हजारों रोड़वेज कर्मी वादाखिलाफी के विरोध में सड़कों पर उतरे

महानिदेशक कर्मचारियों को आन्दोलन के लिए उकसाने की बजाय विरोध प्रदर्शनों से सबक ले :यूनियन

चण्डीगढ, 21 अगस्त।हरियाणा रोड़वेज वर्कर्स यूनियन सम्बन्धित सर्व कर्मचारी संघ ने महानिदेशक वीरेंद्र सिंह दहिया पर बेमौसमी व नियमों के खिलाफ हजारों कर्मचारियों के तबादले 300-300 किलोमीटर करके बदले की भावना से घर से बेघर करने का आरोप लगाया है। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष इन्द्र सिंह बधाना, प्रदेश महासचिव सरबत सिंह पूनिया, वरिष्ठ उप प्रधान नरेंद्र दिनोद, कोषाध्यक्ष राजपाल, उप महासचिव बलबीर जाखड़ व प्रैस प्रवक्ता श्रवण कुमार जांगड़ा ने आज प्रदेश के डिपूओं में हुऐ विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्ट लेने के बाद बताया वर्षों से बार बार मान सहमत हुई मांगों को लागू ना करने की महानिदेशक की हठधर्मिता व वादाखिलाफी के विरोध में हजारों कर्मचारियों ने सड़कों पर उतर कर जोर दार विरोध प्रदर्शन किया व महाप्रबंधकों के माध्यम से महानिदेशक को ज्ञापन भेजा।

कर्मचारियों ने वादाखिलाफी व महानिदेशक की तानाशाही के विरोध में जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा 6 जनवरी व 4 जून को परिवहन मंत्री के साथ हुई बातचीत में एक दर्जन मांगों को जायज मानते हुए 15 दिनों में अमलीजामा पहनाने का ठोस वायदा किया गया। कर्मचारी नेताओं ने महानिदेशक वीरेंद्र सिंह दहिया पर आरोप लगाते हुए कहा महानिदेशक सरकार की छवि खराब करने के लिए कर्मचारियों को आन्दोलन के लिए उकसाने के लिए जानबूझ कर सहमत हुई लम्बित मांगों को लटकाये रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा हमेशा अप्रैल माह में आम तबादले किये जाते हैं। कोरोना महामारी की मार प्रदेश की जनता व समस्त कर्मचारी पहले ही भुगत रहे हैं, परन्तु महामारी की परवाह किये बिना बेमौसमी व तबादला नीति को ताक पर रख कर हजारों कर्मचारियों को दूर दराज डिपूओं में भेज कर एक ओर मार झेलने के लिए मजबूर किया है। जिस कारण कर्मचारियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है।

प्रान्तीय नेताओं ने कहा महानिदेशक की हठधर्मिता के कारण कर्मचारियों की लम्बित मांगों का 16 सुत्री मांग पत्र बढ़ कर 32 सुत्री हो गया है। उन्होंने बताया महानिदेशक जानबूझ कर कर्मचारियों को निर्णायक आन्दोलन के लिए मजबूर कर रहें हैं, इस बात की शिकायत 2 सितम्बर को होने वाली बैठक में परिवहन मंत्री को की जाएगी। उन्होंने कहा 32 वर्ष से कभी भी अभी तक बसों की संख्या 3500 से कम नहीं हुई, परन्तु भाजपा सरकार व वर्तमान महानिदेशक द्वारा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किलोमीटर व स्टेज कैरिज स्कीम लागू करके विभाग को गर्त में धकेल दिया है। उन्होंने आश्चर्यजनक जानकारी देते हुए कहा अब केवल विभाग में 3060 बसें ही शेष है।

अगर विभाग के निजीकरण की यही स्पीड रखी व यूनियन की मांग अनुसार बेड़े में नई बसें शामिल नहीं की तो दो वर्ष बाद विभाग के पास केवल 800 बसें ही रह जाएंगी। कर्मचारी नेताओं ने चिंता जनक बात बताते हुए कहा भाजपा सरकार के 6 साल के शासनकाल में नई बसें नहीं खरीदी गई। उन्होंने कहा बसों की उम्र केवल 8 वर्ष है। पिछली सरकारों द्वारा खरीदी गई सभी बसें आने वाले दो वर्ष में कंडम हो जाएगी। उन्होंने कहा सरकार व विभाग के उच्च अधिकारियों की नीयत व नीति विभाग को पूर्ण तौर पर निजी हाथों में देने की है। उन्होंने कहा आने वाले समय में एक बार फिर वर्ष 2018 में हुई 18 दिन की हड़ताल का इतिहास दोहराया जा सकता है।

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