कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 11 जनवरी : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के राज्य स्तरीय रत्नावली उत्सव ने पूरे विश्व में सांस्कृतिक पहचान बनाई है। हरियाणा दिवस पर राज्य स्तरीय रत्नावली उत्सव के सफर से हरियाणवी संस्कृति विश्वव्यापी बनी है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के राज्य स्तरीय रत्नावली उत्सव के माध्यम से हरियाणवी संस्कृति को पूरे विश्व में विशेष पहचान दिलाने तथा प्रचार-प्रसार करने का कार्य किया है। लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि सन 1956 में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। 1966 में हरियाणा प्रदेश बना। हरियाणा दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। सन् 1985 से अनूप लाठर के नेतृत्व में सांस्कृतिक गतिविधियों को नया आयाम मिला। 2006 में हरियाणा दिवस राज्य स्तरीय रत्नावली के रूप में परिवर्तित हुआ। आज रत्नावली के माध्यम से हरियाणवी संस्कृति पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुकी है। रत्नावली समारोह में 6 मंचों पर 34 विधाओं में 3 हजार कलाकार अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हैं। सांस्कृतिक क्षेत्र में केयू का दबदबा।कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने शिक्षा, शोध एवं खेल सहित सांस्कृतिक क्षेत्र में भी अपना दबदबा कायम रखा है। इसके साथ ही हरियाणवी संस्कृती को संजोने में केयू अहम भूमिका निभा रहा है तथा देश-विदेश में हरियाणवी संस्कृति एवं विरासत का परचम लहरा रहा है। लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि वर्ष 2023 में अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संघ के 36वें राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव में इतिहास रचते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने 18 विधाओं में से 16 विधाओं में पुरस्कार जीतकर सांस्कृतिक क्षेत्र में अपनी सर्वश्रेष्ठता साबित की। उन्होंने बताया कि इस सांस्कृतिक उत्सव प्रतियोगिता की थियेटर विधा में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ओवरआल चैम्पियन भी बना था। वहीं वर्ष 2024 में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना में आयोजित अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित 37वें अंतर-विश्वविद्यालय युवा उत्सव में केयू ने तीसरा स्थान सांस्कृतिक विधाओं में तीसरा स्थान हासिल किया है। प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि केयू ने महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक में आयोजित 37वें नॉर्थ-वेस्ट जोन सांस्कृतिक एवं कला प्रतियोगिताओं में इतिहास रचकर ओवर ऑल रनर-अप ट्रॉफी अपने नाम की थी। Post navigation श्री वृंदावन धाम के भाव को कुरुक्षेत्र धाम से जोड़ने का प्रयास है खिचड़ी उत्सव : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज