सरकार द्वारा नौतोड़ भूमि पर किसानों को भूमिहिन करने के आदेश के विरोध में आए
नौतोड़ भूमि पर फैसला लेने के लिए उपायुक्त सक्षम नही
हाईकोर्ट के आदेशो पर नियुक्त फारेस्ट सेटलमेंट अफसर ही सक्षम
किसान विरोधी आदेश को रद्द करे सरकार

पंचकूला। हरियाणा के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में किसानों को नौतोड़ भूमि का मालिकाना हक दिलवाने के लिए शिवालिक विकास मंच के प्रधान व पूर्व चेयरमैन विजय बंसल एडवोकेट ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की हुई है जिसमे मामला अभी विचाराधीन है और समस्या के समाधान हेतु फारेस्ट सेटलमेंट अफसर भी कोर्ट के आदेशों पर नियुक्त किया हुआ है। विजय बंसल ने बताया कि इसी बीच उपायुक्त ने 7 सितंबर 2020 को किसानों के हितों को दरकिनार करते हुए प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने की नजर से 14 भोजों के हजारो किसानों के 257 एकड़ की कुल भूमि पर गिरदावरी में नाम होने को अमान्य घोषित कर खसरे नम्बरो को खत्म करने का फैसला लेकर राज्य सरकार से लागू करवा लिया है। इसके चलते अब मोरनी तहसीलदार को भी आदेश पारित कर दिए गए है व जमीन पर कब्जा लेने के बारे कहा गया है। अब विजय बंसल ने सीएम को पत्र लिखकर किसान विरोधी फैसले को लागू न करने की मांग की है।

बंसल ने कहा कि यह मामला अभी हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है तथा 7 अक्टूबर 2020 को अगली सुनवाई निश्चित है। इसके साथ ही मोरनी नौतोड़ सम्बंधित मामलों को लेकर फारेस्ट सेटलमेंट अफसर नियुक्त किया हुआ है। ऐसे में नौतोड़ सम्बंधित फैसले लेने के लिए उपायुक्त सक्षम नही है परन्तु नियमो को ताक पर रखकर बंदोबस्त अधिकारी को नकारा गया और अफसरो द्वारा गिरदावरी में किसानों के हक को अमान्य घोषित कर खसरा नम्बर खत्म करने का निर्णय लिया गया जोकि बिल्कुल गलत है।

1987 में भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 6 के अंतर्गत अधिसूचना जारी हुई थी जिसमे स्पष्ट किया गया था कि जब तक बंदोबस्त नही होता तब तक जमीन का स्वरूप नही बदला जाएगा। 14 भोज कोटाहा मोरनी हिल्स की मलकियत भूमि में सरकार द्वारा 8 भोज की भूमि को अधिग्रहण करते समय नोटिफिकेशन 28 मार्च 1969 में रिकार्ड जमाबंदी 1961-62 को दर्ज नौतोड़ भूमि को आधार माना गया जबकि 4 साल बाद 1969 से पूर्व अमल में लाई गई जमाबंदी 1965-66 भी बनी है उसको आधार वर्ष नही बनाया गया। इसी प्रकार 6 भोजो की अधिग्रहण नोटीफिकेशन में दर्ज जमाबंदी 1971-72 को आधार वर्ष माना गया जबकि 23 जनवरी 1979 से पहले वर्ष 1975-76 में दर्ज जमाबंदी बनाई गई उसको भी आधार वर्ष नही माना गया।वन विभाग ने उपरोक्त अधिग्रहण नोटिफेक्शन जारी करते समय सर्वे आॅफ इंडिया शीट को ही रिकार्ड माना गया। इसमें दर्ज नौतोड़ नम्बरो को अवैध घोषित न किया जाए क्योंकि मोरनी में 60 प्रतिशत आबादी नौतोड़ भूमि पर खेती करके रोजी रोटी कमा रहे है।

हाईकोर्ट के आदेशों पर नियुक्त फारेस्ट सेटलमेंट अफसर द्वारा मोरनी के 14 भोज कोटाहा में जमीनों की निशानदेही समेत असल मालिको को जमीन का कब्जा देने के लिए मध्यस्ता करने का निर्णय लेगा जबकि इस मामले में डीसी पंचकूला सक्षम नही है।उच्च न्यायलय में हरियाणा सरकार ने शपथपत्र देकर कहा हुआ है कि फारेस्ट सेटलमेंट अफसर को 1 करोड़ की राशि मंजूर करके सारा स्टाफÞ उपलब्ध करवाया हुआ है।

विजय बंसल ने कहा कि जहां तो एक तरफ राज्य सरकार को किसानों के हक सुरक्षित करने चाहिए तो वही दूसरी ओर सरकार किसानों को दरकिनार कर प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने का काम कर रहे है।साथ ही यह भी सत्य है कि आज तक बंदोबस्त न होने का कारण मोरनी में कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा अवैध रूप से गलत जगह जमीनों का कब्जा होना है।यदि बंदोबस्त होता है तो किसानों को उनका हक मिल जाएगा परन्तु प्रभावशाली लोगों द्वारा जमीनों पर कब्जा किया हुआ है ऐसे में बंदोबस्त नही हुआ है।

error: Content is protected !!