स्वंतत्रता आंदोलन के 1857 की इस क्रांति में शहीद होने वाले सभी ज्ञात-अज्ञात शहीदों को शत-शत नमन।

10 मई 2020, स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की 163वीं वर्षगांठ पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ते हुए सभी शहीद सैनिकों को भावभीनी श्रद्धाजंली दी। कपिल यादव, अजय कुमार, प्रदीप यादव, अमन कुमार व यश यादव ने भी शहीदों को श्रद्धाजंली दी। विद्रोही ने कहा कि भारत के आजादी आंदोलन में 10 मई 1857 का दिन स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। जब मेरठ छावनी में उस समय ब्रिटिश सेना में काम कर रहे जाबांज बहादुर हिन्दुस्तानी सैनिकों ने 10 मई को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत करके मेरठ से 1857 की क्रांति प्रारंभ करके दिल्ली की ओर कूच किया। पूरे देश में आजादी के मतवालों ने उस समय के बादशाह बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में क्रांति का बिगुल बजाकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ युद्ध छेडक़र पहला देशव्यापी स्वतंत्रता आंदोलन प्रारंभ किया था। 

विद्रोही ने कहा कि बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में सभी धर्मो, जातियों व क्षेत्रों के नेताओं ने अपने आपको हिन्दुस्तानी मानकर जो एकजुटता की मिसाल कायम कायम थी, उसी ने अंग्र्रेजों के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की मजबूत नींव रखी, जिसके चलते 90 वर्ष के लम्बे संघर्ष के बाद आखिर हम 15 अगस्त 1947 को आजाद हुए। 1857 के प्रथम स्वतत्रंता संग्राम में बादशाह बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में महारानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, मंगल पांडे, राव तुलाराम, राजा नाहर सिंह, हसन खां मेवाती जैसे रणबांकुरों ने भाग लिया। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम जिसे अंग्रेजी ने गदर का नाम दिया था, बेशक देश को आजादी दिलाने में सफल नही हुआ, लेकिन भारत के वीर सिपाहियों ने अपनी जीवटता व एकजुटता के बल पर अंग्रेजी हुकूमत के दांत जरूर खट्टे कर दिये थे।              

विद्रोही ने कहा कि 1857 के उस संग्राम में अनेक ज्ञात-अज्ञात वीर सैनिकों, किसान-मजदूरों व आम आदमी ने देश की आजादी की बलिवेदी पर अपनी शहादत दी। स्वंतत्रता आंदोलन के 1857 की इस क्रांति में शहीद होने वाले सभी ज्ञात-अज्ञात शहीदों को शत-शत नमन।

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