शासकीय कर्मचारी,मंत्री का पद और कुर्सी उसकी रोजी-रोटी का साधन है, मिलीभगत सांठगांठ कर पाए भ्रष्टाचार का फ़ल उन्हें जरूर मिलेगा

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

भ्रष्टाचार शब्द भारतीय समाज में सदियों से प्रचलित है और इसके चलते कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह शब्द न केवल सरकारी दफ्तरों, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक संरचनाओं में भी गहरे पैठ चुका है। भ्रष्टाचार की जड़ में कर्मचारियों और मंत्रियों द्वारा थर्ड पार्टी से की गई मिलीभगत और सांठगांठ का बड़ा हाथ है। यह लेख इसी मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करेगा और हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि कैसे यह भ्रष्टाचार का कारण बनता है और इसे कैसे रोका जा सकता है।

भ्रष्टाचार और मिलीभगत की बढ़ती प्रवृत्ति

भारत में, भ्रष्टाचार का इतिहास अंग्रेजों के जमाने से जुड़ा हुआ है, लेकिन आजकल एक नई समस्या सामने आई है – मिलीभगत और सांठगांठ। यह प्रवृत्तियां ऐसी हैं, जो सरकारी कर्मचारियों और मंत्रियों द्वारा एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करती हैं और अक्सर यह कथित भ्रष्टाचार के मामलों में सामने आती हैं। कुछ उदाहरणों में, जब पुल गिरते हैं या बड़े हादसे होते हैं, तो यह साफ तौर पर देखा जाता है कि इन घटनाओं में मिलीभगत और सांठगांठ के संकेत होते हैं। 25 जनवरी 2025 को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे योशिता राजपक्षे को संपत्ति खरीद मामले में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जो इस बात का प्रमाण है कि भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं और यह केवल भारत तक सीमित नहीं है।

शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों की भूमिका

शासकीय कर्मचारी और मंत्री का पद एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। यह उनके रोज़गार का साधन होता है, लेकिन जब ये पद जिम्मेदारी के बजाय निजी लाभ के लिए उपयोग होते हैं, तो भ्रष्टाचार की स्थिति उत्पन्न होती है।कई बार कार्यालयों में कर्मचारियों से लेकर उच्च अधिकारियों तक द्वारा कर्मचारियों और अन्य बाहरी पक्षों के साथ मिलीभगत की जाती है, जिससे कार्यों में देरी होती है या भ्रष्टाचार के रास्ते खुल जाते हैं।

अधिकांश सरकारी विभागों में कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा शपथ ली जाती है कि वे सत्य, निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करेंगे। लेकिन यदि यह शपथ वास्तविकता में लागू की जाती है, तो भ्रष्टाचार और मिलीभगत का नाम भी नहीं होगा। यह जरूरी है कि हर कर्मचारी और अधिकारी, चाहे वह बाबू हो या मंत्री, यह शपथ लें और इसे पूरी तरह से निभाएं।

मिलीभगत और भ्रष्टाचार के बीच का संबंध

मिलीभगत केवल एक व्यक्तिगत गलती नहीं होती, बल्कि यह एक संगठित धोखाधड़ी होती है, जिसमें एक या दो से अधिक पार्टियां आपस में गुप्त रूप से सहयोग करती हैं। यह गुप्त सहयोग अक्सर सरकारी दफ्तरों में छिपी होती है,जहां अधिकारियों या कर्मचारियों के जरिए, बाहरी लोग या दलाल अपनी इच्छा के मुताबिक लाभ प्राप्त करते हैं। इससे शासन को भारी नुकसान होता है। मिलीभगत में सरकारी कर्मचारियों द्वारा बाहरी दलों के साथ मिलकर निर्णयों को प्रभावित किया जाता है, जिससे शासन के लिए गंभीर वित्तीय और कानूनी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

रिश्वतखोरी और मिलीभगत की योजनाएं

मिलीभगत में कई प्रकार की धोखाधड़ी होती है। रिश्वतखोरी उन योजनाओं में एक प्रमुख धोखाधड़ी है, जिसमें किसी कार्य के बदले में मूल्यवान वस्तुएं या पैसों की पेशकश की जाती है। उदाहरण के लिए, बोली या टेंडर में हेराफेरी, गुप्त कमीशन और अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए रिश्वत का उपयोग शामिल है। इस तरह की योजनाओं में बाहरी दलों के साथ मिलकर सरकारी अधिकारियों द्वारा भ्रष्ट कार्य किए जाते हैं।

प्रतिकूल प्रभाव और समाधान

भ्रष्टाचार और मिलीभगत के सबसे बड़े नुकसान में शासन का वित्तीय नुकसान शामिल है। ऐसे मामलों में आमतौर पर सरकारी रिकॉर्ड में कोई दस्तावेज या लेन-देन छिपा दिया जाता है, जिससे इस तरह के धोखाधड़ी को ढूंढना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, मिलीभगत की योजनाएं शासन के विभिन्न क्षेत्रों पर हमला कर सकती हैं, जहां सरकारी कर्मचारी बाहरी पक्षों से लेन-देन करते हैं, और इन लेन-देन को आसानी से छुपाया जा सकता है।

निष्कर्ष और शपथ

इसलिए, यह आवश्यक है कि हम सभी मिलकर भ्रष्टाचार और मिलीभगत को समाप्त करने के लिए एक ठोस कदम उठाएं। प्रत्येक कर्मचारी और मंत्री को अपनी जिम्मेदारी का एहसास करना होगा और सत्य, निष्ठा और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। सिर्फ इस प्रकार की प्रतिबद्धता से ही हम भ्रष्टाचार और मिलीभगत को समाप्त कर सकते हैं।आइए हम सभी यह शपथ लें कि हम अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाएंगे और भ्रष्टाचार की जड़ों को समाप्त करने में अपना योगदान देंगे।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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