-हाईकोर्ट ने भी गंदगी से अटे पड़े गुडग़ांव को मिलेनियम सिटी कहने पर निगम को ठोंका 50 हजार का जुर्माना

-अब गुडग़ांव की स्वच्छता के लिए हाईकोर्ट ने नौ वकीलों को लोकल कमिश्नर बनाकर रिपोर्ट मांगकर सरकार को दिखाया आईना

-मुख्यमंत्री हर बार स्वच्छता की बात करके जाते हैं, किसी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं करते  

गुरुग्राम। कांग्रेस के जिला मीडिया कॉर्डिनेटर एवं जिला चेयरमैन व्यापार सैल भारत मदान कहा कि कई साल से मलीन पड़े गुडग़ांव को मिलेनियम सिटी नहीं कहा जा सकता। यहां की सफाई करने में नगर निगम भी फेल है और सरकार भी कुछ नहीं कर पा रही है। मलीन सिटी गुडग़ांव को मिलेनियम सिटी नाम देने पर हाईकोर्ट का भी हथोड़ा नगर निगम पर चला है। नगर निगम गुडग़ांव पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाकार हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि नगर निगम सिर्फ कमाई ही कर रहा है, जनता को सुविधाएं देने में यह फेल है।

भारत मदान ने कहा कि गुडग़ांव को मिलेनियम सिटी कहने पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि सिर्फ नाम से नहीं इसे काम से दिखाएं कि यह शहर मिलेनियम सिटी है। नगर निगम को टैक्स देने वाले गुडग़ांववासी हर त्योहार को गंदगी के ढेरों पर मनाते हैं। ना होली स्वच्छ होती है और ना दीवाली। ना साल ना गणतंत्र, स्वतंत्रता दिवस। उन्होंने कहा कि शहर का हर कोना, हर सडक़, हर गली कूड़े, गंदगी से अटी पड़ी रहती है। गंदगी से बीमारियां बढ़ रही हैं। बीमार होकर व्यक्ति अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। सरकारी अस्पताल बनाया नहीं जा रहा। एक मात्र सेक्टर-10 के अस्पताल पर जिला का बोझ है। मरीजों की भी बहुत अधिक रहती है। मजबूरी में लोग प्राइवेट अस्पतालों में जाते हैं। महंगा इलाज करवा पाने में असमर्थ लोग परेशान ही रहते हैं।

कांग्रेस के जिला मीडिया कॉर्डिनेटर भारत मदान ने कहा कि अगर गंदगी ही साफ हो जाए तो बीमारियां भी काफी हद तक नियंत्रित की जा सकती है। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने कहा है कि मिलेनियम सिटी नाम बहुत महत्वपूर्ण है। इस नाम के अनुसार सुविधाएं व शहर की स्थिति बेहतर भी होनी चाहिए। लेकिन गुडग़ांव में ऐसा कुछ नजर नहीं आता। इसलिए गुडग़ांव को मिलेनियम सिटी कहना सही नहीं है। हाईकोर्ट द्वारा गुडग़ांव में नगर निगम तो लताड़ और जुर्माना लगाकर यह बता दिया गया है कि यहां स्थिति नियंत्रण में नहीं है। गंदगी हर किसी को प्रभावित कर रही है। कोर्ट में बेकार के आंकड़े देकर नगर निगम ने कोर्ट को भी भ्रमित करने का काम किया। हाईकोर्ट की ओर से अब नौ वकीलों को लोकल कमिश्नर बनाकर शहर की बदहाली की रिपोर्ट मांगी है। हाईकोर्ट का यह कदम सराहनीय तो है ही, साथ ही हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा किए जा रहे विकास की भी पोल खोलता है।

भारत मदान ने कहा कि गरीबों के आशियाने अवैध कब्जों के नाम पर यहां नगर निगम जरूर तोड़ता है, लेकिन अमीरों के द्वारा किए गए अवैध कब्जों को हटाने में निगम विफल नजर आता है। यहां आने वाले अधिकारी सिर्फ अपनी जेबें भरते हैं। भाजपा के ही मंत्री द्वारा अधिकारियों को भ्रष्टाचार ना करने की नसीहत देते हुए उन्हें अपना रौब दिखाया था।  फिर भी यहां पर काम कुछ नहीं हो रहा। गिनाने के लिए बहुत काम सरकार के पास हैं, लेकिन उन कामों से आम जनता को कितना फायदा हुआ, यह कोई नहीं बताता। जनता परेशान ही है।

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