-कमलेश भारतीय

बहुत बहुत बधाई भाभी व संपादिका उर्मि कृष्ण व विजय को । मेरी जानकारी अनुसार यह शुभतारिका का कम से कम चौथा लघुकथा विशेषांक है और ऐसा स्नेह मुझे मिला कि इसके सभी लघुकथा विशेषांकों में मेरी रचनाएं शामिल रहीं ।

प्रथम लघुकथा विशेषांक रमेश बतरा ने संपादित किया था जिसमें मेरी रचना निगेटिव प्रकाशित हुई थी । वैसे भी डाॅ महाराज कृष्ण जैन व अब शीमती उर्मि कृष्ण ने तारिका और फिर शुभतारिका नामकरण हो जाने पर भी लघुकथा को विशेष प्रोत्साहन दिया । स्वयं उर्मि जी अच्छी रचनाकार भी हैं । डाॅ जैन का कहना था कि जब मात्र चार पेज से पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया था तब मेरे पास छोटी रचनाओं को प्रकाशित करने का ही विकल्प था बाद में पृष्ठ संख्या बढ़ने के बावजूद लघुकथाएं आती रहीं और हम प्रमुखता से प्रकाशित करते गये ।

मेरे तीन लघुकथा संग्रह -मस्तराम जिंदाबाद , इस फार और इतनी सी बात शुभतारिका प्रकाशन से ही आए । दो लघुकथा संग्रह डाॅ जैन के निर्देशन में निकले और उन्होंने लम्बी भूमिकाएं भी मेरे आग्रह पर लिखीं जो शोधार्थियों के लिए उर आज भी बारे लिए बहुत उपयोगी हैं । मुझे लघुकथा प्रतियोगिता का निर्णायक बना कर और ऋषिकेश में आयोजित लेखन शिविर में सम्मानित कर मेरा मान भी बढ़ाने के लिए श्रद्धापूर्वक डाॅ जैन को स्मरण कर,रहा हू ।

इस विशेषांक की बहुत बहुत बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि यह विशेषांक भी पहले विशेषांकों की तरह चर्चित रहेगा । फिर से बधाई ।

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