पंचकूला 15 मई- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने आरोप लगाया है कि सरकार कोरोना के नाम पर कर्मचारियों के हितों से खिलवाड़ कर रही और उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है। उन्होंने हरियाणा प्रर्यटन निगम द्वारा सारे प्रदेश से निकाले गए 850 कच्चे कर्मचारियों को दोबारा रखने की मांग की है।

चन्द्र मोहन ने कहा कि एक तरफ तो केन्द्र सरकार प्रर्यटन उधोग को बढ़ावा देने के लिए अनेक उपायों की घोषणा कर रही है, दूसरी ओर हरियाणा सरकार ने इन कर्मचारियों को नौकरी से निकाल कर यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि उसके लिए मानवीय संवेदनाओं का कोई महत्व नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि कई कर्मचारी पिछले लगभग 8-10 वर्षों से प्रदेश के कोने कोने में हरियाणा पर्यटन निगम के इन  टूरिज्म के होटलों में काम कर रहे थे, लेकिन कर्मचारियों के दुर्भाग्य ने इन सब की नौकरी छीन कर इन्हें दाने-दाने के लिए तरसने का मोहताज बना दिया है।

उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मांग की है कि मानवता के नाते इन्हें भूखमरी से बचाने के लिए इनकी बहाली के तुरंत आदेश देने की अनुकम्पा करें। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि विगत दिनों इन्दिरा गांधी विश्वविद्यालय से भी सहायक प्रोफेसर, लिपिकीय वर्ग सहित लगभग 250 अध्यापकों और कर्मचारियों की छंटनी करके शिक्षा के मन्दिर को समाप्त करने का प्रयास किया गया था। और इस निर्णय का जोरदार विरोध हुआ था। यह कर्मचारी पिछले चार-पांच वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में बेरोजगारी की दर वैसे ही देश में सर्वाधिक 28 प्रतिशत से अधिक है। सरकार विरोधी इन निर्णयों से बेरोजगारी में और अधिक बढ़ोतरी होगी। उन्होंने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि आगामी एक वर्ष तक  सरकारी विभागों में भर्ती पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस फैसले से उन युवाओं के सपनों को हकीकत में बदलने से पहले ही कुचल दिया गया है।

हर युवा का सपना होता है कि वह अपने माता-पिता के उन सपनों को साकार करे, जिनके लिए उन्होंने अपनी जरूरतों का गला घोंट कर अपने बच्चों की हर जरूरत को पूरा करने का प्रयास किया है। चन्द्र मोहन ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह कर्मचारियों और पढ़ें -लिखे नौजवानों के पंख काटने की बजाय अपने खर्चों को कम करने के साथ-साथ उस भारी भरकम स्टाफ और मुख्यमंत्री कार्यालय के नाम पर राजनैतिक तोर पर भर्ती  किए गए अधिकारियों को तुरंत हटाने का काम करें ताकि  सरकार का पैसा भी बचाया जा सके। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर जुलाई 2021 तक रोक लगाने के फैसले को भी वापिस लेने की मांग की है ताकि मंहगाई के इस जमाने में कर्मचारियों को राहत मिल सके।  

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