रमेश गोयत

चंडीगढ़, 6 जुलाई- हरियाणा सरकार ने डिजिटल विज्ञापन नीति-2020 लागू करने का निर्णय लिया है ताकि प्रचार एवं सूचना प्रसारण गतिविधियों के लिए उभरते डिजिटल प्लेटफार्मस का समुचित उपयोग किया जा सके और अधिकतम लोगों तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके। इस आशय का निर्णय मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता मे मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।

नीति के अनुसार, डिजिटल साइट्स का वर्गीकरण औसत न्यूनतम यूनिक उपयोगकर्ताओं की संख्या के आधारित है।वेबसाइट्स/वेबपोर्टलस को सूचीबद्घ करने के लिए पात्रता मानदंड में निरंतर संचालित नाम (वेबसाइट का पता), ‘न्यूनतम औसत यूनिक उपयोगकर्ता’ (भारत के भीतर), तृतीय-पक्ष-एड-सर्वर (3-पीएएस) सत्यापन जैसे विभिन्न पहलू शामिल हैं। वेबसाइट्स, नए एप्स की पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के साथ-साथ विषयसामग्री की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए नीति में अनेक सहायक जांच एवं संतुलनों को शामिल किया गया है।

सभी भुगतान केवल आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से किये जाएंगे। लागत प्रति 1000 इम्प्रेशन(सीपीटीआई), क्लिक थ्रू रेट (सीटीआर), गूगल विशेलषण रिकार्ड, गूगल ऐड मैनेजर, तृतीय पार्टी एड सर्वर (3-पीएएस) जैसी विशेषताएं विज्ञापन में पारदर्शिता एवं दक्षता लाती हैं।

प्रिंट मीडिया एवं इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से सरकार के विभागों/बोर्डों/निगमों और अन्य संगठनों के विज्ञापन जारी करने के लिए वर्ष 2007 में हरियाणा विज्ञापन नीति दिशानिर्देश तैयार एवं क्रियान्वित किए गए थे। तब से इंटरनेट के आगमन एवं विकास और इसकी पहुंच में वृद्धि के साथ डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में नए मंच उभर कर सामने आए हैं। डिजिटल क्रांति के इस परिप्रेक्ष्य में उभरते डिजिटल मंच प्रभावी प्रचार साधन हैं। गत दशक में डिजिटल क्रांति में अभूतपूर्व विकास हुआ है, जिसने संचार, सूचना, प्रौद्योगिकी के अंतर-संबंधित क्षेत्रों और अंतिम प्रयोक्ताओं पर उसके प्रभाव को हमेशा के लिए बदल दिया है।

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