एडवोकेट हेमंत कुमार ने हरियाणा पुलिस कानून  की धारा 16 का  हवाला देकर प्रदेश सरकार को लिखा

सी.आई.डी. का  पूरा अर्थ–क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट, हालांकि न यह डिपार्टमेंट, न यह करती है  क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन  —  हेमंत कुमार

चंडीगढ़ — हाल ही में  हरियाणा सरकार द्वारा 1998 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस.)  अधिकारी  सौरभ सिंह को प्रदेश गुप्तचर (सी.आई.डी.) का नया ए.डी.जी.पी. (अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक) अर्थात  प्रमुख   तैनात किया गया.  सौरभ इससे पूर्व फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर पद पर कार्यरत थे. इससे पूर्व निरंतर साढ़े चार वर्षो  तक  1993 बैच के आई.पी.एस. आलोक मित्तल सी.आई.डी.  ए.डी.जी.पी. पद पर तैनात थे एवं अब उन्हें  एंटी करप्शन ब्यूरो ( ए.सी.बी.)  हरियाणा का नया ए.डी.जी.पी. तैनात किया गया है.

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट एवं कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ने एक रोचक परंतु महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि  हरियाणा पुलिस  अधिनियम ( कानून), 2007 को‌ लागू हुए‌  16 वर्ष‌ से ऊपर हो गए हैं.‌ सितम्बर, 2006 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश में पुलिस सुधार सुनिश्चित करने के लिए  प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार एवं अन्य नामक ऐतिहासिक निर्णय में देश की सभी प्रदेश सरकारों को‌‌ दिए गए छ: निर्देशों की अनुपालना के दृष्टिगत‌‌ हरियाणा सहित‌  देश की हर प्रदेश विधानसभा द्वारा अंग्रेजी शासनकाल के दौरान से‌ लागू पुलिस एक्ट, 1861 को समाप्त कर अपने अपने प्रदेश के लिए संबंधित‌ राज्य पुलिस कानून बनाया गया था.

हेमंत ने बताया कि हरियाणा पुलिस कानून, 2007‌ में  सी.आई.डी. नाम का कहीं उल्लेख नहीं है. इसके स्थान पर उक्त  कानून की धारा 16 में प्रदेश पुलिस में  स्टेट इंटेलिजेंस विंग और स्टेट क्राइम   इन्वेस्टिगेशन विंग  गठित करने  का उल्लेख है.   उक्त  धारा  अनुसार  दोनों कोई अलग विभाग नहीं बल्कि राज्य पुलिस संगठन की ही दो अलग अलग विंग अर्थात  शाखाएँ होंगी.

हरियाणा पुलिस कानून की धारा 16 अनुसार स्टेट इंटेलिजेंस विंग का कार्य आसूचना (इंटेलिजेंस) का संग्रहण, समाकलन, विश्लेषण एवं उपयुक्त (सीमित) प्रचारण  करना है जो कार्य वर्तमान में हरियाणा सी.आई.डी. द्वारा किये जाते हैं. वहीं स्टेट क्राइम  इन्वेस्टिगेशन विंग का कार्य आपराधिक आसूचना (क्रिमिनल इंटेलिजेंस) का संग्रहण, समाकलन  और विश्लेषण करना है  एवं इसके साथ साथ यह विंग गंभीर और जघन्य अपराधों एवं जिनका अंतरराज्यीय, अंतर-जिला, बहुशाखा, मुख्य आर्थिक  अपराध, साइबर अपराध एवं अन्य गंभीर अपराधों के सम्बन्ध में अन्वेषण/जांच  करना भी  शामिल है.  वर्तमान में  सारे कार्य वर्तमान में हरियाणा पुलिस की स्टेट क्राइम ब्रांच द्वारा किये जा रहे है जिसकी वर्तमान ए. डी.जी.पी. 1996 बैच के वरिष्ठ महिला आई.पी.एस.  ममता सिंह  हैं. इस प्रकार हरियाणा पुलिस कानून की धारा 16 में इंटेलिजेंस और क्रिमिनल इंटेलिजेंस में अंतर उल्लेखित है.

हेमंत ने आगे बताया कि हमारे देश  में सी.आई.डी. की स्थापना अंग्रेजी शासनकाल दौरान हुई थी  हालांकि वर्तमान में  देश के सभी राज्यों में इसकी संरचना एवं कार्यकाल एक समान नहीं  है.  चूँकि हरियाणा  पुलिस कानून, 2007 की धारा 16 अनुसार  प्रदेश सी.आई.डी. के पास न तो कानूनन क्रिमिनल इंटेलिजेंस है तो न ही क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन की शक्ति एवं यह  शक्तियां स्टेट क्राइम इन्वेस्टीगेशन विंग के पास निहित है, इसलिए सीआईडी का वर्तमान अंग्रेजी  नाम क्रिमिनल  इन्वेस्टीगेशन  न्यायोचित नहीं है, अतः हरियाणा सरकार को प्रदेश पुलिस कानून की धारा 16 की अनुपालना में आधिकारिक तौर पर प्रदेश सीआईडी (गुप्तचर) का  नाम   क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन (आपराधिक अन्वेषण) नहीं बल्कि  स्टेट  इंटेलिजेंस विंग का प्रयोग करना चाहिए.  पंजाब में  भी प्रदेश सीआईडी को  गत कई वर्षों से इंटेलिजेंस विंग कहा जाता है.  भारत सरकार में भी गुप्तचर/ख़ुफ़िया कार्य-कलापों  के लिए  इंटेलिजेंस (आसूचना) ब्यूरो के नाम से संगठन मौजूद  है,  जो केंद्रीय गृह मंत्रालय  के अधीन आता  है.

उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा इस वर्ष अक्तूबर, 2024  में जारी प्रदेश के  मुख्यमंत्री और मंत्रियों के मध्य आबंटित विभागों संबंधी  जारी  ताजा आधिकारिक आदेश में मुख्यमंत्री  नायब सिंह के मौजूदा विभागों में   गुप्तचर  (सीआईडी) का भी उल्लेख है जिसका  अंग्रेजी में अनुवाद क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन  दर्शाया गया है जिसकी हालांकि हिंदी  है आपराधिक जांच. रोचक बात यह है कि  सीआईडी अर्थात गुप्तचर  किसी भी आपराधिक मामले में  आधिकारिक तौर पर  क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन (जांच/अनुसंधान ) आदि नहीं करता है. वैसे भी हरियाणा सरकार कार्य (आबंटन) नियमावली 1974 में आज तक सीआईडी को अलग विभाग के रूप में नहीं बल्कि प्रदेश के गृह विभाग के अंतर्गत ही दर्शाया गया है.

इस प्रकार हरियाणा में  सीआईडी आधिकारिक तौर पर डिपार्टमेंट भी  नहीं है.  इसलिए सीआईडी का  मौजूदा  नाम अर्थात क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट न्यायोचित नहीं है. हेमंत ने गत 4 वर्षों में कई  बार इस संबंध में अर्थात प्रदेश सीआईडी का नाम बदलकर स्टेट‌ इंटेलिजेंस विंग करने हेतु प्रदेश सरकार को लिखा हालांकि आज तक इस पर वांछित कार्रवाई लंबित है.  हाल ही में इस विषय पर‌ उनके द्वारा  एक बार पुनः हरियाणा सरकार को ज्ञापन भेजा गया है.

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