कार्यकर्ताओं को अपने प्राण बताने और उनमें जान बसती है कहने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष  जगह-ज़गह कार्यकर्ताओं से चर्चा करने के लिए कार्यक्रमों में जा रहे हैं  आई एम आर सी  की गाइडलाइंस की परवाह नहीं करते हुए बगैर शोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सैंकड़ों की संख्या में अपने कार्यकर्ताओं को आमंत्रित करते हैं जब्कि स्वम् मुख्यमंत्री जी भी और विधानसभा अध्यक्ष जी में भी कोरोना के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है अनेकों विधायक और सांसदों के संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं बाजारों को बंद करना पड़ा है सरकारी रिपोर्ट्स और अखबारों में संक्रमण के बढ़ने के चलते कंटेन्मेंट जोन नए सिरे से पहचान कर प्रतिबंधित कर दिए गए हैं  तो अध्यक्ष जी जिनमे आपके प्राण बसते हैं उन्हीं की जान को संकट में क्यों डाल रहे हैं ?

एक तरफ 25 आदमी अंतिम संस्कार यात्रा में और 50 से अधिक व्यक्ति शादी समारोहों में एकत्रित होने पर पाबंदी बरकरार रखी हुई है सरकारी निर्देशों के तहत  उसकी उलंघ्ना करने पर कानूनी कार्यवाहीयाँ की जा रही हैं लोगों को जुर्माने किए जा रहे हैं  वहीँ दूसरी ओर आप विभिन्न स्थानों पर सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं , ऐसा क्यों हो रहा है धनखड़ जी ?

झज्जर को चौधर दे दी

समग्र विकास करेंगे हरियाणा प्रदेश का  निष्पक्ष विकास करने और हरियाणा तो अपना है कहने की बात करने वाली भाजपा और उसके अध्यक्ष बयान देते हैं कि झज्जर को चौधर दे दी # आप चौधर ही बनाते रहोगे याँ प्रदेशवासियों के हितों में कुछ काम भी करोगे – और फिर कहाँ की चौधर की बात करते हो चौधर करनाल की याँ गुजरात की ?  मोदी की आस और मोदी के दास धनखड़ जी उस चौधर का प्रभाव तो प्रदेश की जनता ने और आपके कार्यकर्ताओं ने भी पहली बार अपनी आँखों से स्वम् देंखा है जो कभी इतिहास में वर्णित नहीं है  कि प्रदेशाध्यक्ष को अपनी कार्यकारिणी गठित करने के लिए भी राष्ट्रीय अध्यक्ष से परामर्श लेने जाना पड़ा हो , उनके द्वारा सुझाई गई सूची पर ही ठप्पा लगाना पड़ा हो , खुदको अधिकार नहीं मिल पाया हो जिस चौधर से उस चौधर का आखिर क्या लाभ और क्या लाभ होगा प्रदेश की आम जनता को ?

 कहाँ है पार्टी का आंतरिक संविधान जिसकी बड़ी डींगें हांकती थी भाजपा  क्यों पार्टी कार्यकर्ताओं को वरीयता न देकर चुनावी प्रक्रिया को रद्द कर धनाढ्य , रसूखदार लोगों विधायकों, चैयरमैनों को ही प्राथमिकता दी गई – पहले तो ऐसा नहीं होता था ऐसा बल्कि प्रदेशाध्यक्ष और जिलाध्यक्षो को ही पूर्ण शक्तियां प्राप्त होती थी अपनी कार्यकारिणी का गठन करने की आज़ादी होती थी , चुनावी प्रक्रिया होती थी मगर अब जे पी नड्डा जी को लिस्ट तैयार करनी पड़ी , क्या आपको पार्टी कार्यकर्ताओं पर विश्वास नहीं था क्या ? और कहीं मोदी जी ने अपनी मित्रता निभाने के चक्कर में डमी अध्यक्ष तो नहीं थमा दिया प्रदेश भाजपा को ?

तरविंदर सैनी ( माईकल ) लोसुपा ने कहा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बयान देते हैं कि देश की जनता ने खजाने की चाबी मोदी मनोहर के हाथों सौंप दी हमारे पास धन है अर्थात खर्च करेंगे  तो जनता के स्वेद और रक्त से संचित कर को खजाना कहने वालों को न तो चौधर की बात समझ में आई और ना ही गरीबों के राष्ट्रनिर्माण के लिए योगदान की बात समझ में आई और ना ही भाजपा के कार्यकर्ताओं की जान की कीमत समझ में आई ।

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