मौजूदा नगर निगम कानून अनुसार मेयर पद के लिए नहीं हो सकता उप-चुनाव हालांकि न.नि. निर्वाचन नियमों में ऐसी कोई रोक नहीं — एडवोकेट हेमंत कुमार हरियाणा निर्वाचन आयोग द्वारा अम्बाला और सोनीपत सहित 5 नगर निगमों की मतदाता सूचियाँ को अपडेट करने का विस्तृत कार्यक्रम किया गया है जारी चंडीगढ़ — शनिवार 7 सितम्बर हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अम्बाला और सोनीपत सहित प्रदेश की 5 नगर निगमों जिनमें गुरुग्राम, फरीदाबाद और मानेसर नगर निगमें भी शामिल हैं के समस्त निगम क्षेत्र की मतदाता सूचियों को अपडेट करने का विस्तृत कार्यक्रम एक नोटिफिकेशन मार्फ़त जारी किया गया है जो 9 दिसम्बर 2024 से प्रारंभ होकर 6 जनवरी 2025 तक सम्पन्न होगा. इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट और म्युनिसिपल कानून के जानकार हेमंत कुमार ( 9416887788) ने जहाँ तक फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगमों का विषय है, तो इन दोनों निगमों में वर्ष 2022 से आम चुनाव लंबित है जबकि चार वर्ष पूर्व दिसम्बर, 2020 में गठित मानेसर नगर निगम के आज तक पहले आम चुनाव ही नहीं कराये गये हैं. वहीं हालांकि मौजूदा अम्बाला और सोनीपत नगर निगम का कार्यकाल 13 महीने अर्थात जनवरी, 2026 तक शेष हैं परन्तु दो माह पूर्व 8 अक्टूबर 2024 को अम्बाला नगर निगम की तत्कालीन मेयर शक्ति रानी शर्मा पंचकूला जिले की कालका विधानसभा सीट से भाजपा विधायक एवं सोनीपत नगर निगम के तत्कालीन मेयर निखिल मदान सोनीपत वि.स. क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीत कर विधायक बन गये. हेमंत ने हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 8 ए का हवाला देते हुए बताया कि इसके अंतर्गत प्रदेश के किसी नगर निगम का मेयर अथवा नगर निगम सदस्य (जिन्हें आम भाषा में पार्षद भी कहते हैं हालांकि यह शब्द नगर निगम कानून में नहीं है) एक ही समय पर मेयर या न.नि. सदस्य एवं साथ साथ विधायक या सांसद नहीं रह सकता है. अगर कोई व्यक्ति नगर निगम के मेयर पद या सदस्य होते हुए प्रदेश की विधानसभा या संसद के लिए निर्वाचित हो जाता है, तो विधायक या सांसद के तौर पर निर्वाचित घोषित होने की तारीख से वह नगर निगम का मेयर या न.नि. सदस्य नहीं रहेगा. इसी प्रकार 8 अक्टूबर 2024 अर्थात मतगणना की तारीख से ही कालका विधायक शक्ति रानी शर्मा और सोनीपत विधायक निखिल मदन क्रमशः अंबाला और सोनीपत नगर निगम के मेयर नहीं रहे. इसके लिए दोनों को औपचारिक तौर पर मेयर पद से त्यागपत्र देने की कोई आवश्यकता नहीं है. बहरहाल, हेमंत ने गत अक्टूबर माह में नायब सैनी सरकार में शहरी स्थानीय निकाय विभाग के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल, विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता, विभाग के निदेशक यश पाल (जिन्हें गत माह ही मुख्यमंत्री का उप प्रधान सचिव तैनात किया गया ) और हरियाणा के राज्य निर्वाचन आयुक्त धनपत सिंह को लिखकर उनसे अम्बाला और सोनीपत नगर निगम के मेयर पद को औपचारिक और आधिकारिक पर अर्थात नोटिफिकेशन जारी कर रिक्त घोषित करने और साथ साथ उक्त दोनों नगर निगमों के नए मेयर के उपचुनाव की प्रक्रिया आरम्भ करने का मामला उठाया जिसके डेढ़ माह बाद माह 2 दिसम्बर को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दो अलग अलग नोटिफिकेशन जारी कर अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के उपरोक्त दोनों निवर्तमान मेयरों, जो विधायक निर्वाचित हुए है, का नाम मेयर पद से डी-नोटिफाई कर दिया गया है. बहरहाल, गत माह राज्य निर्वाचन आयोग से हेमंत को प्राप्त पत्र, जिसकी एक प्रति आयोग द्वारा प्रदेश सरकार के शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक को भी भेजी गई, में लिखा गया है कि हरियाणा नगरं निगम कानून, 1994 की धारा 13 जो, जो नगर निगम मेयर और सदस्यों की रिक्त हुई सीटों को उपचुनाव द्वारा भरे जाने से संबंधित है, में दिसम्बर-2020 में प्रदेश विधानसभा द्वारा संशोधन कर यह उल्लेख कर दिया गया था कि उक्त धारा के प्रावधान रिक्त हुई मेयर की सीट पर लागू नहीं होंगे अर्थात अगर किसी नगर निगम के मेयर का पद, बेशक वह किसी भी कारण से रिक्त हुआ हो, तो उसे राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा उपचुनाव द्वारा भरा नहीं जा सकता है. वहीं आगे निर्वाचन आयोग ने हेमंत और प्रदेश सरकार को भेजा पत्र में यह भी लिखा है हालांकि हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के नियम संख्या 68 में, जो नगर निगम की रिक्त हुई सीटों को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा उपचुनाव मार्फ़त भरने से सम्बंधित है, में प्रदेश सरकार द्वारा ऐसा कोई उल्लेख नहीं किया गया है कि रिक्त हुए मेयर पद को उपचुनाव द्वारा नहीं भरा जा सकता है. इसी के दृष्टिगत हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 13 और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के नियम 68 में मेयर पद के उपचुनाव के सम्बन्ध में व्याप्त परस्पर विरोधी प्रावधान और उल्लेख होने पर आयोग ने प्रदेश सरकार से इस बारे में स्पष्टीकरण करने को लिखा है ताकि इस आयोग द्वारा रिक्त अम्बाला नगर निगम मेयर को उपचुनाव द्वारा भरने बारे फाइनल निर्णय लिया जा सके. बहरहाल, इससे सपष्ट हो जाता है कि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की उपरोक्त धारा 13 में उपयुक्त कानूनी संशोधन करके ही अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के मौजूदा रिक्त मेयर के लिए उपचुनाव संभव हो सकता है. Post navigation विकासात्मक उपलब्धियों में देश के अग्रणी राज्यों में है हरियाणा की अलग पहचान- उपराष्ट्रपति देश और प्रदेश में आग लगाती रहती है भाजपा: कुमारी सैलजा