे आपसी भाईचारे ,सामाजिक सौहार्द से महत्वपूर्ण देश की एकता-अखंडता के लिए गंभीर चिंतन और मंथन का विषय बनता जा रहा है । जिहाद को आतंकवादी सबसे अधिक मोहब्बत भी करते हैं , दूसरी ओर सभी धर्म, वर्ग, संप्रदाय के बुद्धिजीवी वर्ग अपराध, अपराधी और आतंक की किसी भी जाति अथवा वर्ग विशेष का होने से इनकार करने का दावा ठोकते आ रहे हैं । लेकिन बीते कुछ वर्षों से और हालिया मथुरा में  नंद बाबा मंदिर प्रकरण को देखें तो इस पूरे जिहाद के फसाद में ऐसा क्या कारण है कि मुस्लिम नाम ही सामने आ रहे हैं ? अपवाद स्वरूप अन्य धर्म ,वर्ग संप्रदाय के नाम भी सामने आए हैं । लेकिन  जिस वर्ग अथवा संप्रदाय का नाम सबसे अधिक पूरी दुनिया में इस समय सभी के सामने हैं ,वह किसी से छिपा भी नहीं है ।

बीते कुछ दिनों से मामला बल्लभगढ़ से आरंभ हुआ मेवात से भी जुड़ा, अहीरवाल के लंदन कहलाने वाले रेवाड़ी शहर से पहुंचते हुए यह जिहाद रूपी फसाद सीधा मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली तक पहुंच गया । भगवान श्री कृष्ण को ब्रह्मांड में 16 कला संपूर्ण कहा गया है । भगवान श्री कृष्ण के अलावा अन्य कोई भी देव 16 कला संपूर्ण नहीं कहा गया है । सवाल यह है कि आखिर वह कौन सी मानसिकता और कारण रहे कि नंद बाबा मंदिर परिसर में धोखे से नमाज अता की गई ? जबकि मुस्लिम धर्मगुरु इस्लाम का हवाला देते हुए दावा करते आ रहे हैं कि मस्जिद और ईदगाह के अलावा अन्य किसी स्थान पर नमाज अता फरमाना कुबूल नहीं माना जाता है । वहीं यह भी देखा गया है कि चलती ट्रेन हो, प्लेटफार्म हो या फिर ईद का मौका हो, मुस्लिम समुदाय अपनी सुविधा के मुताबिक खुले में और सार्वजनिक रूप से भी नमाज करता करते आ रहे हैं । गुरुद्वारा, मंदिर, चर्च , मस्जिद या फिर ईदगाह में इबादत और पूजा अर्चना किसी भी व्यक्ति के लिए उसकी आस्था का और धार्मिक आजादी के रूप में पूजा पाठ सहित इबादत का अधिकार प्रदान करता है ।

सीधी और साफ बात करते हैं मथुरा के नंद बाबा मंदिर में नमाज अदा करने के लिए जो तरीका अपनाया गया , वह धोखेबाजी अथवा धोखा देने वाला ही तरीका है । अपने ईष्ट के प्रति पूजा पाठ , इबादत करते हुए ऐसी क्या मजबूरी, कि धोखे को हथियार बनाया जाए या सहारा लिया जाए ? ऐसे कितने उदाहरण हैं कि आपदा के समय में मंदिर , मस्जिद, गुरुद्वारे, गिरजाघर बिना जात पात, धर्म , वर्ग संप्रदाय को पूछे पीड़ितों के संरक्षण और सहायता के लिए खोले गए और खोले जाते रहेंगे । फिर वह कौन सी शक्तियां और मानसिकता है जोकि देश ही नहीं दुनिया में अपना दबदबा दिखाने अथवा वर्चस्व स्थापित करने के लिए लालायित दिखाई दे रही हैं । ऐसे मामलों में जब सभी जगह मुस्लिम शब्द अथवा नाम सामने आता है तो फिर किए जाने वाले कृत्य को भी किस उद्देश्य और लक्ष्य को लेकर किया गया , यह जानना भी आवश्यक हो जाता है ।

मथुरा के नंद बाबा मंदिर परिसर में धोखे से नमाज अदा करने वालों में से एक आरोपी का कोविड-19 पॉजिटिव पाया जाना मरकज की याद को ताजा करा गया। कोरोना काल के आरंभ में ही दिल्ली के मरकज में जमातियों का एकत्रित रहना और उसके बाद आज जो हालात बेकाबू है, उन्हें भी अनदेखा नहीं किया जा सकता । मथुरा के नंद बाबा मंदिर में धोखे से नमाज अदा करना और फिर फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करना  जैसी कृत्य के पीछे की शक्तियों सहित साजिश कर्ताओं के साथ-साथ फंडिंग करने वाले चेहरों को भी देख नकाब किया जाना जरूरी है ।

जिहाद के साथ-साथ कट्टरपंथी लोगों सहित विचारधारा पर तीखी प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए काशी सुमेरु मठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती का साफ-साफ कहना है कि मामला चाहे पालघर का हो , लव जिहाद का हो या फिर अब नंद बाबा मंदिर परिसर का हो । कट्टरपंथी कभी भी सुधरने वाले नहीं हैं । उन्होंने साफ-साफ कहा हिंदुओं और सनातन अनुयायियों की सहनशीलता को कट्टरपंथी सहनशीलता ही समझे । भारत की सनातन संस्कृति दुनिया में एकमात्र ऐसा उदाहरण है कि जब भी राक्षसी प्रवृत्ति के आततायियों ने लक्ष्मण रेखा को पार किया तो साधु ,संतों, ऋषि-मुनियों ने ही धर्म की रक्षा के लिए सबसे पहले शस्त्र भी उठाया है । कट्टरपंथियो के लिए केवल दो नाम ही बहुत हैं , एक भगवान परशुराम और दूसरे 16 कला संपूर्ण भगवान श्री कृष्ण । इनके पराक्रम और धर्म सहित सत्य की रक्षा के लिए जो कुछ किया  गया , यह एक ऐसी लक्ष्मण रेखा जो जिहादियों और आधुनिक आतताइयो को दिखाई नहीं दे रही ।

इसी कड़ी में गीता सहित अन्य वेदों के मर्मज्ञ संस्कृत के विद्वान महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज का कहना है कि धर्म ,कर्म, पूजा पाठ अर्चना या फिर इबादत । यदि इस कृत्य में भी धोखे का सहारा लिया जाए या धोखा दिया जाए तो वह सीधे-सीधे अपने ही धर्म , संप्रदाय के साथ-साथ स्वयं को भी दिया जा रहा सबसे बड़ा धोखा है । ऐसे कुकृत्य से सामाजिक और धार्मिक सौहार्द बिगड़ना संभावित है । यह भी याद रखना चाहिए की बिगड़ तो कुछ भी पल भर में जाता है लेकिन बनाने और संवारने में सदियां बीत जाती हैं । विश्व हिंदू परिषद के  जिला अध्यक्ष अजीत सिंह सीमांत क्षेत्रों से लेकर मथुरा के नंद बाबा मंदिर प्रकरण सहित लव जिहाद को कट्टरपंथियों की हिंदुत्व और सनातन संस्कृति को नष्ट करने की दूरगामी रणनीति का गहरा षड्यंत्र ठहराते हैं । अजीत सिंह के मुताबिक पीएम मोदी दुनिया के तमाम देशों के मंच से सभी को आतंकवाद के प्रति आगाह करते आ रहे हैं । नई रणनीति के तहत अब जिहाद को भी शामिल कर लिया गया है ।

इस जिहाद का चेहरा लव जिहाद, हत्या और धार्मिक जिहाद के नए चेहरे के रूप में सामने आकर हिंदुत्व और सनातन के लिए चुनौती देने लगा है । ऐसे में पीएम मोदी , गृह मंत्री अमित शाह और केंद्र सरकार को अविलंब नोटबंदी की तरह ही जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू कर देना चाहिए।

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