लॉकडाऊन में ‘कोरोना’ की बजाय ‘शराब-रजिस्ट्री घोटाले’ का खेल खेला गया

खट्टर सरकार में ‘घोटाले पर घोटाले’ का अंबार लग गया है। नित नए उजागर हो रहे घोटालों ने खट्टर सरकार की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। खट्टर सरकार के 6 वर्षों में घोटालों की एक लंबी सूची है – #धान खरीद घोटाला पार्ट1, #धान खरीद घोटाला पार्ट 2, #अरावली लैंड यूज़ घोटाला, #यमुना खनन घोटाला, #ओवरलोडिंग घोटाला, #रोडवेज़ किलोमीटर स्कीम घोटाला, #HSSC भर्ती घोटाला, #पेपरलीक घोटाला, #HTET घोटाला, #गीता जयंती घोटाला, #छात्रवृत्ति घोटाला, #बिजली मीटर घोटाला, #शराब घोटाला और अब #रजिस्ट्री घोटाला।

21 जुलाई, 2020 को  खट्टर सरकार ने एक चौंकानेवाला आदेश जारी कर पूरे हरियाणा में 26 दिन के लिए रजिस्ट्रियों पर रोक लगा दी। सार्वजनिक तौर से व समाचार पत्रों से यह उभर कर सामने आया है कि असल में यह रोक गुड़गांवां, सोनीपत, फरीदाबाद, यानि दिल्ली NCR में हुए नजायज संपत्ति पंजीकरण की शिकायतों को लेकर आनन फानन में जारी किए गए हैं। आदेश में तो आईटी अपग्रेडेशन का हवाला दिया गया, पर लॉकडाऊन का फायदा उठा भूमाफिया द्वारा दिल्ली NCR की जमीन में अवैध कॉलोनियां काट रजिस्ट्रियां और कन्वेयंस डीड करवाने के नाजायज खेल व भारी अनियमितताओं को इसका असली कारण बताया जा रहा है। एक समाचार पत्र ने तो इस घोटाले का आंकलन 1,000 करोड़ रुपया किया है। 

सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध सूचना में यह भी सामने आया है कि इस गड़बड़झाले में सरकार में उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों और अफसरों का सीधा सीधा हाथ है। गुड़गांवा, फरीदाबाद, सोनीपत आदि से बड़ी संख्या में इस बारे शिकायत सामने आई है। 

याद रहे कि कोरोना लॉकडाऊन के समय इसी प्रकार एक बहुत बड़ा शराब घोटाला हुआ। यहां तक कि आबकारी एवं कराधान विभाग की आंतरिक जाँच में 1 करोड़ शराब-बीयर इत्यादि की बोतलों का सीधे सीधे घालमेल पाया गया। शराब माफिया ने खूब चांदी कूटी और सरकार के खजाने को चूना लगाया। मुख्यमंत्री ने 15 दिन में जाँच संपूर्ण करने का वादा किया पर हुआ वही ढाक के तीन पात। जाँच को पचड़े में डाल दिया गया।

रजिस्ट्री घोटाले में तो मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर ने आज तक जाँच के बारे एक शब्द तक नहीं कहा। हमारे खट्टर सरकार से पाँच सवाल हैं:-

1. क्या खट्टर सरकार को भूमाफिया द्वारा लॉकडाऊन की अवधि में किए गए रजिस्ट्री घोटाले की जानकारी है? यदि हां, तो इसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा?

2. क्या रजिस्ट्री घोटाले में सरकार में बैठे लोगों व चहेते अधिकारियों का सीधा सीधा हाथ है? यदि हां, तो उनके नाम व चेहरे उजागर क्यों नहीं किए जा रहे?

3. क्या अवैध कॉलोनियां काटने, नाजायज रजिस्ट्री व कन्वेयंस डीड करने, सरकार के खजाने को चूना लगाने के बारे अनेकों शिकायतें खट्टरसरकार के पास हैं? यदि हां, तो उन्हें जनता के समक्ष रख दोषियों को बेनकाब क्यों नहीं किया जा रहा?

4. क्या खट्टर सरकार ‘रजिस्ट्री घोटाले’ की हाई कोर्ट के सिटिंग जज से जाँच करवाएगी?

5. क्या मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर सामने आकर सारे तथ्य हरियाणा की जनता से साझा करेंगे या फिर शराब घोटाले की जाँच की तरह इस घोटाले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?

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