चंडीगढ़,26 मई। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने कोरोना की आड़ में सरकारी विभागों का निजीकरण करने ठेका कर्मचारियों को नौकरी से निकालने, श्रम कानूनों को खत्म करने और कर्मियों व पेंशनर्स के वेतन भत्तों में कटौती करने का आरोप लगाते हुए 4 जून को प्रदेशभर में प्रर्दशन करने का निर्णय लिया है।

यह निर्णय प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा की अध्यक्षता में मंगलवार को विडियो कान्फ्रेसिंग के द्वारा आयोजित रा’य कार्यकारिणी की मीटिंग में लिया गया। मीटिंग में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ठेके पर लगे करीब दस हजार स्पोर्टिंग स्टाफ को नौकरी से निकालने की प्रक्रिया शुरू करने, साल 2015 में 1035 टीजीटी (अंग्रेजी) सहित 1538 पदों की शुरू हुआ भर्ती प्रक्रिया के परिणाम घोषित करने की बजाय प्रक्रिया को ही रद्द करने के किए जा रहे प्रयासों और कमजोर पैरवी के कारण सुप्रीम कोर्ट में केस हार चुके 1983 पीटीआई  को विधाई शक्तियों का प्रयोग करते सेवा सुरक्षा प्रदान करने की बजाय पुन: भर्ती प्रक्रिया शुरू करने पर कड़ी नाराजगी जताई गई। रा’य कार्यकारिणी में चालू साल में ही रिटायर होने वाले कर्मचारियों को भी एलटीसी का भुगतान न करने की घोर निन्दा करते हुए रिटायर हो रहे कर्मियों को एलटीसी का भुगतान करने की मांग की गई।

मीटिंग में कोरोना महामारी के बीच जेएनयू में पीएचडी कर रही सोशल एक्टिविस्ट नताशा नरवाल व दिव्यागना के खिलाफ झुठे मुकदमों में गिरफ्तार करने की निंदा की गई और उन्हें रिहा करने की मांग की। रा’य कार्यकारिणी में किसानों व घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के खिलाफ बिजली निजीकरण के संशोधित बिल के खिलाफ 1 जून को बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर द्वारा आयोजित काला दिवस का भी पुरजोर समर्थन करने का फैसला लिया गया। सर्व सम्मति से पारित किए गए एक प्रस्ताव में लाकडाउन और इससे पहले में नौकरी से निकाले गए सभी ठेका कर्मचारियों को वापस सेवा में लेने की मांग की है।

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