धर्मपाल वर्मा चंडीगढ़

बेशक बरोदा का उपचुनाव कुछ आगे सरक गया है और भारतीय जनता पार्टी की ग्राउंड एक्सरसाइज अभी मंद पड़ी हुई हैं परंतु भारतीय जनता पार्टी के प्रचार में हलके के गांव रेवाड़ा से संबंधित एसीपी राजबीर मलिक जनसंपर्क की अपनी योजना पर पहले की तरह काम कर रहे हैं । यहां प्रचार करते कोरोना संक्रमण के शिकार नेताओं की निष्क्रियता के बावजूद लोगों के बीच जाकर अपनी भी और भाजपा की भी चर्चा करने में लगे हुए हैं ।अब हलके के हर गांव में असरदार नजर आने लगे हैं ।उनके पीछे कई ऐसी चीजें काम कर रही हैं जिनका लाभ भारतीय जनता पार्टी उठा सकती है।

एक तो अभी तक भाजपा ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह इस बार जाट और स्थानीय व्यक्ति को टिकट देना चाहती है। हल्के में जाटों का बड़ा गोत्र मलिक है । पार्टी ऐसे व्यक्ति को आगे लाना चाहती है जो सबसे कम पर विवादास्पद हो ‘,आपसी खींचतान से दूर हो, जाट होते हुए भी गैरजाट मतदाताओं में स्वीकार्य हो, प्रबंधन और प्रशासनिक समझ रखता हो और उसकी विचारधारा पार्टी की विचारधारा से मेल खाती हो इन सब अपेक्षाओं पर राजवीर मलिक खरे उतरते नजर आ रहे हैं। हम पहले ही बता चुके हैं कि वे हलके के गांव रेवाड़ा से संबंधित है मलिक प्रशासनिक ज्ञान रखते हैं ज्यादा लोगों को स्वीकार्य हो सकते हैं वे समाज सेवा में पहले से संलग्न है और सामाजिक ही नहीं बल्कि 36 बिरादरी की बात करने की बात करने वाले युवाओं के प्रति विजनरी व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं । गठबंधन के दोनों दलों के टिकट के चाहने वालों की आपसी खींचतान से दूर है ।भारतीय जनता पार्टी खुद का उम्मीदवार उतारना चाहती है । श्री मलिक भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रमों में तो सम्मिलित होते ही है, धीरे-धीरे सभी नेताओं संपर्क में आ गए हैं ।

कहने का अर्थ यह है कि भारतीय जनता पार्टी उनको आगे करके चुनाव जीतने की रणनीति पर काम करती है तो उसके अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं । यहां एक बात और महत्वपूर्ण है कि भारतीय जनता पार्टी और जेजेपी की टिकट मांगने वाले नेताओं में परस्पर जो गतिरोध देखने को मिल रहा है वह भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव में बड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में नया रास्ता निकालते हुए राजवीर मलिक के नाम पर फैसला हुआ तो समझा जाता है कि पार्टी के कई बड़े नेता और निर्णायक लोग इसे न्याय संगत फैसला कहेंगे।

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