भाजपा सरकार ईमानदारी से भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाने की बजाय छोटी मछलियों के खिलाफ नेम एंड शेम अभियान चलाकर जनता को मूर्ख बना रही है : विद्रोही

यदि सरकार वास्तव में भ्रष्टाचार के खात्मे के प्रति ईमानदार है तो प्रदेश के सभी आईएएस, आईपीएस, एचसीएस, एचपीएस अधिकारियों को वास्तव में नकद कितनी तनख्वाह मिलती हैे, इसकी सूचना सार्वजनिक करे : विद्रोही

20 जनवरी 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ईमानदारी से भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाने की बजाय छोटी मछलियों के खिलाफ नेम एंड शेम अभियान चलाकर जनता को मूर्ख बना रही है। विद्रोही ने कहा कि सरकार का काम नेम एंड शेम करने का नही अपितु भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने का होता है। अभी हरियाणा भाजपा सरकार ने कोई कदम उठाये बिना ही प्रदेश के 370 कथित भ्रष्टाचारी पटवारियों की लिस्ट वारयल की है। सवाल उठता है कि यदि सरकार की नजरों में वायरल हुई लिस्ट के 370 पटवारी कथित रूप से भ्रष्ट है तो उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कार्रवाई करने की बजाय ऐसे कथित भ्रष्टाचारी 370 पटवारियों के नाम, जाति सहित लिस्ट वायरल करने की नौटंकी क्या सस्ता प्रचार पाने के लिए की गई है?

यदि कोई सरकारी कर्मचारी भ्रष्ट भी है तो उस कर्मचारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बजाय नेम एंड शेम करना और साथ में उसकी जाति भी लिखकर उसके पूरे समाज को बदनाम करना घोर निदंनीय कुकृत्य नही तो और क्या है?  विद्रोही ने कथित भ्रष्टाचारी पटवारियों की वारयल हुई सूची में उनकी जाति के उल्लेख को भाजपा की औच्छी व गंदी मानसिकता का प्रतीक बताया। सत्ता दुरूपयोग से कुछ किसान, मजदूर जातियों को भ्रष्टचारी के रूप में दुष्प्रचारित करना घोर अनैतिक व निदंनीय है। भाजपा सरकार की भ्रष्ट पटवारियों वायरल सूची में दो ऐसे पटवारियों के नाम भी है जो लगभग दो वर्ष पूर्व मर चुके है। गुरूग्राम में तैनात रहे पटवारी देवेन्द्र व कैथल में तैनात पटवारी औमप्रकाश की जब लगभग दो साल पहले मौत हो चुकी थी, तब उनका नाम भ्रष्ट पटवारियों की सूची में शामिल करने से इस इस सूची और सूची बनाने वालों की नियत पर ही गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। सवाल उठता है कि यह वायरल सूची भ्रष्टाचारियों के खिलाफ है या कुछ जातियों पर सुनियोजित ढंग से भ्रष्टाचारी होने का तगमा लगाने के लिए वायरल की गई है। इस पर गंभीर विचार करने की जरूरत है। 

विद्रोही ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में भ्रष्टाचार के खात्मे के प्रति ईमानदार है तो प्रदेश के सभी आईएएस, आईपीएस, एचसीएस, एचपीएस अधिकारियों को वास्तव में नकद कितनी तनख्वाह मिलती हैे, इसकी सूचना सार्वजनिक करे क्योंकि इन सभी बड़े अफसरों की वास्तविक तनख्वाह का तो बडा हिस्सा लोन देने में चुकाते है और उनको वास्तव में नकद इतना पैसा मिलता है जिसमें वे खुद भीे एक माह तक दो वक्त की रोटी खाने लायक भी पैसा नही होता। भ्रष्टाचारी तो उक्त बड़े अफसर भी है जिन्होंने अपने भ्रष्टाचार को छिपाने अपनी अवैध सम्पत्तियों को बनाने के लिए विभिन्न बैंक व वित्तिय संस्थानों से लिया लोन दिखा रखा है। जब ऐसे अधिकारी हर माह कितना नकद पैसा वेतन के रूप में ले रहे है, यह सच सामने आने पर खुद ही पता चला जायेगा कि असली भ्रष्टाचारी कौन है और ईमानदार कौन है?

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