अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में मंच पर विदेशों से पहुंचे 26 शिल्पकार, पुरुषोत्तमपुरा बाग में देखने को मिली विदेशी शिल्पकला

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरूक्षेत्र 6 दिसंबर : अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में पहली बार उज्बेकिस्तान व तजाकिस्तान के शिल्पकार पहुंचे हैं। इन शिल्पकारों को ब्रह्मसरोवर के तट पर संस्कृति और शिल्पकला का अद्भूत संगम देखने को मिला हैं। इन कलाओं के संगम को देखकर विदेशी शिल्पकार गदगद हो गए। इतना ही नहीं इस विदेशी शिल्पकला से पुरुषोत्तमपुरा बाग में पयर्टक सहजता से खिंचे चले आए। अहम पहलू यह है कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से ही इन दोनों देशों से करीब 26 शिल्पकारों को आमंत्रित किया गया और यहां के पर्यटकों और स्थानीय शिल्पकारों को विदेशी शिल्पकला को जानने व देखने का सुनहरी अवसर भी मिला है।

उपायुक्त नेहा सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की तरफ से विभिन्न प्रदेशों के शिल्पकारों को आमंत्रित किया गया हैं। इस आमंत्रण पर उज्बेकिस्तान व तजाकिस्तान के करीब 26 शिल्पकार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंचे है। इन शिल्पकारों ने ब्रह्मसरोवर व पुरुषोत्तमपुरा बाग में अपनी प्रदर्शिनी लगाई हैं। इस प्रदर्शिनी को देखने और विदेशी उत्पादों को खरीदने के लिए पर्यटकों का तांता लगा रहता हैं। इन दोनों देशों के करीब 26 हस्तशिल्प अपनी-अपनी राज्यों के शिल्पकला के साथ पहुंचे हैं। इन शिल्पकारों के लिए सरकार और केडीबी के द्वारा प्रोटोकॉल के अनुसार तमाम प्रबन्ध भी किए है।

शिल्पकार शाहनवाज, सद्दागतक, नीलोफर, मजीना ने बातचीत करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर आकर बहुत अच्छा महसूस हुआ। इस पावन धरा पर भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों से आत्मसाद होने का एक अनोखा अवसर सरकार की तरफ से दिया गया हैं। इस पावन धरा पर शिल्प और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस महोत्सव में हरियाणा के साथ-साथ अन्य राज्यों की शिल्पकला को करीब से जानने का मौका मिला हैं। इसके लिए वे सरकार के सदैव आभारी रहेगें। इस महोत्सव में शाहनवाज ने कहा कि तजाकिस्तान से नईमा, मक्खनमना सहित अन्य शिल्पकारों को भी इस पावन धरा पर आने का मौका मिला है।

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