-कमलेश भारतीय

 कुछ राज्यों में उप चुनाव होने वाले हैं । जैसे अपने हरियाणा में बरोदा विधानसभा उपचुनाव । यह क्षेत्र कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन से खाली हुआ है और इस क्षेत्र को कांग्रेस बहुल क्षेत्र माना जाता है । लोकसभा चुनाव में भी दीपेंद्र हुड्डा को बरोदा ने काफी बहुमत प्रदान किया था । हालांकि अभय चौटाला ने यहां से एक कांग्रेस नेता को इनेलो में लाकर खेल खेलने की तैयारी शुरू कर दी है और उमीद की जा रही है कि उसी को इनेलो चुनाव मैदान मः उतारेगी ।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी चार गांवों का दौरा कर एक प्रकार से चुनाव प्रचार शुरू कर गये और यह कह गये कि आपने फैसला करना है कि सरकार में हिस्सेदारी निभानी है या नहीं । इस बयान को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आड़े हाथों लिया । यही नहीं चंडीगढ़ में कांग्रेसी विधायकों की बैठक भी की और छाया मंत्रिम॔डल तक बनाने की बात सामने आई ।

अभय चौटाला यह भी कह रहे हैं कि यह जजपा-भाजपा सरकार गिर जायेगी क्योंकि जजपा के आठ विधायक उनके साथ आ जायेंगे । सिर्फ मां बेटा ही जजपा विधायक रहेंगे । यानी जैसे कभी कुलदीप विश्नोई और रेणुका बिशनोई हजकां के होते थे । हम दो बस । यह अभय चौटाला का अतिविश्वास भी हो सकता है । पर जिस तेजी से जजपा का ग्राफ गिर रहा है , उससे कुछ भी हो सकता है ।

जैसे हुड्डा ने छाया मंत्रिमंडल बनाने की बात की है , वैसे ही कभी चौ भजन लाल ने भी छाया मंत्रिमंडल बनाया था । यह एक प्रकार से सरकार पर दबाब बनाने की नीति कही जा सकती है । इसका प्रभाव बरोदा उप चुनाव में दिख सकता है । बरोदा को लेकर जजपा भाजपा में भी थोड़ी खींचतान है लेकिन ऐसा लगता है कि पहलवान योगेश्वर दत्त सांझे प्रत्याशी हो सकते हैं क्योंकि मुख्यमंत्री ने जिस तरह से उन्हें समस्याएं सुनने को कहा है , उससे यही संकेत मिल रहे हैं । अब देखिए क्या होता हो बरोदा के रण में ?

जींद के उप चुनाव से पहले कृष्ण मिड्ढा को इनेलो से भाजपा में लाकर टिकट दिया गया था । जींद उपचुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री खट्टर में आत्मविश्वास बढ़ा । पर अब लगता है यह अतिविश्वास में बदलने लगा है ।  मध्य प्रदेश में बाइस कांग्रेस विधायकों  के इस्तीफे के चलते उपचुनाव की नौबत आई । जिनके दलबदल से सरकार बनी क्या उनके दम पर बची रह पायेगी ?

कांग्रेस और बगावत करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा का सवाल है । कब तक यह दलबदल की सरकार चलेगी ? यहां बरोदा का उपचुनाव प्रकृति के फैसले से हो रहा है , वहीं मध्य प्रदेश के उपचुनावों की नौबत दलबदल के कारण आई है । भाजपा का खेल कि चित्त भी मेरा , पट भी मेरी । यदि सरकार बची रही तो ठीक नहीं तो राष्ट्रपति शासन की सिफारिश होगी और फिर रिसोर्ट रिसोर्ट की राजनीति होगी ।   

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