प्रदेश भर में कांग्रेस ने किसान विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ किया धरना-प्रदर्शन, सोनीपत पहुंचे भूपेंद्र सिंह हुड्डा
MSP पर मौखिक खानापूर्ति न करे सरकार, MSP गारंटी क़ानून पास करके लिखित में दे आश्वासन- हुड्डा
जिसको लगता है कि अब तक MSP पर आंच नहीं आई तो वो मंडियों में जाकर देखे…
MSP से नीचे पिट रही है किसान की धान, बाजरा, कपास, मक्का और मूंग- हुड्डा

21 सितंबर, सोनीपतः किसान है तो हिंदुस्तान है। किसान के हक़ों पर हमला ये प्रदेश बर्दाश्त नहीं करेगा। अगर कोई भी क़ानून किसान से MSP का अधिकार छीनेगा तो कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक उसका विरोध करेगी। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा सोमवार को 3 नये कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ सोनीपत में कांग्रेस की तरफ से आयोजित धरना स्थल पर बोल रहे थे। इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि 3 किसान विरोधी क़ानून MSP और मंडी व्यवस्था पर सीधा हमला है। सरकार ने मंडी के बाहर ख़रीद को प्रोत्साहन देने के लिए क़ानून तो बना दिया, लेकिन उसमें कहीं भी MSP पर ख़रीद का प्रावधान नहीं जोड़ा। जबकि, बीजेपी सरकार को अपने वादे के मुताबिक स्वामीनाथन आयोग के C2 फ़ार्मूले के तहत इसमें MSP की गारंटी का प्रावधान जोड़ना चाहिए था। हुड्डा ने कहा सरकार अगर सरकारी ख़रीद को बनाए रखने का दावा कर रही है तो उसने इस साल सरकारी एजेंसी FCI की ख़रीद का बजट क्यों कम दिया? वो ये आश्वासन क्यों नहीं दे रही कि भविष्य में ये बजट और कम नहीं किया जाएगा? क्या इसका असर धीरे-धीरे PDS सिस्टम पर नहीं पड़ेगा? यदि सरकार धीरे-धीरे सरकारी खरीद से हाथ खींच लेगी तो क्या गरीब का राशन भी नहीं बंद हो जाएगा?

इस मौक़े पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी कांग्रेस के मेनिफेस्टो और उनकी कमेटी की सिफारिशों के बारे में झूठ फैला रही है। जबकि सच ये है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए UPA सरकार में कई क़दम उठाए गए। UPA कार्यकाल के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में बनी कमेटी ने किसानों को सशक्त बनाने की कई सिफारिशें की थी। जबकि, बीजेपी सरकार ने नये क़ानूनों के ज़रिए किसानों को पूंजीपतियों के हवाले करने का मॉडल लागू किया है। उनकी कमेटी ने मंडी व्यवस्था को मजबूत करने की सिफ़ारिश की थी। इस दौरान हरियाणा में ब्लॉक और ज़िला ही नहीं ग्रामीण स्तर तक मंडियों विस्तार किया गया। पुरानी मंडियों को शहर से बाहर निकालकर शहर से बाहर बड़ी मंडियां बनाई गईं। इसके विपरीत, मौजूदा सरकार मंडियों को ही कमज़ोर करने की तरफ बढ़ रही है।

हुड्डा के नेतृत्व वाली कमेटी की सिफारिश पर पूरे देश में किसानों के लोन पर ब्याज दर को 11% से कम करके 4% किया गया। इतना ही नहीं, हरियाणा में फसली लोन को ज़ीरों प्रतिशत कर दिया गया था। UPA कार्यकाल के दौरान फसलों की MSP में रिकॉर्ड 2 से 3 गुणा की बढ़ोत्तरी हुई। हरियाणा में 1509 जैसी धान 3000-4000 रुपये और 1121 बासमती धान 5000 से 6000 रुपये क्विंटल के रेट पर बिकी। लेकिन इस सरकार के दौरान किसान को 1850 रुपये MSP भी नहीं मिल पा रही है। आज भी परमल धान मंडियों में 1100 से 1200 रुपये में पिट रही है। हुड्डा सरकार के दौरान किसानों के कर्ज़े और बिजली बिल पूरी तरह माफ़ कर दिए गए थे। किसानों को सस्ती बिजली मुहैया करवाई गई, सिंचाई के साधन बढ़ाए गए, ट्यूबवेल और फव्वारा पद्धति के लिए सब्सिडी दी गई, किसानों की पेमेंट टाइम पर की गई, बीज और खाद सस्ते किए गए, पेट्रोल-डीज़ल पूरे देश में सबसे सस्ता किया गया। इतना ही नहीं, ज़मीन की कुर्की जैसे काले नियमों को ख़त्म कर दिया गया।

डिप्टी सीएम ने कहा है कि अगर MSP पर आंच आई तो वो पद से इस्तीफ़ा दे देंगे। उनके इस बयान पर भी पत्रकारों ने नेता प्रतिपक्ष की प्रतिक्रिया मांगी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिसको लगता है अब तक MSP पर आंच नहीं आई, वो मंडियों में जाकर देख ले। आज भी धान, बाजरा, कपास, मूंग और मक्का जैसी फसलें MSP से बेहद कम रेट पर बिक रही हैं। ख़ुद बीजेपी के सांसद मानते हैं कि किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। नये क़ानूनों में मंडी के बाहर MSP का कोई प्रावधान ही नहीं है। लेकिन सत्ता के घमंड में डूबे नेताओं को लगता है कि अबतक MSP पर आंच ही नहीं आई। ओपेन मार्किट करने का मक़सद ही MSP से पीछा छुड़ाना है। अगर ओपेन मार्किट में किसान को अच्छा रेट मिल सकता तो देश में MSP की व्यवस्था करनी ही नहीं करनी पड़ती?

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दोहराया कि सरकार MSP को लेकर मौखिक खानापूर्ति न करे बल्कि किसानों को MSP गारंटी का क़ानून पास करके लिखित आश्वासन दे। इसके लिए विधानसभा में अलग से बिल लाया जाए। कांग्रेस ने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। सभी दलों को एक सुर में इन बिलों के ख़िलाफ़ सदन में अपनी आवाज़ उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान विरोधी क़ानूनों को हरियाणा में लागू नहीं होने दिया जाएगा।

आपको बता दें कि सोनीपत में कांग्रेस के धरने पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ पूर्व सांसद धर्मपाल मलिक, विधायक सुरेंद्र पवार, विधायक जयवीर बाल्मीकि, पूर्व विधायक जयतीर्थ दहिया, पूर्व विधायक देवराज दीवान, पूर्व विधायक सुखबीर फरमाना, सुरेन्द्र शर्मा, सुरेन्द्र दहिया, अशोक सारोहा, मनोज, भगत सिंह, प्रदीप सांगवान, अशोक छाबड़ा, सुरेश जोगी, जितेंद्र हुड्डा, सतीश, रमेश चेयरमैन, जयपाल कादियान, सुरेश तुशिर, निखिल मदान, कर्नल रोहित मोर, कुलदीप गंगाना, कमल, सुरेश भारद्वाज, अशोक नरवाल, अनूप मलिक, दलबीर मोर, रविन्द्र मोर, जितेंद्र जांगड़ा, शमशेर सिलाना, अनाज मंडी के प्रधान पवन गोयल, राकेश बंसल, पवन बंसल, अजय गोयल, परवीन गोयल, बिल्लू गर्ग, प्रेम गुप्ता, भारत भूषण, अमित आर्य, दिनेश हुड्डा, रणदीप दहिया, सतबीर निर्माण, परमेंद्र जोली, जगबीर मलिक, कृष्ण मलिक, मोहन मदान, शुभास मदान, संजय खत्री, भूपेन्द्र गहलावत, संजीव दहिया, जयवीर आंतिल, हवा सिंह ठेकेदार, नीरज देशवाल, परवीन आंतिल, दिनेश आंतिल, कंवल सिंह मलिक, पुनीत राणा, सतबीर आंतिल, सतीश कौशिक, डॉक्टर कुलबीर, मेवा सिंह, सुदामा राठधना, वीरेंद्र सांगवान, राजू, नरेंद्र दहिया, कृष्ण मलिक, राजेश दहिया, कवर खत्री, ललित दीवान, सुनील कटारिया, शीला अंतिल, रीना मलिक, नीलम बाल्यान, भरपाई चहल, संतोष गुलिया, कमला मलिक, रजनी किरार, निर्मला पांचाल, सीमा शर्मा, मंजू मलिक, सुल्तान सिंह, प्रेमवती भनवाला, पायल कमला भावर, अनिल गौड़, अनिल निंबेडिया, सुरेश भूटानी. सत्यप्रकाश शर्मा, महेंद्र सेवली, जसपाल खेवड़ा, संजीत शर्मा, मंजीत मलिकगुड्डी, मीणा,राजवंती, सुषमा समेत कई नेता मौजूद रहे।

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