भिवानी/मुकेश वत्स

 इण्डियन नैशनल लोकदल कर्मचारी प्रकोष्ट के जिला प्रधान रणसिंह श्योराण ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा यह घोषणा पत्र करना कि यह तीनों कृषि विधेयक बिचौलियों को खत्म करने के लिए हैं, जो किसान हित में हैं। बिचौलियों का मतलब आढतियों से, यदि आढती नहीं होंगे तो मण्डिया खत्म हो जाएंगी। मजदूरों की मजदूरी भी चली जाएगी और मण्डी नहीं होगी तो न्यूनतम समर्थन मूल्य भी अपने आप समाप्त हो जाएंगे। यह बिल केवल अडानी-अम्बानी और बीजेपी के धनाढय़ दोस्तों के लिए है, किसान के लिए नहीं। जिसका इण्डियन नैशनल लोकदल पार्टी पूरजोर विरोध करती है तथा किसानों के हर आन्दोलन में भाग लेगी।

श्योराण ने बताया कि बीते दिनों संसद में तीन कृषि सुधार कानून पारित किए गए जिसमें कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश को पारित किया गया है। संसद किसान व्यापार पर कानूनों को लागू नहीं कर सकती क्योंकि संविधान की 7वीं अनुसूची के अनुसार किसान व्यापार राज्य का विषय है। संसद ने संविधान के अनुच्छेद 247 के विपरित कार्य किया है।

यह कानून किसानों की स्थिति और अवसर की समानता का उल्लंघन है। मध्य प्रदेश व बिहार में एमएसपी लागू नहीं है वहां के किसान 12सौ रूपये प्रति क्विंटल धान बेचने पर मजबूर हैं, समस्त देश में एम.एस.पी. को स्थायी किया जाए। केन्द्रीय कृषि मंत्री मध्य प्रदेश से आते हैं और वहां पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू नहीं है। कृषि मंत्री देश के सामने झूठ बोल रहे है कि एम.एस.पी. लागू रहेगी। हम मांग करते हैं कि इन तीनों बिलों को निरस्त कर न्यूनतम समर्थन मूल्य को स्थायी किया जाए।

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