भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिकगुरुग्राम। गुरुग्राम का नगर निगम हरियाणा में सबसे बड़ा है और निगम की कार्यशैली पर ही गुरुग्राम की जनता की खुशहाली निर्भर करती है। पिछले कुछ समय से निगम भ्रष्टाचार के कारण बहुत चर्चाओं में रह रहा है। इस बारे में ध्यान किया कि निगम को देखने वाले राजनैतिक कौन हैं? सबसे अधिक इन तीन का है असर : मुख्यमंत्री मनोहर लाल, मंत्री अनिल विज,राव इंद्रजीत सिंह सबसे बड़ी जिम्मेदारी गुरुग्राम की जनता मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मानती है, क्योंकि जनता में एक संदेश है कि मुख्यमंत्री शायद करनाल से अधिक समय गुरुग्राम में बिताते हैं और गुरुग्राम कष्ट निवारण समिति के चेयरमैन भी हैं। इन सबसे ऊपर मुख्यमंत्री ने यहां के अधिकारी भी अपनी मर्जी के लगा रखे हैं। निगम के आयुक्त भी उनकी पसंद के हैं और जिले के उपायुक्त भी उनकी पसंद के हैं, जिसका प्रमाण मिल ही गया जब उन्होंने लॉकडाउन आरंभ होते ही उन अधिकारियों को बेहतर काम का प्रमाण पत्र दे दिया। इन सभी बातों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री भी इसके जिम्मेदार हैं। पर दी क्यों? वास्तव में जिम्मेदारी आती है, क्योंकि गुरुग्राम सबसे बड़ा निगम है हरियाणा का, ड्रीम सिटी है और मुख्यमंत्री पर तो जिम्मेदारी बनती ही है। उसके बाद निगम के मंत्री अनिल विज का नाम लिया जा सकता है लेकिन नहीं मेरी समझ से उनसे पहले राव इंद्रजीत सिंह का नाम लिया जाना चाहिए, क्योंकि जनता की ओर से जो नुमाइंदे निगम का कार्य देख रहे हैं, वे सभी तो राव इंद्रजीत द्वारा ही बनाए गए हैं। तात्पर्य यह है कि निगम की मेयर टीम राव इंद्रजीत सिंह ने बड़े ठसके से, आन बान शान की दुहाई देते हुए मुख्यमंत्री और भाजपा के विरोध के बावजूद अपनी बनाई थी। अत: इस अवस्था में राव इंद्रजीत सिंह भी जिम्मेदार बनते हैं हमारे विचार से तो। आप सोचिए बनते हैं कि नहीं। वर्तमान में निगम क्षेत्र में यह चर्चा है कि निगम के मेयर और पार्षद अपनी व्यक्तिगत दोस्ती अधिक निभा रहे हैं। अब इसमें हम यह तो कह नहीं सकते कि वे भ्रष्टाचार कर रहे होंगे, क्योंकि हमारे पास प्रमाण तो हैं नहीं लेकिन हम यह अवश्य कह सकते हैं कि निगम में जो भ्रष्टाचार हो रहे हैं और जो अनियमितताएं हो रही हैं, उन पर रोक लगाने का काम अवश्य मेयर टीम का है, जिसमें वह कहीं भी सफल नजर नहीं आ रही। निगम की सभी जोन में और सभी विंगों में अनियमितताओं का भंडार मिल जाएगा। तो ऐसी अवस्था में इन कमियों का जिम्मेदार तो मेयर टीम को मानना ही पड़ेगा, क्योंकि मेयर टीम ही अधिकारियों के ऊपर जनता का प्रतिनिधित्व करती है। अब राव इंद्रजीत सिंह से जनता सीधे सवाल तो पूछ नहीं सकती लेकिन राव साहब की चर्चा जनता में अवश्य है और कहा जाता है कि जिस प्रकार मुख्यमंत्री की ईमानदारी के चर्चे हैं, उनसे कम ईमानदार राव इंद्रजीत सिंह भी कम नहीं हैं। इतना लंबा राजनैतिक जीवन उन्होंने बेदाग निकाल दिया। इस मामले में मुख्यमंत्री भी उनसे पीछे ही दिखाई देते हैं। अत: जनता की ओर से हम राव इंद्रजीत सिंह से आग्रह या मांग कर सकते हैं कि वह अपनी मेयर टीम को आगाह करें कि निगम के भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को रोकें। अब तीसरे अनिल विज के पास यह महकमा है और इस नाते जिम्मेदारी उनकी पूरी-पूरी बनती है कि उनके विभाग में भ्रष्टाचार हो रहा है, जबकि उनके साथ मिलने वाले लोगों से हमारी बात हुई तो उनका कहना है कि वास्तव में साधु देखना है तो अनिल विज को देखो। सांसारिक जीवन में रहते हुए भी साधु जैसा स्वभाव रखते हैं अत: हम यह तो कह नहीं सकते कि अनिल विज की ओर से कोई इशारा मिलेगा, जिससे निगम के अधिकारी या पार्षद भ्रष्टाचार में संलिप्त होंगे या भ्रष्टाचार को बढ़ावा देंगे। कहा जाता है कि अनिल विज बहुत ही सख्त नेता हैं। उन्हें अनुचित कार्य किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं लेकिन गुरुग्राम निगम में तो सब ऐसे ही चल रहा है। अब यह हमारे भी समझ से बाहर है कि क्या वह गुरुग्राम में अपने इस विभाग की ओर ध्यान नहीं दे रहे या अन्य कामों की व्यस्तताओं के चलते दे नहीं पा रहे या फिर यह सोचकर नहीं दे रहे कि यहां संभालने के लिए तो मुख्यमंत्री स्वयं हैं और फिर इस क्षेत्र के दिग्गज नेता और सांसद राव इंद्रजीत सिंह भी हैं। अब ऐसी अवस्था में समझ नहीं आ रहा है कि अनिल विज गफलत में हैं या इस विश्वास में हैं कि अन्य देख रहे हैं उनका ध्यान नहीं है। जो भी है हमें विश्वास रखना चाहिए कि विज साहब जिस दिन इस ओर ध्यान देंगे उस दिन से निगम में बदलाव दिखाई देंगे। उपरोक्त स्थितियों को देखकर याद आ गई हमारी पुरानी कहावत कि सात मामाओं का भांजा भूखा ही घर आए। उसी प्रकार विज सोच रहे होंगे कि मुख्यमंत्री देख रहे हैं, मुख्यमंत्री सोच रहे होंगे राव इंद्रजीत देख रहे हैं, राव इंद्रजीत सोच रहे होंगे कि अनिल विज देख रहे हैं और सभी इसी चक्कर में इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहे, क्योंकि निगम में जिस प्रकार के भ्रष्टाचार और अनियमितताएं दिखाई दे रही हैं, उन्हें देखकर बिल्कुल स्पष्ट नजर आता है कि यहां के अधिकारियों को किसी का भी कोई डर नहीं है। हम तो यही कहेंगे राव साहब आपकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है, इन कामों को देखने की और विज साहब आपका तो दायित्व ही है इन सभी बातों को देखने का ओर मुख्यमंत्री जी आपसे हम क्या कहें, आप तो स्वयं ही समझदार हैं, सारे गुरुग्राम के जानकार हैं, अधिकारी आपकी इच्छा के हैं और भाजपा से आपके नजदीकी बड़े-बड़े दिग्गज यहां रहते हैं। अत: ध्यान दीजिए, कहीं ऐसा न हो आपकी ईमानदार छवि पर कहीं बट्टा न लग जाए, ऐसा हुआ तो हमें बड़ा दुख होगा। Post navigation जितना शास्त्र आवश्यक , उतना ही शस्त्र भी आवश्यकः शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द लॉकडाउन में घर बैठे बच्चों की पेंटिंग स्पर्धा करवा निखारी प्रतिभा