वीरवार देर रात करेंगे घोषित

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

बरौदा उपचुनाव अब यौवन की ओर अग्रसर होने लगा है। आज सारा दिन कांग्रेस के प्रदेश के नेता कांग्रेस हाइकमान से और भाजपा के प्रदेश नेता भाजपा हाइकमान से टिकट लिए संपर्क में रहे। दोनों पार्टियों में उम्मीदवार के लिए सर्वसम्मति नहीं बन पा रही। अपने-अपने दांव-पेंच खेले जा रहे हैं।

भाजपा की बात करें तो कल भी हमने लिखा था कि मुख्यमंत्री ने योगेश्वर दत्त की पीठ थपथपा रखी है और आज मुख्यमंत्री उसी के पक्ष में लॉबिंग करते नजर आए। उन्होंने सभी खिलाडिय़ों को एकत्र कर उनसे मांग कराई कि टिकट योगेश्वर दत्त को मिलनी चाहिए। इधर सारा दिन भाजपा के कपूर सिंह नरवाल चर्चा का विषय बने रहे। चर्चा आती रही कि वह भाजपा छोड़ कांग्रेस से टिकट ले रहे हैं लेकिन अभी उन्हें कांग्रेस से भी टिकट मिली नहीं है। हालांकि यह अवश्य माना जा रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा उन्हें टिकट देने के पक्ष में हैं।

इधर भाजपा में यह माना जा रहा है कि भाजपा की टिकट की लाइन में भी वह हैं और भाजपा पर दबाव बना वह भाजपा की टिकट पा सकते हैं।

उधर प्रदेश अध्यक्ष की बात खुलकर तो सामने नहीं आई है कि वह किसे टिकट दिलाना चाहते हैं लेकिन यह अवश्य सामने आ रहा है कि वह किसी जाट को टिकट दिलाना चाहते हैं। कुल-मिलाकर भाजपा दिल्ली कार्यालय में खबर लिखने के समय भी मंथन का दौर चल रहा था।

अब बात करें कांग्रेस की तो अब तक कांग्रेस की ओर से और भाजपा की ओर से यही माना जा रहा था कि यह चुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा की साख से जुड़ा हुआ है और वह सर्वेसर्वा हैं, किंतु आज दिल्ली दरबार में प्रदेश अध्यक्ष शैलजा की ओर से मांग उठाई गई कि वर्तमान समय में कांग्रेस की टिकट किसी किसान को देनी चाहिए। अर्थात वहां भी निर्णय अभी तक हो नहीं पा रहा है। मंथन वहां भी जारी है। देर रात निर्णय घोषित करना ही पड़ेगा। अत: आज रात उम्मीदवार की घोषणा हो जाएगी।

राजनैतिक चर्चाकारों में चर्चा है कि दोनों ही दल अंदर से इस चुनाव में डरे हुए हैं। कांग्रेस की ओर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भविष्य का सवाल है और भाजपा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का सम्मान दांव पर लगा है। कारण है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो अपने पुराने क्षेत्र और अपने साथियों और जनाधार के आधार पर चुनाव लड़ रहे हैं और मुख्यमंत्री मनोहर लाल कह रहे हैं कि वह अपने विगत कार्यों के ऊपर चुनाव लड़ेंगे, जबकि प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि मोदी के नाम, तीन तलाक, राम मंदिर, धारा-370, किसान अध्यादेश के नाम पर चुनाव लड़ेंगे। विरोधाभास स्पष्ट नजर आ रहे हैं।

अब तक हरियाणा में यह माना जाता रहा है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकियां हैं और नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री पर पूर्ण विश्वास करते हैं। परंतु वर्तमान टिकट वितरण में जिस प्रकार मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अपनी पसंद के उम्मीदवार को टिकट दिलाने के लिए लॉबिंग करनी पड़ रही है, वह यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री के कार्यों को देखते हुए शायद प्रधानमंत्री मोदी का विश्वास मुख्यमंत्री से कुछ घटा है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा अब तक यह समझ रहे थे कि बरौदा उपचुनाव में वह ही सभी निर्णय करेंगे और कांग्रेसजन ही नहीं भाजपा वाले भी यही मानकर चल रहे थे कि जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा चाहेंगे वही होगा परंतु आज के घटनाक्रम से वह बात मिथ्या साबित होती लग रही है। अबजब टिकट की घोषणा होगा तो पता लगेगा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी पसंद के उम्मीदवार को टिकट दिला पाते हैं कि नहीं।

टिकट घोषणा के पश्चात पता चलेगा कि दोनों पार्टियों में किस नेता की कितनी चली और टिकट मिलने के पश्चात अन्य टिकटार्थी अपने उम्मीदवार के साथ जाते हैं या नहीं। कितने दल बदलने की सोचते हैं या कितने निष्क्रिय होकर बैठने की।

यह बात आम कार्यकर्ताओं और टिकटार्थियों पर ही लागू नहीं होती, यह बात दोनों पार्टियों के प्रदेश के नेताओं पर भी लागू होती है। जैसे कांग्रेस में यदि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पसंद के उम्मीदवार को टिकट नहीं मिला तो परिणाम जींद उपचुनाव जैसे भी हो सकते हैं, जबकि वर्तमान में राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार कांग्रेस यह सीट जीतने के लिए बेहतर स्थिति में है।

भाजपा में दिखाई दे रहा है कि प्रदेश के नेताओं में अलग-अलग विचारधाराएं हैं। अब ऐसे में अपने नापसंद व्यक्ति के उम्मीदवार को जिताने के लिए प्रदेश के अन्य नेता कितना प्रचार करेंगे। यहां तक कहा जा रहा है कि भाजपा ने जो 30 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की है, उसमें भी सभी का दिल से चुनाव में लगना तय नहीं है।

इस प्रकार जैसा कि हम पहले भी लिखते रहे हैं कि यह चुनाव वह पार्टी जीतेगी, जिसमें भीतरघात कम होगी और चुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनोहर लाल खट्टर का भविष्य तय करना वाला भी हो सकता है।

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