-कमलेश भारतीय

देश कल स्वतंत्रता दिवस मनायेगा । इससे पहले हमारे प्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हमें आत्मनिर्भर होने का पाठ पढ़ा चुके बड़े प्यार से । कोरोना से लड़ाई का मंत्र । पर इस मंत्र के बाद कोरोना के रोगी एक ही दिन में 70000 तक आ पहुंचे । हमने स्वतंत्रता के बाद देश का निर्माण शुरू किया । कल कारखाने लगाये । फैक्ट्रियां लाईं और अभी तक विदेश जाकर आमंत्रण देते हैं कि आओ पधारो हमारे देश और लगाओ कम्पनियां । पर जो हो रहा है वह दिल दहला देने वाला है । अभी एक भाजपा सांसद का बयान बीएसएनएल पर आया कि इसे तो बंद करेंगे और किसी निजी कम्पनी को चलाने के लिए देंगे । जो देश को जोड़ने का काम कर रहा है उसे बेचने की बात चल पड़ी ।

पहले एयरलाइंस बिकाऊ थी । अब बीएसएनएल की बारी और बोली लगेगी क्या ? आज भी इसका नेटवर्क दूसरी सभी कम्पनियों से ज्यादा है । गांव गांव तक बीएसएनएल और डीडी ही कनेक्ट करते हैं देश को । दोनों की हालत ऐसी किसने बना दी ? बाकी सबकी रेंज खत्म हो जाती है , दूरदराज के एरिया में । फिर इसे बेचने की बात करना कितना गलत बयान है । वैसे सोशल मीडिया पर एक मजाक लगातार आ रहा है कि एक चाय बेचने वाले के बेटे ने इतनी तरक्की की कि वह अब एयरलाइंस और पता नहीं क्या क्या बेचने लगा है । हम माननीय प्रधानमंत्री जी से निवेदन करेंगे कि ऐसे बयान देने वाले सांसदों पर लगाम लगायें । इस तरह कर्मचारी डिप्रेशन में आ सकते हैं । बेरोजगार होने का डर सताने लगेगा । बीएसएनएल को कमाऊ पूत बनाया जाये ।

इधर आज राजस्थान का एक माह से अधिक चला सीरियल या आईपीएल खत्म होने की ओर बढ़ रहा है । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह रहे हैं कि भूलो और माफ कर आगे बढ़ो । वे अपने समर्थक विधायकों को जैसलमेर से वापस लाते समय यह बात कह रहे थे और यह भी कहा कि बहुमत तो हम ही साबित कर देते लेकिन सचिन के आ जाने से सब आसान हो गया । उधर भाजपा और कांग्रेस अपने अपने परिवार यानी विधायकों को संभालने में जुटे हुए हैं । पिक्चर अब थोड़ी ही बाकी है दोस्तो ।

कांग्रेस के मीडिया प्रवक्ता राजीव त्यागी के हृदयाघात से निधन के बाद यह नयी बात सामने आई कि इसके लिए दोषी भाजपा प्रवक्ता व सांसद संबित पात्रा हैं क्योंकि उन्होंने बार बार डिबेट में राजीव को जयचंद कह कर संबोधित किया और यहां तक कह डाला कि माथे पर तिलक लगाने से हिंदू नहीं बन जाओगे । वैसे संबित पात्रा की टिप्पणियां अहंकार में चूर एक व्यक्ति की होती हैं । कुटिल मुस्कान और तेज तेज बोलना और अधिकार जमाये रखना । एक नयी बहस छिड़ने जा रही है कि प्रवक्ताओं की मर्यादा क्या हो ,,,

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