भारत के विकास पथ में संस्कृति और विरासत की महत्ता:

युवाओं को भारतीय संस्कृति, सभ्यता विरासत पांडुलिपि कला, प्रथाओं धरोहर स्मारक के प्रति जागरूकता फैलाना अत्यंत ज़रूरी

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, हर देश अपनी आर्थ‍िक स्थिति को मजबूत करने के लिए तेज़ी से विकास की ओर बढ़ रहा है। भारत ने भी अपने विजन 2047 के तहत एक समृद्ध और विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य तय किया है। इसी दिशा में वित्त मंत्रालय ने 1 फरवरी 2025 को बजट प्रस्तुत किया, जिसमें संस्कृति और विरासत के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया।

भारत सरकार द्वारा संस्कृति मंत्रालय के लिए वित्त वर्ष 2025-26 में 3360.96 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया, जिसमें से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को संरक्षण और विकास के लिए महत्वपूर्ण संसाधन दिए गए हैं। लेकिन इसमें संस्कृति के शताब्दी और वर्षगांठ समारोहों के लिए आवंटन में कमी आई है, जो कि चिंताजनक है।

युवाओं में जागरूकता फैलाना है ज़रूरी:

आज की युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति, सभ्यता, पांडुलिपि, कला, धरोहर, स्मारक और प्रथाओं के प्रति जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है। मेरा गांव मेरी धरोहर और राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन जैसी योजनाएं इसका हिस्सा हैं, जो युवाओं को भारतीय संस्कृति की महत्ता से अवगत कराती हैं। इन पहलुओं से जुड़ी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की पहलें:

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने का काम किया है। इनमें से प्रमुख योजनाएं हैं:

  1. राष्ट्रीय उपस्थिति वाले सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता – इन संगठनों को देशभर में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मदद मिलती है।
  2. सांस्कृतिक समारोह एवं उत्पादन अनुदान – इस योजना के अंतर्गत, नृत्य, संगीत, नाटक, कला प्रदर्शनी आदि के आयोजन हेतु वित्तीय सहायता दी जाती है।
  3. हिमालय की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण – विशेष रूप से हिमालयी राज्यों में स्थित सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए सहायता दी जाती है।
  4. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा – यह योजना देश की पारंपरिक और विविध सांस्कृतिक परंपराओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से चलाई जाती है।
  5. पांडुलिपियों का संरक्षण – भारत की प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटलीकरण के लिए राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत कार्य किया जा रहा है।

सांस्कृतिक जागरूकता फैलाने के लिए विशेष प्रयास:

संस्कृति मंत्रालय ने विशेष रूप से युवा कलाकारों के लिए छात्रवृत्तियों का प्रावधान किया है, जिससे वे भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक विधाओं में विशेषज्ञता हासिल कर सकें। इसके साथ ही क्षेत्रीय सांस्कृतिक उत्सवों के आयोजन से स्थानीय कलाकारों को बढ़ावा मिलता है, जिससे देशभर में सांस्कृतिक जागरूकता फैलाने में मदद मिलती है।

राष्ट्रीय संस्कृति निधि और पुरातात्त्विक संरक्षण:

भारत सरकार ने राष्ट्रीय संस्कृति निधि की स्थापना की है, जो सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाती है। इसी तरह, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 3,697 प्राचीन स्मारकों और स्थलों का संरक्षण किया जाता है, जो राष्ट्रीय महत्व के हैं।

निष्कर्ष:

वर्तमान में विकास की दौड़ में भारतीय संस्कृति, सभ्यता और विरासत को बचाना बेहद जरूरी है। भारतीय विजन 2047 में इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों का महत्व बहुत बड़ा है। युवाओं को हमारी सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराना, उसे संरक्षित करना और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।

समाज के हर वर्ग को इस मिशन में योगदान देने के लिए प्रेरित करना और सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों का सही उपयोग करना, हमारी संस्कृति और विरासत को बचाने में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

लेखक:-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 

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